अकाल मृत्यु के भय को दूर करने के लिए करें ‘यमुनोत्री’ मंदिर के दर्शन

यमुना देवी मंदिर में माता यमुना की काले रंग के पत्थर से बनी प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके निर्माण के संबंध में कहा जाता है कि 1919 में टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप शाह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है! यहां आपको पग -पग पर देवी देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे। इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे यमुनोत्री मंदिर की। यानी कि यमुना नदी का मंदिर। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में पड़ता है।

यमुना देवी का यह मंदिर हनुमान चट्टी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आपको जनक चट्टी जाना होगा, जहां से 6 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। तब कहीं जाकर आप मंदिर के दर्शन कर पाएंगे। हालांकि अब यहां पर भी खच्चर चलने लगे हैं और चलने में असमर्थ लोग आसानी से खच्चरों पर बैठकर मंदिर तक पहुंच पाते हैं। बता दें कि भारत में जिस प्रकार गंगा नदी को पवित्र माना जाता है, ठीक उसी प्रकार यमुना नदी को भी पवित्र माना जाता है। भारतीय जनमानस और शास्त्रों में गंगा -जमुना -सरस्वती तीनों नदियों को देव नदियों का सम्मान प्राप्त है।

क्या है मंदिर का इतिहास ?

यमुना देवी मंदिर में माता यमुना की काले रंग के पत्थर से बनी प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके निर्माण के संबंध में कहा जाता है कि 1919 में टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप शाह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। हालाँकि 19वीं शताब्दी में भयंकर भूकंप के कारण मँदिर ध्वस्त हो गया, जिसके बाद मँदिर के जीर्णोद्धार जयपुर की महारानी देवी गुलेरिआ ने कराया।

मंदिर को लेकर प्रचलित कथा

कहा जाता है कि यमुना देवी भगवान सूर्य की पुत्री हैं तथा मृत्यु के देवता यमराज की बहन हैं। जब देवी यमुना पृथ्वी पर नदी के रूप में अवतरित हुईं तो उन्होंने अपने भाई यम को छाया दोष से मुक्ति दिलाने के लिए घोर तपस्या की और अपने भाई को छाया दोष से मुक्त करा भी दिया। अपनी बहन यमुना के इस घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान यम ने कहा कि वह उनसे कोई भी वरदान मांग ले। तब देवी यमुना ने अपने भाई से कहा कि वह उनके नदी उनके जल को इतना स्वच्छ और निर्मल बना दें कि इस नदी के जल को पीने वाला कोई भी व्यक्ति शारीरिक रोगों से मुक्त हो जाए। तब यम देवता ने देवी यमुना को वरदान दिया कि यमुना नदी का जल पीने वाला कोई भी व्यक्ति शारीरिक कष्ट से मुक्त हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह वरदान दिया कि यमुना नदी में जो भी व्यक्ति स्नान करेगा अकाल मृत्यु से मुक्त रहेगा।

कैसे पहुंचे यमुनोत्री?

आप हवाई मार्ग से यमुनोत्री आना चाहते हैं, तो यहां पर निकटतम हवाई अड्डा आपको देहरादून मिलेगा। वहीं अगर आप रेल मार्ग से यमुनोत्री आना चाहते हैं तो आपको निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार के रूप में मिलेगा। यहां से आप निजी वाहन या किराए के टैक्सी से आसानी से यमुनोत्री तक का सफर पूरा कर सकते हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी 222 किलोमीटर है।

कब है आने का सही समय?

यमुनोत्री आने का सबसे सही समय मई से नवंबर के बीच का है। चूंकि मंदिर के कपाट मई से नवंबर तक के लिए ही खुलते हैं, उसके बाद अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे में अगर आप चार धाम की यात्रा पर यमुनोत्री आना चाहते हैं तो आप मई से नवंबर के बीच का समय चुनें।

 

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