श्रीनगर, 13 जून: उत्तराखंड सरकार ने जैसे ही जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ किया, वैसे ही ज्योतिर्मठ में भक्तों का तांता लग गया। इस दौरान मठ में मौजूद संतों और स्थानीय लोगों ने नाम परिवर्तन होने पर एक दूसरे को मिठाई खिलाई। जमकर आतिशबाजी की गई। इस दौरान लोग काफी खुश नजर आए।
इससे पूर्व कई बार स्थानीय लोग और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जोशीमठ का नाम परिवर्तन के पक्ष में रहे हैं। इस सम्बंध में कई बार सरकार से मांग भी की गयी थी। अब लोगों की इस मांग को मानते हुए जोशीमठ का नाम परिवर्तित कर ज्योतिर्मठ कर दिया गया है। ज्योतिर्मठ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ की अपनी एक धार्मिक महत्ता है। आदि गुरु शंकराचार्य की तप स्थली के साथ-साथ यहां का इतिहास बहुत प्राचीन है। मान्यता है कि 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य इस क्षेत्र में आए थे। उन्होंने अमर कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या की थी। इस तपस्या के फलस्वरूप उन्हें दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। दिव्य ज्ञान ज्योति और ज्योतेश्वर महादेव की वजह से इस स्थान को ज्योतिर्मठ का नाम दिया गया। लेकिन बाद में यह जोशीमठ के नाम से ही प्रचलित हो गया। इसके बाद नाम बदलने की मांग की बात प्रमुखता से उठती रही। हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका। अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनभावनाओं को देखते हुए जोशीमठ तहसील को ज्योतिर्मठ नाम देने का फैसला किया है।
इस दौरान ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी ने बताया कि ज्योतिर्मठ का इतिहास 2500 साल पुराना है। जब ज्योतिर्मठ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। ये मठ हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल है। इसे पहले से ही ज्योतिर्मठ के नाम से ही जाना जाता रहा है। पूर्व में भी कई बार नाम परिवर्तन की मांग उठाई गई थी। इस सम्बंध में नगर पालिका में कई बार प्रस्ताव भी लाये गए थे। लेकिन ये कार्य नहीं हो सका। अब उत्तराखंड सरकार ने नाम परिवर्तन कर दिया है। सरकार का ये फैसला स्वागत योग्य है। इससे पूरे जोशीमठ में खुशी का माहौल है।