???????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????

प्रभावित क्षेत्रों में कई आशियाने हुए जमींदोज

रुद्रप्रयाग, 10 जनवरी : रुद्रप्रयाग जनपद का मरोड़ा गांव भी मानव निर्मित आपदा का दंश झेल रहा है। मरोड़ा गांव ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन  निर्माण से आपदा की चपेट में है। गांव के नीचे टनल निर्माण से कई घर जमींदोज हो चुके हैं तो कई घर ढहने की कगार पर हैं। जिन प्रभावित परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है, वह अभी भी मौत के साये में टूटे-फूटे मकानों में रह रहे हैं। ग्रामीणों को जल्द यहां से विस्थापित नहीं किया गया तो कभी भी कोई बड़ी हानि हो सकती है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल निर्माण का कार्य जोर शोर से चल रहा है। पहाड़ों में भूस्खलन होने की आशंकाओं को देखते हुये अधिकांश जगह रेल टनल से होकर गुजरेगी। इसी कड़ी में जनपद के मरोड़ा गांव के नीचे भी टनल का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन टनल निर्माण के चलते मरोड़ा गांव के घरों में मोटी-मोटी दरारें पड़ चुकी हैं। कई घर तो दरार पड़ने के बाद जमींदोज हो चुके हैं और कई होने की कगार पर हैं। जिन परिवारों को रेलवे की ओर से मुआवजा मिल गया है, वह तो दूसरी जगह चले गये हैं। लेकिन जिन परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया है, वह मौत के साये में ही गांव में रहने को मजबूर हैं।
स्थिति इतनी विकराल है कि गांव में कभी भी कहर बरपा सकता है। रेल लाइन का निर्माण कार्य कर रही कार्यदायी संस्था की ओर से पीड़ितों के रहने के लिये टिनशेड बनाये गये हैं, लेकिन पीड़ित इन टिन शेड़ों में नहीं रह रहे हैं। पीड़ितों का आरोप है कि इन टिनशेडों में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। शुरुआती चरण में प्रभावित परिवारों को रेलवे किराया देती थी। अब किराया देना भी बंद कर दिया है। यहां से पलायन कर चुके लोग फिर गांव का रुख कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि विकास की जगह उनका विनाश हुआ है। उनके पुश्तैनी मकान उनकी आंखों के सामने जमींदोज हो रहे हैं। उनका विस्थापना किया जा रहा है और मानकों के अनुसार उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। गांव की महिलाएं बेहद लाचार हैं और रोते हुए सरकार व रेल लाइन का निर्माण कार्य कर रही कार्यदायी संस्था पर कई तरह के आरोप लगा रही हैं। कभी मरोड़ा गांव में 35 से चालीस परिवार हुआ करते थे। अब मात्र 15 से 20 परिवार रह गये हैं और जो परिवार यहां रह भी रहे हैं, उनके साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि मरोड़ा गांव के जो विस्थापित परिवार हैं, उनको शीघ्र ही मुआवजा दिया जायेगा। फिलहाल उनके लिये टिनशेड बनाये गये हैं और उनमें आवश्यक सुविधाएं जुटाई जा रही हैं।