पिछले 8 साल में लम्बित केसों में 110 प्रतिशत की वृद्धि
जजों की कमी से न्याय मिलने में हो रही देरी
उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी की उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा
देहरादून, 17 फरवरी : उत्तराखंड के न्यायालयों में पिछले 8 वर्षों में लम्बित केसों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गयी है। 31 दिसम्बर 2022 को उत्तराखंड के न्यायालयों में 3 लाख 53 हजार 206 केस लम्बित थे जिसमें 44512 केस हाईकोर्ट में तथा 3,0869 केस अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित थे।
यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी से उच्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित केसों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में लोेक सूचना अधिकारी ने अपने पत्रांक 562 दिनांक 6 फरवरी 23 के साथ 31 दिसम्बर 2022 तक केसों के विवरणों की प्रतियां उपलब्ध करायी हैं। इससे पूर्व भी प्रत्येक वर्ष उनके मांगने पर लोक सूचना अधिकारी सम्बन्धित वर्षो के विवरणों की फोटो प्रतियां उपलब्ध कराते रहे हैं।
नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार 31 दिसम्बर 2022 को उच्च न्यायालय में कुल 44512 केस लम्बित थे इसमें 25635 सिविल तथा 18877 क्रिमनल केस शामिल थे। उत्तराखंड के जिलों के अधीनस्थ न्यायालयों में कुल 308694 केस लम्बित थे, इसमें 37872 केस सिविल तथा 270822 केस क्रिमनल (अपराधिक) शामिल थे।
उपलब्ध कराये गये विवरणों के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 को कुल 168431 केस लम्बित थे जिसमें 110 प्रतिशत की वृद्धि होकर 31 दिसम्बर 2022 को लम्बित केसों की संख्या 353206 हो गयी। उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में 31 दिसम्बर 2014 को 23105 केस लम्बित थे जिनमें 93 प्रतिशत की वृद्धि होकर 44512 केस हो गये।
विवरणों के अनुसार लम्बित केसों में वृद्धि दर एक समान नहीं रही है। कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है तथा कुछ वर्षों में कमी भी हुई है। जहां वर्ष 2014 के अंत में (16843) केस, 2015 में 113 प्रतिशत (193298) वर्ष 2016 में 132 प्रतिशत (222952) वर्ष 2017 में 143 प्रतिशत (240040) वर्ष 2018 में 158 प्रतिशत (266387) वर्ष 2019 में कम होकर 2014 की तुलना में 137 प्रतिशत (230688) वर्ष 2020 में 171 प्रतिशत (287273) वर्ष 2021 में 195 प्रतिशत (328167) तथा 2022 में 2014 की तुलना में 210 प्रतिशत (353206) हो गये हैं।
उच्च न्यायालय में लम्बित केसों में वृद्धि दर अधीनस्थ न्यायालयों की अपेक्षा कम रही है। उच्च न्यायालय मेें 2014 के अंत में कुल 23105 केस लम्बित थे जो 2015 में 115 प्रतिशत (26680) वर्ष 2016 में 139 प्रतिशत (32004), वर्ष 2017 में कम होकर 130 प्रतिशत, (30022) वर्ष 2018 में 147 प्रतिशत (34049) वर्ष 2019 में 153 प्रतिशत (35407) वर्ष 2020 में 164 प्रतिशत (37923) वर्ष 2021 में 177 प्रतिशत (40963) तथा वर्ष 2022 में 193 प्रतिशत (44512) हो गये है। न्यायालयों में लम्बित केसों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण जजों की कमी माना जाता है। उत्तराखंड में उच्च न्यायालय में 11 स्वीकृत पद है जबकि 06 जज ही कार्यरत हैं जबकि अधीनस्थ न्यायालयों में सिविल जज (जू.डि.) के 108 में से 24 पद रिक्त हैं जबकि सिविल जज (सी.डि.) के 89 में से 4 पद रिक्त हैं तथा उच्च न्यायिक सेवा (जिला जज आदि) के 102 में से 3 पद रिक्त है।