राज्य में सड़क सुरक्षा परिषद के निर्देशों के बावजूद सड़कों का सुरक्षा आडिट नहीं हो पाया है। स्थिति यह है कि सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत चिह्नित 14288 किमी लंबी सड़क के सापेक्ष केवल 3740 किमी सड़क का ही आडिट हुआ है।अभी 10548 किमी लंबी सड़कों का आडिट होना शेष है। आडिट न होने का एक मुख्य कारण इसके लिए विभाग द्वारा अभियंताओं को प्रशिक्षित न किया जाना है।

विभाग में 1274 अभियंताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाना था। अभी तक केवल 614 अभियंता ही प्रशिक्षित किए जा सके हैं।प्रदेश में सड़क सुरक्षा के संबंध में हुई बैठकों में यह पाया गया कि खराब सड़कें, सड़कों पर गड्ढे, पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क किनारे सुरक्षा दीवार और पैराफिट न होने के कारण वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़कों पर सड़क सुरक्षा संकेतक न होना भी दुर्घटना का कारण बन रहा है। ऐसे में वर्ष 2018 में निर्णय लिया गया कि लोक निर्माण विभाग अपने अंतर्गत आने वाली सभी सड़कों का सड़क सुरक्षा आडिट करेगा। इस रिपोर्ट में दर्शाई गई समस्याओं को दूर करने के लिए सड़क सुरक्षा कोष से धन की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए विभाग ने 1274 अभियंताओं का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया। इस उद्देश्य के साथ कि जहां भी इनकी तैनाती रहेगी, वहां ये सड़क सुरक्षा आडिट कर रिपोर्ट सड़क सुरक्षा परिषद को सौंपेंगे।

शुरुआत में विभाग के 505 अभियंताओं को इसके लिए प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया लेकिन इसके सापेक्ष आधे अभियंताओं को प्रशिक्षण नहीं दिया गया।वर्ष वार आंकड़ों पर नजर डालें तो विभाग ने वर्ष 2018-19 में 196, 2019-20 में 70, 2020-21 में 169, 2021-22 में 134, और इस वर्ष अप्रैल तक 45 अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इस तरह विभाग में 1274 के सापेक्ष 616 अभियंताओं को ही इसका प्रशिक्षण दिया गया है। 660 को प्रशिक्षण दिया जाना शेष है। परिवहन मंत्री ने शेष अभियंताओं को शीघ्र प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि जरूरत पडऩे पर इनके उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर अब थोड़ी गंभीरता नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सड़क सुरक्षा को लेकर बनाई गई समिति के निर्णयों के क्रम में राज्य में भी परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया गया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति बनाई गई है। परिषद और समिति की नियमित अंतराल में बैठकें हो रही हैं और अब धरातल पर भी इनके निर्देशों का अनुपालन होता नजर आ रहा है।

देश भर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित सड़क सुरक्षा समिति लगातार सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रही है। समिति ने हर राज्य में सड़क सुरक्षा के लिए परिषद और समितियों का गठन करने को कहा है। इस कड़ी में प्रदेश में सड़क सुरक्षा के लिए चार स्तरीय समितियां बनाई गई हैं। इनमें परिषद और समिति परिवहन मंत्री और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई है। सड़क सुरक्षा परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करने को लीड एजेंसी का गठन किया गया है, जिसकी कमान संयुक्त परिवहन आयुक्त को सौंपी गई है। इसके बाद जिला स्तर पर भी सड़क सुरक्षा समितियों का गठन किया गया है। प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं लेकिन संबंधित विभाग इस ओर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। स्थिति यह है कि प्रदेश में वर्ष 2019 के बाद सड़क सुरक्षा आडिट ही नहीं हुआ है। इससे ब्लैक स्पाट एवं दुर्घटना संभावित स्थलों के रखरखाव को लेकर कार्ययोजना नहीं बन पा रही है।प्रदेश में बढ़ती हुई दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा परिषद समय-समय पर दिशा निर्देश जारी करती है। परिषद की वर्ष 2017 में हुई बैठक में यह बात सामने आई कि खराब व बदहाल सड़कें दुर्घटनाओं का एक अहम कारण हैं। सड़कों पर गड्ढे, पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क किनारे सुरक्षा दीवार व पैराफिट आदि के न होने से भी दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। यहां तक कि सड़कों पर लेन मार्किंग न होना भी दुर्घटना का कारण बन रहा है।

लेखक के निजी विचार हैं !

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला (दून विश्वविद्यालय)

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