मुकदमा क्यों दर्ज किया त्रिवेंद्र भैजी निरंतर जनपक्ष में सड़क, बिजली, सुरक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, यातायात, गैरसैंण राजधानी के लिए आवाज उठाने वाले इंद्रेश मैखुरी को तो सीधे फाँसी चढ़वा दो, न जाने कहाँ कहाँ से खोदकर सच्चाई ढूंढ लाता है, लेखनी व संवाद की क़ाबलियत ऐसी की सरकार को सरेआम चौराहे पर ही नहीं फेसबुक, यूट्यूब, ट्वीटर,नुक्ता-ए-नजर ब्लॉग, व्हाट्सअप हर जगह नंगा कर बेनकाब कर देता है, इस आदमी को खुला छोड़ देना भाजपा जैसी देशभक्त पार्टी की सेहत के लिए अच्छी बात नहीं है! और खाली इंद्रेश ही क्यों वे सभी जो कर्णप्रयाग घाट मोटर मार्ग के लिए पिछले तीन माह से आंदोलित हैं, जिनपर आपकी मित्र पुलिस ने गैरसैंण सत्र में वार्ता की जगह दिवालिखाल में रोककर पहले वाटर केनन से ठन्डे पानी की बौछार की, इतने से जी नहीं भरा तो पुलिस ने पुरुषों को ही नहीं बल्कि माँ-बहनों तक के लाठी डंडों से हाथ पांव सर फोड़ दिए, बात यहाँ भी नहीं रुकी, सड़क की माँग करना इतना बड़ा गुनाह हो गया कि उसके बाद उन्हें पत्थरबाज, आन्दोलनजीवी, देशद्रोही कहकर बदनाम किया गया, बात यहाँ भी नहीं रुकी अब सत्ता की हनक ने सड़क की माँग कर रहे तीन माह से आंदोलित आंदोलनकारियों व उनका समर्थन करने वाले भाकपा माले नेता इंद्रेश मैखुरी, व्यापार सभा के अध्यक्ष चरण सिंह, सुखवीर रौतेला, मनोज कठैत, गुड्डू लाल, दीपक रतूड़ी, मुकेश नेगी, हरिकृष्ण भट्ट, राजेंद्र नेगी, संदीप भंडारी, योगेंद्र बिष्ट, राजेंद्र नेगी, दान सिंह नेगी, इंदु देवी, राजेश्वरी देवी, मोहन काला, मोहन भंडारी, शिवलाल स्नेही, पूरन भंडारी, दिनेश रावत, कौशल्या देवी, महेश त्रिकोटी, लक्ष्मण राणा, अर्जुन सिंह, हरीश रावत, वीरेंद्र सिंह रावत, आलम सिंह, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, रघुलार फर्सवाड़, दिनेश नेगी, खर्ष वर्धन देवराड़ी, रणजीत सिंह बिष्ट, बसंती बिष्ट, नवीन, दर्शन सिंह और कृष्णा मैंदोली सहित 38 लोगों पर 14 धाराओं में मुकदमें दर्ज कर दिए! इस सबको देखकर मुजफरनगर, खटीमा, मसूरी, श्रीयंत्रटापू कांड के जख्म खुलने लगे हैं!

कुल मिलाकर गलती अवाम की है जो सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, व्यापार, खेती, बागवानी महँगाई आदि जीवंत विषय छोड़कर प्लांट किये गए बेकार के पाकिस्तान, चीन, अंधराष्ट्रवाद, आस्था, जाति, धर्म के नामपर प्रतिनिधि चुनती है, झंडे डंडे किराए पर लाये गए फ़िल्मी हीरो, खिलाड़ियों, टीवी कलाकारों के कहने पर अपना वोट करने का निर्णय लेते हैं और खनन माफिया, भू माफिया, शराब माफिया, शिक्षा माफ़िया, चिकित्सा माफ़िया, बेमान भ्रष्ट ठेकेदार आदि चुनकर विधानसभा लोकसभा भेज देते हैं और फिर 5 साल रोते हैं, इंद्रेश जैसे लोग जिन्हें एकतरफ़ा जीतकर विधानसभा लोकसभा पहुँचना चाहिए वे जमानत बचाने तक भी मत हाशिल नहीं कर पाते हैं मगर फिर भी वो अवाम के लिए डटे रहते हैं, पर ये कब तक चलेगा?

इंद्रेश जैसे कर्मठ, विजनरी योग्य उम्मीदवार हज़ारों लाखों में एक पैदा होता है और ऐसे लोगों को अवसर न देकर अवाम असल में कुल्हाड़ी पर पाँव रख लेती है! एक बार फिर आपके सामने अवसर आ रहा है इंद्रेश व इंद्रेश जैसे लोगों को चिन्हित करो और जनता की दावेदारी आगे बढ़ाओ!

साभार – भार्गव चन्दोला