गैरसैंण विधानसभा का घेराव करने पहुंचे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प की घटना की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं.
चमोली जिले के नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर सोमवार को यहां विधानसभा का घेराव करने के लिए पहुंचे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प की घटना की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं. यहां जारी एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण के समीप दीवालीखाल में घाट ब्लॉक के लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों और पुलिस प्रशासन के बीच घटित घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसको गंभीरता से लिया गया है.

राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा घाट कें आन्दोलनकारियों पर हुए लाठी चार्ज पर सरकार क़ी कड़ी भर्त्सना क़ी।
जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती व पूर्ण सिंह लिंग्वाल ने बयान जारी करते हुए कहा कि वर्तमान मुख्यमन्त्री क़ा जनता कें प्रति दूरी बनाना अहंकार को दर्शाता है राज्य आंदोलनकारी मंच सरकार से इस घटना के जांच कराकर कड़ी कार्यवाही करने क़ी मांग क़ी है। जनता जब अपनी बात सरकार कें सामने ही नही रख पा रही है और ना ही सरकार सुनने को तैयार है तो ऐसे मे क्या उम्मीद करें।

मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ”संपूर्ण घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.” प्राप्त जानकारी के अनुसार, सड़क चौडीकरण की मांग को लेकर घाट ब्लॉक के प्रदर्शनकारी बजट सत्र के पहले दिन यहां विधानसभा घेराव के लिए निकले. रास्ते में दीवालीखाल में उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड हटा दिए, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी झड़प हो गई थी. विधानसभा जाने पर अडे़ प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार की तथा लाठीचार्ज भी किया. इसके बाद भी प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में विधानसभा की ओर चलते गए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

जिन मांगों को पूरा करने की घोषणा मुख्यमंत्री खुद कर के भूल गये हों शायद उन्हें याद दिलाने की “महाभूल” का नतीजा है ये लाठीचार्ज ये कहना है राज्यन्दोलनकारी वीरेंद्र पोखरियाल का। उन्होंने कहा कि इस घटना की वीडियो देखने के बाद उन्हें 2 अक्टूबर 1994 के मुजफ्फरनगर कांड औऱ उसकी प्रतिक्रियाओं को दबाने में 3 अक्टूबर की वीभत्स घटनाएं ताजा हो गई। आज तक मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा न दिलवा पाने  देने  टीस उनके मन में आज भी है। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह पर उक्त कांड के प्रमुख आरोपी रहे बुआ सिंह और अनंत कुमार को राजनीतिक शरण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उस समय उप्र सरकार ने सीबीआइ को इन दोनों अधिकारियों से पूछताछ की इजाज़त दे दी होती तो शायद आज स्थिति कुछ और होती। भले ही मुख्यमंत्री ने इस घटना की जाँच के आदेश दे दिए, हो सकता है दो चार पुलिसकर्मियों पर गाज गेर कर सरकार अपने पीठ थपथपा लें मगर प्रश्न यह भी तो है कि जब प्रदेश में  मुख्यमंत्री की ही घोषणायें  पूरी नहीं हो पा रहीं हों तो बाकियों का तो कहना ही क्या ? सबसे पहले तो उन्हें खुद ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए .

पिछले लगभग दो माह से नंदप्रयाग—घाट मोटर मार्ग के चौडीकरण की मांग कर रहे घाट व्यापार संघ के अध्यक्ष व आंदोलन के नेता चरण सिंह ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. वहीं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि दीवालीखाल से करीब 450 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.

उत्तराखंड महिला मंच ने कल दीवालीखाल में प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में आज 2 मार्च को ठीक 12 बजे धरना स्थल कचहरी में विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान करते हुए समस्त आन्दोलनकरी शक्तियों के समर्थन हेतु पंहुचने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा कि घटना की वीडियो के आधार पर उपद्रव करने वालों की पहचान की जा रही है और उसके आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि घटना में एक पुलिस सर्किल अधिकारी और एक महिला कांस्टेबल सहित 6 से 7 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं. सत्ताधारी दल के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह घटना घटित नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि मुख्यमंत्री पहले ही प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों को मुख्य सड़क से जोडने की सैद्धांतिक घोषणा कर चुके थे.

 

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच की दो टूक – त्रिवेन्द्र सरकार से नहीं होगी कोई गुहार

#उत्तराखंड महिला मंच#राज्य आंदोलनकारी मंच #नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग