आओ इसे समझें

आप राष्ट्रभक्त हैं इसका आंकलन यदि आपको खुद करना हो तो किस तरह से करेंगे?
आप दुश्मन देश के राजनैतिज्ञों की आपके देश के विरुद्ध टिपण्णी पर आग बबूला होंगे। टीवी में चल रही इस खबर पर आप खुंदक में आयेंगे कि सरहद पर दुश्मन देश की सेना ने आपके सौनिकों पर घातक बमबारी की और कई सैनिक हताहत हो गए। आप इन खबरों पर गौरवान्वित होंगे कि आपके सैनिकों ने दुश्मन देश के कम से कम एक दर्जन सैनिकों को मौत के घात उतार दिया।
आप इस बात से  भी ख़ुशी के मारे पागल हो जाते हैं कि आपके देश की टीम ने दुश्मन देश की टीम को हरा दिया या फिर अमेरिका ने आपके दुश्मन देश को धमकाया। ये खबर आप केमन को बेहद सूकून देती होंगी। अगर ये  यह सारे लक्षण यदि आपमें हैं तो आप निसंदेह एक सच्चे राष्ट्र भक्त हैं।

परन्तु ठहरिये..
राष्ट्रभक्ति के इस स्वरुप में आप या तो किसी कारण से खुश हो रहे होते हैं या  गुस्से से भर जाते हैं इन  दोनों ही अवस्थाओं  में आप के करने को लिए  कुछ होता  ही नहीं है।

अब गौर कीजिये :
राष्ट्रवाद’ वह सिद्धांत है जिसमें सिर्फ अपने हितों को सबसे अधिक प्रधानता दी जाती इसमें  डूबा  व्यक्ति इस अवस्था से लगभग अप्रभावित ही  रहता  कि  आपने  देश में विश्व के सर्वाधिक कुपोषित बच्चे निवास करते हैं या विश्व की सर्वाधिक अशिक्षित महिलाएं आपके देश में हैं या महिलाओं पर सर्वाधिक जुर्म भी आपके देश में होते हैं या विश्व में सर्वाधिक बेरोजगारी वाले देशों में आप मूर्धन्य स्थान पर हैं या आपके देश में शिक्षा-स्वास्थ्य.समाज कल्याण पर पडोसी देशों से भी कम खर्चा किया जाता है आदि-आदि।

ध्यान से देखिये :
इन तथ्यों में कोई दुश्मन देश या बाहरी दुश्मन नहीं है.अतः ये तथ्य ना तो आपके लिए ख़ुशी के है और  ना गुस्से के सो यहाँ आपकी राष्ट्रभक्ति अपनी सुविधा अनुसार मौन हो जाती है।  असल में उपरोक्त वर्णित राष्ट्रभक्ति के लिए एक दुश्मन देश या दुश्मन का होना अति आवश्यक है जो अपने कृत्य से आपकी सोती हुई  राष्ट्र भक्ति को अचानक जगा कर आपको धन्य कर देता है। अपने देश की कमियों से विमुख रहना इसी तरह कि राष्ट्रभक्ति का पार्श्व परिणाम है। इस तरह की राष्ट्रभक्ति ही  सत्ताओं के लिए फायदे का सौदा है.
वे देश में व्याप्त कमियों के लिए सत्तानसीनो को जिम्मेदार ठहराए जाने वाली  जनता के सवालों से बच जाते हैं यह  देश में विद्यमान कमियाँ – कुप्रवृतियों को खुद ही सुधर जाने की मांग करते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं। यहीं आकर  स्थिति असुविधाजनक हो जाती है और लोगों को आपस में लड़वाती है।

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मूल्यांकन कीजिये

आपकी राष्ट्रभक्ति के लिए यदि दुश्मन देश या दुश्मन का होना आवश्यक है तो ये ही नकारात्मक अर्थों में राष्ट्रवाद है और यदि देश के मूल प्रश्नों पर आप सोचते हैं..चिंतित रहते हैं.देश में स्वास्थ्य शिक्षा, विषमता, कुपोषण..यदि आपके चिंता के प्राथमिक विषय हैं.. तो यह आपके अन्दर निहित राष्ट्रीयता का द्योतक है..राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता में यही अंतर है..
  जबकि ‘राष्ट्रवादी’ वह है जो अपने राष्ट्र या देश के कल्याण का पक्षपाती हो। राष्ट्रीयता का तात्पर्य है अपने राष्ट्र के विशेष गुण अथवा अपने राष्ट्र के प्रति उत्कट प्रेम।
डा0 एस. पी. सती