प्रदेश की विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत 6.37 लाख श्रमिकों को लॉकडाउन का खामियाजा उठाना पड़ा है। इन श्रमिकों को औद्योगिक इकाइयों ने लॉकडाउन के कारण वेतन नहीं दिया। अफसोस यह कि राज्य सरकार भी ईएसआइ के अधिनियम में कोई प्रविधान न होने के कारण इन्हें वेतन दिलाने की दिशा में फिलहाल कोई कदम नहीं उठा पा रही है।

प्रदेश में कुल 3432 औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत हैं। इनमें 681280 श्रमिक कार्यरत हैं। ये वह सूचना है जो सरकारी अभिलेखों में दर्ज है। मार्च में कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के कारण सभी औद्योगिक इकाइयां बंद कर दी गईं। इससे श्रमिकों को खासा नुकसान हुआ। उनके पास कोई काम नहीं बचा और वे बेरोजगार हो गए। इस अवधि में कुछ औद्योगिक इकाइयों ने अपने श्रमिकों का भुगतान किया। ऐसी औद्योगिक इकाइयों की संख्या 271 है। इनमें 43612 श्रमिक कार्यरत थे। हालांकि, इससे कहीं अधिक श्रमिकों को इस अवधि का वेतन नहीं मिला। हरिद्वार में स्थापित 1335 इकाइयों में 307437 श्रमिकों को वेतन नहीं दिया। वहीं, ऊधमसिंह नगर की 1109 इकाइयों ने 223890 श्रमिकों को वेतन नहीं दिया।

भगवानपुर विधायक ममता राकेश के सवाल के लिखित जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ईएसआइ से भी वेतन मद में पैसे देने की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल सरकार के पास ऐसी कोई जानकारी  नहीं कि लॉकडाउन के बाद कितने श्रमिक बेरोजगार हुए हैं। विभाग के कार्य में श्रमिकों के आंकड़े एकत्र करने की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों की स्थिति

– पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां- 3432

– कुल कर्मकारों की संख्या- 681280

-जिन इकाइयों ने लॉकडाउन के कारण श्रमिकों को भुगतान किया – 271

-श्रमिकों की संख्या, जिन्हें भुगतान मिला- 43612

-जिन इकाइयों ने वेतन भुगतान नहीं किया- 3161

-श्रमिकों की संख्या जिन्हें वेतन भुगतान नहीं मिला- 637668