-उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए क्षेत्रीय दल की जरुरत अधिक मगर, फिलहाल संभावना कम
-गति फाउंडेशन ने डेमोक्रेसी एंड सिटिजन इंगेजमेंट अभियान के अंतर्गत कराया गति टॉक का आयोजन
गति टॉक में प्रतिभाग करते प्रतिभागी। |
देहरादून, आगामी लोक सभा चुनाव को देखते हुए, रविवार को वसंत विहार क्लब में देहरादून स्थित गति फाउंडेशन द्वारा गति टॉक का आयोजन किया गया जिसमे गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अन्नपूर्णा नौटियाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई। डॉ. नौटियाल ने चुनाव से संबंधित अनेक मसलों पर अपनी बात रखी और लोगों के सवालों के उत्तर भी दिये।
डॉ. नौटियाल ने यह भी बताया की उत्तराखंड में एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल की सख्त जरूरत है, लेकिन फिलहाल यहां जो राजनीतिक परिस्थितियां हैं उन्हें देखते हुए निकट भविष्य में ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है और आने वाले वर्षों में भी यहां चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सिमटे रहने की संभावना है। अन्य प्रतिभागियों ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये। डॉ. नौटियाल ने अन्य देशों का उदाहरण देते हुए बताया की जब तक नोटा को राईट टू रिकॉल से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक इसका सार्थक उपयोग नहीं किया जा सकता है इस बात पर सभी प्रतिभागियों ने अपना पक्ष रखते हुए इस बात को सही ठ
हराया । गति फाउंडेशन के ऋषभ के सवालों के जवाब देते हुए डाॅ. नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड में एक राजनीतिक दल की सख्त आवश्यकता है जो यहां की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों की समझ रखता हो। यूकेडी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह दल एक बेहतर विकल्प हो सकता था, लेकिन अंतर्कलह के कारण यह पार्टी आज हाशिये पर है। विधानसभाओं और लोकसभा में महिला आरक्षण संबंधी मुद्दे पर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जनमुद्दे कहीं नहीं है, लिहाजा महिला आरक्षण का मुद्दा भी नहीं है। लेकिन, यह मुद्दा चुनाव में प्रमुख होना चाहिए और महिला आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। नोटा के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में नोटा की जो व्यवस्था की गई है, उसका कोई महत्व नहीं है। विश्व के जिन देशों में यह व्यवस्था है, वहां नोटा को राइट टॅ रिकाॅल के साथ जोड़ा गया है। ऐसे में नोटा का बटन दबाने से कोई लाभ नहीं होने वाला है।
इस टाॅक में 1996 से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव संबंधी विभिन्न तरह के डाटा पर भी बातचीत की गई। इस बातचीत में यह बात सामने आई कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों की तुलना में वोटिंग कम हो रही है और मैदान और पहाड़ का फासला बढ़ता चला जा रहा है। इस मौके पर ग्राफिक ऐरा, उत्तराखंड पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी और तुलाज सहित कई विश्वविद्यालयों और काॅलेजों के छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता डाॅ. नौटियाल ने कहा कि यूथ का वोट चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी में एक-एक वोट महत्वपूर्ण होता है। यह बात मायने नहीं रखती कि वह वोट किस पार्टी अथवा उम्मीदवार को दिया गया है। उन्होंने युवाओं से ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट डालने की अपील की। गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल से सभी का आभार व्यक्त किया। टाॅक का संयोजन गति फाउंडेशन के सूरज ने किया।