देहरादून, 20 मार्च : उत्तराखंड में राज्य सरकार के घाटे के बजट को पूरा करने के लिए अब आमजन पर महंगाई की मार का चाबुक पड़ने लगा है। देहरादून महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेकर आमजन को महंगाई के बोझ तले दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार की आर्थिक नीति पूरी तरह से फ्लॉप है। घाटे का बजट सरकार ने पेश किया। अब घाटा पूरा करने के लिए लोगों पर महंगाई का चाबुक चलाया जा रहा है। चाहे घर बनाने के लिए जमीन खरीदना हो, या फिर देहरादून से दिल्ली सफर करना हो। सभी में रेट बढ़ा दिए गए हैं। वहीं, अब बिजली और पानी के रेट बढ़ाने की भी तैयारी है। ऐसे में जनता पर चौतरफा महंगाई का हमला होने जा रहा है। कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे चुप नहीं रहेगी और जनता के साथ सड़क पर उतरेगी।
घाटे का बजट
लालचंद शर्मा ने एक बयान में कहा कि हाल ही में 17 मार्च को उत्तराखंड सरकार ने ग्रीष्मकालीन विधानसभा गैरसैंण में वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया गया और इसे पारित किया गया। सरकार ने पिछले साल की तुलना में 18 फीसद की वृद्धि के साथ 77407 करोड़ का बजट पेश किया। इसके लिए 24744.31 करोड़ रुपए सरकार अपने संसाधनों से जुटाएगी। फिर सवाल उठता है कि बाकी 52663 करोड रुपए सरकार कहां से जुटाएगी। इसका उल्लेख बजट में स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है। या तो सरकार अपने बाकी कामों को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज ले कर के फिर उत्तराखंड को कर्ज में डूबाने का काम करेगी। अब तो साफ है कि बिजली, पानी सहित अन्य मदों से राजस्व बढ़ाकर कुछ घाटे को पाटने का काम किया जा रहा है।
पानी की आपूर्ति लचर, कई जगह गंदा पानी, अब बढ़ेंगे रेट
लालचंद शर्मा ने कहा कि पानी की आपूर्ति राजधानी देहरादून में ही लचर है। कई स्थानों पर गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। वहीं, कई स्थानों पर एक बूंद पानी तक नहीं आ रहा है। अब प्रदेश सरकार एक अप्रैल से उत्तराखंड में पीने का पानी भी नौ से 15 फीसदी तक महंगा करने जा रही है। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
बिजली की भी पड़ने वाली है मार
लालचंद शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में एक अप्रैल से बिजली दरों में 12 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की सूचना मिल रही है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इस पर मुहर लगा दी है। आयोग 23 मार्च को बढ़ी हुई दरें जारी कर देगा। ऐसे में उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार दोहरी पड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 2022 में बिजली की दरों में तीन बार वृद्धि की गई थी। पिछले साल उत्तराखंड में एक साल में 26 पैसे से लेकर 1.11 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली के दर में तीन बार बढ़ोत्तरी की गई थी। एक अप्रैल से बिजली की दरों में 2.68 फीसद की वृद्धि हुई। सितंबर में 3.85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बाद अक्टूबर में सात पैसे प्रति यूनिट बढ़ाए गए। अब फिर से रेट बढ़ने से लोगों की परेशानी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राजधानी देहरादून में बिजली की लचर आपूर्ति किसी से छिपी नहीं है। बार बार बिजली जाने से लोग परेशान हैं।
मकान बनाना भी हुआ मुश्किल
उन्होंने कहा कि राज्य में जमीन के सर्किल रेट में 33.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी पहले ही की जा चुकी है। सर्किल रेट में औसत बढ़ोतरी 33.6 प्रतिशत है। कृषि की जमीनों की दरों में 32.47 और अकृषि जमीनों की दरों औसत 34.83 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अब कोई आम व्यक्ति अपना मकान बनाने के लिए दस बार सोचेगा। कौन का ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार जनता को निचौड़ नहीं रही है।
बसों का पहले ही बढ़ा दिया गया किराया
उन्होंने कहा कि पिछले महीने उत्तराखंड की यूपी से होकर गुजरने वाली बसों का किराया बढ़ा दिया गया था। परिवहन निगम ने 13 ऐसे रूटों पर किराये में पांच रुपये से लेकर 60 रुपये तक की बढ़ोतरी लागू की है। ऐसे में देहरादून से दिल्ली का सफर भी महंगा हो चुका है। उन्होंने कहा कि चौतरफा महंगाई से जनता त्रस्त हो चुकी है। वहीं, केंद्र की ओर से भी महंगाई का डबल इंजन का चाबुक चल रहा है। रसोई गैस का घरेलू सिलेंडर अब देहरादून में 1122 रुपये का हो चुका है। ऐसे में अब रसोई का बजट भी पूरी तरह से बिगड़ चुका है। वहीं, वर्ष 2014 से पहले सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी। वहीं तब पेट्रोल की कीमत 36.81 रुपये थी, जो अब सौ रुपये के करीब है। आठ साल में केंद्र और राज्य सरकारों ने जनता को बेहाल कर दिया है।
बच्चों की स्टेशनरी के बजट पर भी जीएसटी की मार
लालचंद शर्मा ने कहा कि कागज और स्याही पर जीएसटी बढ़ने से बच्चों की शिक्षा का बजट भी बिगड़ चुका है। स्टेशनरी के रेट 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीं कक्षा का बैग अब आठ हजार रुपये में तैयार हो रहा है, जबकि वर्ष 2014 में डेढ़ से दो हजार रुपये इसकी कीमत थी।
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