देहरादून,28 अगस्त: शिकायत निवारण समिति के गठन के सम्बन्ध में लगी एक आरटीआई का जवाब देने से हुई किरकिरी के बाद अब कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने 21 अगस्त को एक और आदेश जारी किया है जिसमें सभी विभागाध्यक्षों को उच्च न्यायालय द्वारा 29 अगस्त 2018 को जारी किये गये आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है ।
गौरतलब है कि कार्मिक संगठनों के कार्यबहिष्कार व हडताल को लेकर दायर जनहित याचिका संख्या 115/2018 पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा 29 अगस्त 2018 को महत्वपूर्ण आदेश पारित किया गया था जिसमें कार्मिक संगठनों द्वारा की जाने वाली अवैध हडताल से निपटनें के लिए सरकार को दिये गये तमाम निर्देशों में से एक महत्वपूर्ण निर्देश यह भी है कि सभी विभागों में ” शिकायत निवारण समिति” का गठन किया जाय और हर तीसरे माह समिति की बैठक कर उन बैठकों में कार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी बुलाये ।
कार्मिक एवं सतर्कता विभाग द्वारा 29 दिसम्बर 2018 को सभी विभागाध्यक्षों को कोर्ट के इस आदेश का पालन करने हेतु आदेश जारी किये गये ।

विकास में बाधक हडतालों के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर हल्द्वानी स्थित बिठौरिया नम्बर 1 के देवकीबिहार निवासी रमेश चंद्र पाण्डे ने कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन भेजकर यह सूचना देने का आग्रह किया था कि राज्य के कितने विभागों में शिकायत निवारण समिति का गठन हुआ है और कितनों में नहीं ।
उक्त के जवाब में कार्मिक विभाग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा कहा गया कि ” सूचना का अधिकार नियमावली 2013 के नियम 5(ग) मे उल्लेख है कि यदि सूचना दो या अधिक विभागों से सम्बन्धित है तो ऐसी स्थिति में अनुरोध पत्र अन्तरित नही किया जायेगा । राय दी गई कि सम्बन्धित विभागों से पृथक पृथक आवेदन कर सूचना प्राप्त करें ।
कार्मिक विभाग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिये गये उत्तर पर गहरी हैरानी जाहिर करते हुए रमेश चन्द्र पाण्डे ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को भेजी अपील में कहा गया कि जिस नियम का हवाला देते हुए उन्हें सूचना के लिए हर विभाग का दरवाजा खटखटाने का सुझाव दिया गया है वह सरासर गलत है । कोर्ट के उक्त आदेश का परिपालन करने हेतु सरकार की ओर से जिस कार्मिक विभाग द्वारा सभी विभागों को आदेशित किया गया उसी का यह दायित्व है कि वह मानिटरिंग कर यह सुनिश्चित करे कि आदेश का पालन किसके स्तर से हो रहा है और किसके स्तर से नहीं ।
इस बीच उक्त अपील पर 7 अगस्त को हुई सुनवाई के बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी /उप सचिव आलोक कुमार सिंह द्वारा 17 अगस्त को आदेश जारी कर लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित किया है कि अपीलार्थी की सूचना से सम्बन्धित पत्रावली में रक्षित पत्राचार पत्रो की प्रति उन्हें उपलब्ध कराएं ।
श्री पाण्डे ने बताया कि कोर्ट के आदेश का परिपालन करने के सम्बन्ध में शासन द्वारा 21 अगस्त को जारी उक्त शासनादेश बिना किसी अग्रसारण पत्र के स्पीड पोस्ट से उन्हें भेजा गया है जिससे वे और भी हतप्रभ होकर रह गये हैं । उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा जारी उक्त आदेश को कल 29 अगस्त 2023 को मंगलवार के दिन पूरे पांच साल हो रहे हैं । इस आदेश की मानिटरिंग करने वाले कार्मिक विभाग ने इससे पूर्व कई मर्तबा विभागाध्यक्षों से कोर्ट के आदेश के परिपालन की स्थिति की सूचना देने को कहा गया लेकिन उक्त आदेश में इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं होने से साफ है कि विभाग को कोर्ट के आदेश के परिपालन की स्थिति का आंकलन करने में कोई दिलचस्पी नहीं है जबकि उसे चाहिये था कि कोर्ट के आदेश का परिपालन नहीं करने वाले विभागों को चिन्हित कर उनकी जवाबदेही सुनिश्चित कराता लेकिन इसके विपरीत जो औपचारिक आदेश जारी हुए हैं वह कोर्ट के आदेश का परिपालन करने की दिशा में सरासर हास्यास्पद और मजाक है । कहा कि पूरे मामले में राज्य सूचना आयोग को द्वितीय अपील भेजेंगे ।