577 हेक्टेयर वन जलकर हुआ खाक
देहरादून, 24 अप्रैल : उत्तराखंड राज्य में अभी गर्मी का सीजन शुरू ही हुआ है लेकिन गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक पहाड़ के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं करोड़ों की वन संपदा का नुकसान आग के कारण हो चुका है। सरकार और वन विभाग द्वारा आग की घटनाओं से निपटने की कोई पूर्व तैयारी नहीं की गई। जिसके कारण पर्यावरण व वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है।
नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने आज प्रदेश के जंगलों में लगी आग पर सरकार को घेरते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि 12 लाख की संपदा का नुकसान हुआ है लेकिन यह झूठ है उनका कहना है कि अब तक 480 वनाग्नि के मामले सामने आ चुके हैं जिसमें करोड़ों की वन संपदा का नुकसान हो चुका है। 577 हेक्टेयर जंगल जलने की बात तो वन विभाग ही कह रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीते 24 घंटे में ही राज्य भर में 46 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है। उनका कहना है कि जंगलों को हर साल वनाग्नि के कारण भारी नुकसान होता है लेकिन वन विभाग और सरकार द्वारा इससे निपटने के लिए कोई पूर्व तैयारी नहीं की जाती है। वन विभाग के अधिकारी मैनपॉवर व संसाधनों के अभाव का रोना रोते हैं और जंगल जलते रहते हैं।
इन दिनों पौड़ी के सिविल वन क्षेत्र में कई दिनों से जंगल धधक रहे हैं। खास बात यह है कि वन विभाग के पास आग बुझाने के लिए आदमी व संसाधन नहीं है। डीएफओ प्रदीप कुमार का कहना है कि ग्रामीणों से सहायता करने के लिए भी मुनादी कराई गई मगर ग्रामीण भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। उधर बागेश्वर के जंगलों में लगी आग भी नहीं बुझ पा रही है और अब वह सिंचाई विभाग के कार्यालय तक पहुंच गई है। जहां एक बड़ा पेड़ जलकर गिर गया। उधर अल्मोड़ा के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए क्षेत्र की सैकड़ो महिलाएं जुटी हुई है और वन विभाग का कोई आदमी दिखाई नहीं दे रहा है राज्य के तमाम हिस्सों में जंगलों में आग लगने से पहाड़ धुंआकृधंुआ हो रहा है।