फैज़ की नज्म ‘हम जो तारीक राहों में मारे गए’ को वर्तमान संदर्भ के साथ देखने सुनने की जरुरत है. अपने घर को लौटते काफिले की जिस अनाम औरत ने कहीं किसी सड़क के किनारे जिस बच्चे को जन्म दिया, उस बच्चे को भारत का नाम देते हुए, जो सड़कों में मारे गए, उन अनाम चेहरों को समर्पित यह नज्म