उत्तराखंड में वर्तमान सरकार को अभी बहुत कम समय हुआ है ,5 वर्ष के कार्यकाल के पश्चात ही हम सही आकलन कर सकते है,, न जाने क्यों सोसियल  मीडिया में  एक गाने के जरिये दुष्प्रचार किया जा रहा है ,बहुत कष्ट होता है जब प्रदेश के मुखिया के खिलाफ ही हम मुखर हो जाते है,,ये सम्मानित जनता के चुने हुए प्रतिनिधि है व विस्वास मत के बाद ही चुने गए है,, तो फिर ऐसी स्थिति क्यों,,, पूर्व में भी हम  कार्यकाल में भी यह सब देखते आये है,, जब ये मुख्यमंत्री पद में नहीं रहे तो फिर बाद में हमी कहते है इनका कार्यकाल अच्छा था,,, आखिर इसके पीछे कारणों पर भी जाना होगा,,, क्यों चुनावों के आसपास ही इस तरह के वीडियो वायरल होते है,,18 सालों का लेखा जोखा देखे तो इस प्रदेश की स्थिति के लिये हम भी जिम्मेदार है,, राज्य आंदोलन के समय जिस जल जंगल जमीन की बात हम करते थे हम ही उससे दूर हो गए है,,हमने पहाड़ से पलायन किया है ,हम केवल सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर हुए है स्वरोजगार की ओर उन्मुख नहीं हुए हम,,जिस गांव में आजभी कोई नवयुवक प्रधान है उस गांव में विकास धरातल पर दिखाई देता है,, सरकार तो योजनायें लाती है,, क्रियान्वयन कराना व देखना किसका दायत्व है,,आज राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ने वाले कहाँ है,, क्यों नहीं वह राज्य के विकास के मुद्दों पर सरकार से संवाद कायम नहीं करते,,राज्य बनने के बाद ऐसा नहीं कि विकास नहीं हुआ ,,विकास हुआ है लेकिन संभव है जनआकाक्षाओ के अनुरूप नहीं ,,,कब तक हम मुख्यमंत्री बदलते रहेंगे,इस राज्य को विकास के धरातल पर लाना है तो,,   सोच बदलनी होगी ,,प्रदेश हित मे दलगत राजनीति से व स्वार्थो से ऊपर आना होगा,,हर तिमाही सरकार व राज्य आंदोलनकरियो व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियो का प्रकोष्ठ गठन कर विकास के मुद्दों पर दशा व दिशा पर चर्चा व क्रियान्वयन होना चाहिए,, सरकार के विभिन्न योजनाओं का प्रचार प्रसार होना चाहिए,, ताकि योजनाओं का लाभ सही जगह तक पहुँचे,,, जैसे,,स्वरोजगार ,उन्नत बीज खेती पर्यटन,,आदि,,,आज उत्तराखंड के कई युवा स्वरोजगार से अन्य युवाओं को प्रेरणा दे रहे है,,, प्रदेश के विकास के लिए हम सभी को आगे आना होगा ,हमें ये भी सोचना होगा कि यहाँ की भौगोलिक परिस्थितिया भिन्न है आपदा समय समय पर यहाँ आती रहती है कहीं न कहीं जो विकास को अवरुद्ध करती है जिसके लिये उचित नियोजन व किर्यान्वयंन की जरूरत होती है,,,,साथ ही हमें स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की सीमाओं को भी समझना होगा,केवल सरकारो को कोस कर नामों की संज्ञा देकर डी0 जे0 में थिरकने से कुछ होने वाला नहीं,,, थिरकेंगे उस दिन हम जब अपनी जिम्मेदारी प्रदेश के विकास के साथ जोड़ेंगे,चाहे सरकार किसी की भी हो, अपने निजी स्वार्थो से ऊपर आएंगे,,राज्य के शहीदो के सपनों का उत्तराखंड जब हम बनाएंगे।
अरुण थपलियाल “काली”….✍️