नरेन्द्र नगर/ देहरादून,21 जनवरी: भाजपा द्वारा नरेंद्र नगर से सुबोध उनियाल का टिकट फ़ाइनल होने के बाद उस सीट पर उनके धुर विरोधी व उत्तराखंड राज्यान्दोलनकारी ओमगोपाल रावत भी मैदान में कूद पड़ें। 2017 में भाजपा जॉइन करने के बाद वह क्षेत्र में रह कर लगातार पार्टी लाइन पर काम कर रहे थे। यहाँ तक कि विगत दिनों माता कुंजापुरी के दरबार में वह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह के साथ आशीर्वाद लेने पहुँचे थे।
टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंडियों के ख़िलाफ़ असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल करने वाले चैम्पियन का टिकट कट सकता है तो यहाँ के विधायक द्वारा समस्त पहाड़ियों को हरामखोर कहना कैसे उचित हो गया। हमने पार्टी लाइन में रह कर भरसक प्रयास किया और उनके ख़िलाफ़ जनता में फैले असन्तोष को भी बताया था मगर शायद पैसे की चमक में उनकी बात फ़ीकी रह गई।
पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले ओम गोपाल अब कांग्रेस का दामन थामने जा रहे हैं। उन्होंने खुद कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की है।
ओम गोपाल पहली बार 2007 में सुबोध को हरा कर यूकेडी से विधायक बने थे। उसके बाद वह 2012 में उनसे चुनाव हार गए थे। 2017 से पहले उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी, लेकिन अंत समय में काँग्रेस की सरकार को गिराने के एवज में राष्ट्रवाद की बात करने वाली भाजपा ने यह सीट सुबोध उनियाल को भेंट कर दी। जिसके विरोध में ओमगोपाल निर्दलीय चुनाव में उतर गए थे और दूसरे स्थान और रहे।
बाद में पार्टी की मान-मुन्नवल के बाद पुनः बीजेपी में शामिल हो गए।
उन्हें पूरा भरोसा था कि इस बार पार्टी उन पर भरोसा करेगी, मगर भाजपा ने फिर से सुबोध पर भरोसा जता दिया। ऐसे में ओमगोपाल खुद को फिर से ठगा हुआ महसूस करने लगे और एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोकने की घोषणा कर दी।
ताजा घटनाक्रम के चलते अब काँग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से उनकी बात होने के बाद अब उन्होंने कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है।
हालांकि जब तक कांग्रेस की लिस्ट सामने नहीं आ जाती तब तक इंतजार ही किया जा सकता है। मगर इस सार्वभौमिक सत्य को कोई नहीं झुठला सकता कि आज की तारीख़ में नरेन्द्र नगर में अगर सुबोध उनियाल को कोई हरा सकता है तो वह इस पृथक राज्य की लड़ाई में गोली खाने वाले आन्दोलनकारी ओमगोपाल के अलावा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता।
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