टिहरी के स्पार्टकस (आदि विद्रोही) विद्यासागर नौटियाल

विद्यासागर नौटियाल का आज 86 वां जन्मदिवस

जिन्होंने कहा था –

हम लेखक हैं, भाड़े के टट्टू या किराए के सैनिक नहीं जो समाज को कहीं भी हांक ले जाएंगे। हम इसलिए लिखते हैं कि जो दिखाई नहीं दे रहा, वह दिखाई दे और जो सुनाई नहीं दे रहा वह सुनाई दे …………

जन्म – आज के दिन 29 सितम्बर, को रियासत टिहरी-गढ़वाल में भागीरथी के तट पर मालीदेवल गाँव में राजगुरु परिवार में आपका जन्म हुआ। पिता की दूसरी संतान थे। रियासत के दूरस्थ विद्यालय-विहीन वनों में रहते हुए वन अधिकारी पिता नारायण दत्त प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही देते रहे।

शिक्षा : प्रताप इंटर कालेज, टिहरी से हाई स्कूल, डी.ए.वी. कॉलेज, देहरादून से इंटर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.।

राजनीति – 13 वर्ष की आयु में सामन्ती सरकार ने भारत की आजादी के बाद 18 अगस्त 1947 को गिरफ्तार कर कॉलेज से भी निकाल दिया। शहीद नागेन्द्र सकलानी के साथ कार्य किया। 1957-58 में ऑल इंडिया स्टूडेन्ट फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित।  जवाहरलाल नेहरू ने दिया था कांग्रेस में आने का निमंत्रण। कांग्रेस की बजाय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। स्वाधीन भारत की जेलों में लगभग तीन वर्ष तक बन्दी। पहाड़ों में वनों के निर्मम संहार के विरुद्ध छेड़े गये ‘चिपको’ आंदोलन के प्रबल समर्थक। टिहरी ऋषिकेश में अनेक मजदूर संघों में कार्यरत। टिहरी की देवप्रयाग सीट से कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर 1980 – 85 विधायक बनें। 1989 में भाजपा में भी दिया था पार्टी में आने का निमंत्रण। आजीवन कम्युनिस्ट बने रहे।

कृतियाँ :

उपन्यास : उलझे रिश्ते, भीम अकेला, सूरज सबका है, उत्तर बयाँ है, झुण्ड से बिछुड़ा, यमुना के बागी बेटे।

कहानी-संग्रह : टिहरी की कहानियाँ, सुच्चि डोर, दस प्रतिनिधि कहानियाँ :- (उमर कैद, खच्चर सुच्ची डोर, भैंस का कट्या, माटी खायँ जनावराँ, घास, सोना, मुलज़िम अज्ञात, सन्निपात।) फगणू नहीं होते,

गढ़वाल विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल रही कहानी “सोना”

” फट जा पंचधार ” कहानी का देशभर में अनेकों बार नाट्य मंचन।,

आत्मकथ्य : मोहन गाता जाएगा।

कुछ साहित्यकारों द्वारा उन्हें हिंदी साहित्य का दूसरा प्रेमचंद भी कहा गया।

“पहल सम्मान” सन 2000
निधन : 18 फरवरी 2012

 

साभार – वरिष्ठ पत्रकार महिपाल सिंह नेगी