सरकार गिरनी हो, शराब बेचनी हो या खनन नीति से जुड़ा कोई मसला हो ! बस इन्ही कामों के लिए तत्पर दिखती है सरकारी अधिवक्ताओं की फौज

देहरादून, 21 मई : नर्सिंग भर्ती परीक्षा में अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के विरुद्ध संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ ने मोर्चा खोल दिया है। महासंघ ने सरकार से अन्य राज्य के अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर करने की मांग की है ।

बैठक कर बनाई रणनीति

संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ की एक आपातकालीन बैठक जॉली ग्रांट स्थित भागीरथी होटल आयोजित की गई। नर्सिंग भर्ती में बाहरी राज्यों के आवेदकों को रोकने के लिए संगठन द्वारा आगे की रणनीति बनाई गई । संगठन के प्रदेश अध्यक्ष हरिकृष्ण बिजलवान द्वारा बताया गया कि आज पूरे प्रदेश से सैकड़ों नर्सिंग अधिकारी जो कि संविदा, उपनल, एनएचएम और आउट सोर्स, प्राइवेट अस्पतालों में वर्षों से कार्यरत हैं इन पदों पर पहला अधिकार उनका बनता है। ऐसे में उन लोगों योगदान को दरकिनार करते हुऐ बाहरी राज्यों के लोगों को भर्ती कराया जाना बेहद शर्मनाक है। हम लोग पिछले 12 वर्षों से सड़कों पर इस भर्ती की खुलवाने के लिऐ संघर्षरत रहे, जिसके बाद हमारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत से वार्ता के बाद 3000 पदों पर वर्षवार भर्ती होने की मांग पूरी हुई। जिसके तहत वर्तमान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 1564 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है जिसे चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा कराया जा रहा है।

विगत 15 मई को चयन बोर्ड द्वारा अभिलेख सत्यापन के लिए जारी कैलेंडर के माध्यम से पता चला कि इस भर्ती प्रक्रिया में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को भी अभिलेख सत्यापन के लिए बुलाया जा रहा है। जिसका संगठन लगातार विरोध करता रहा है। इस मसले पर संगठन द्वारा विगत दिवस में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री धामी को इस समस्या से अवगत कराया जा चूका है जिस पर उनके द्वारा मौखिक आश्वासन दिया गया है कि नर्सिंग भर्ती में केवल उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को ही लिया जाएगा।

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इसके बाद बिजलवान ने सरकारी अधिवक्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद से यह लोग सरकार से सिर्फ़ मोटी मोटी रकम ही लेते रहें हैं, प्रदेश के हितों से जुड़े मुद्दों पर पर भी कभी भी खड़े होते नहीं दिखते। इस संवेदनशील मुद्दे पर भी मा0 न्यायालय ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया था किंतु 16 हफ्ते बीत जाने के बाद भी जवाब दाखिल नहीं किया गया, जिसके बाद माननीय न्यायालय द्वारा बाहरी राज्यों के आवेदकों को प्रोविजनल परमिट कर दिया गया इससे पूर्व भी इन निक्कमे अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते राज्य आंदोलनकारियों को मिलने वाले 10% क्षेतीज आरक्षण आज तक रोक लगी हुई है। इनकी उदासीनता के चलते प्रदेश के बेरोजगार सड़कों पर है और सरकार कटघरे में।

आज आपातकालीन बैठक कर सरकार से पुरजोर मांग की है इन पदों पर सिर्फ़ स्थानीय लोगो का ही अधिकार है अतः बाहरी राज्यों के आवेदकों को चयन प्रक्रिया से बाहर करने, शेष बचे 1400 पदों पर भर्ती में मूल निवास की शर्त को अनिवार्य किया जाये। जिन लोगों ने इस भर्ती में फर्जी स्थाई निवास बनाकर आवेदन किया है उनकी गहनता से जांच करते हुए उनके आवेदन निरस्त करते हुए विधिक कार्यवाही की जाएं।

अंत में अध्यक्ष ने प्रदेश के सभी नर्सिंग अधिकारियों के अपनी मांगों को पूरा होने तक एकजुट रहने को प्रतिज्ञा लेते हुए निर्णय लिया गया कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ही कोई कार्यवाही नहीं हुई तो एक बड़ी रैली निकाल कर सरकार को नींद से जागने का जन जागरण चलाया जाएगा। इस आपातकालीन बैठक में देहरादून के आसपास जिलों से बड़ी संख्या में नर्सिंग अधिकारी पहुंचे थे, बाक़ी दूरस्थ क्षेत्रों के साथियों द्वारा दूरभाष के माध्यम से अपने समर्थन व भविष्य में होने वाले प्रदर्शन में साथ खड़े होने का वादा किया।

आज की बैठक में संगठन के कोषाध्यक्ष रवि सिंह रावत, उपाध्यक्ष पुष्कर जीना, सचिव गोविंद सिंह रावत, भरत चौहान, गजेंद्र नेगी, विनोद नयाल,पवन कुमार, महिपाल सिंह, गिरीश डंगवाल, योगेश मठपाल, प्रवीन रावत, अरविंद चौहान, अनिल रमोला, जगदीप, प्रमोद, सुनील,प्रीतम, शैलेश राणा, हिमांशु रावत, रहेश चौहान, नीरज वर्मा ,आशीष राणा, हेमा, अलका, निशा, मोनिका, हेमा आर्य, कविता धामी, दीपिका साहू, मीनाक्षी, सुमन, रजनी, शीतल मोनिका एकता विजय लक्ष्मी, शर्मिला राखी, सारिका, निधि सोनी अर्चना, अमिता, प्रियंका, साक्षी, प्रियंका पूजा हिमानी रचना सोनम पूनम सपना रंजना आशा लोकेंद्र दीपक प्रभा स्वाति, दिनेश अजय, राधा कृष्ण, रोहित, विशाल यशपाल आदि नर्सिंग बेरोजगार उपस्थिति थे।