यूँ तो आकाश गंगा में ऐसे कई रहस्य मौजूद है। हाल-फिल्हाल इंसानी समझ से परे है। ब्रहमाण्ड तो क्या हमारी धरती पर ही ऐसा बहुत कुछ है जोकि विज्ञान की समझ से भी परे है। खुद हिमालय क्षेत्र में ही ऐसे कई स्थान है जिनके विषय में विज्ञान भी आज तक कुछ नही जान पाया।

सदियों से ऐसा कहा जाता है कि यदि इस पृथ्वी पर आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र है तो वह शंग्रीला घाटी ही है। संग्रीला घाटी तिब्बत और अरुणाचल की सीमा पर स्थित है। पृथ्वी के वायु मंडल में बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां वायु शून्य रहती है।
ठीक उसी तरह धरती पर भी ऐसे अनेक स्थान है जो कि भू-हीनता के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। भू हीनता और वायु शून्यता वाले स्थान वायुमंडल के चौथे आयाम से प्रभावित होते हैं।
ये वो स्थान होते हैं जहां कोई वस्तु या व्यक्ति चला जाय तो इस तीन आयाम वाले स्थूल जगत में उसका अस्तित्व लुप्त हो जाता है। यानी वह वस्तु इस दुनिया से गायब हो जाती है।
शंग्रीला घाटी भी भू हीनता और चौथे आयाम से प्रभावित होने के कारण रहस्यमयी बनी हुई है। इस घाटी को बिना किसी तकनीकी की सहायता से देखना असंभव है। मान्यता है कि इस घाटी का संबंध अंतरिक्ष के किसी लोक से है।
संग्रीला घाटी के बारे में एक प्राचीन किताब ’काल विज्ञान’ में उल्लेख मिलता है। तिब्बती भाषा में लिखी यह किताब तवांग मठ के पुस्तकालय में आज भी मौजूद है। पुस्तक में वर्णित है कि इस तीन आयाम वाली दुनिया की हर चीज़ देश, काल और निमित्त से बंधी हुई है।
लेकिन शंग्रीला घाटी में काल नगण्य है। वहां प्राण, मन और विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है। शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
यहां आयु भी बहुत अति धीमी गति से बढ़ती है। मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति ने इस घाटी के क्षेत्र में 25 वर्ष की उम्र में प्रवेश किया है तो उसका शरीर लंबे समय तक युवा बना रहेगा। यह घाटी स्वर्ग तो नहीं लेकिन स्वर्ग जैसी ही है।
शंग्रीला घाटी ठीक वरमुडा त्रिभुज की तरह ही है। यह वह स्थान है जो समुद्र में जहां पानी का जहाज या उसके ऊपर आकाश में हवाई जहाज पहुंच जाए तो वह वह गायब हो जाता है।
एक तिब्बती लामा नामक लोनछन तुलका रिनपोछे शंग्रीला घाटी के खोज में वहाँ गए थे।
धरती की ऐसी जगह जहाँ महामुनि तपस्या में आज भी लीन है…..
शंग्रीला घाटी के बारे में हम सबने कही न कही सुना ही होगा। कुछ लोगो के अनुसार यही सिद्धाश्रम है तो कुछ लोग मानते है की धरती पर दूसरे आयाम की एक कड़ी है शंग्रीला घाटी। हमने कई बार सुना है की हिमालय में आज भी एक ऐसी जगह है जो आमजन से बिलकुल परे है और सामान्य इंसान वहां तक पहुँच नहीं सकता सिर्फ 3 तत्वो से युक्त शरीर या कोई योगी और सिद्ध ही वह तक पहुँच सकता है।
सच बहुत कम लोग जानते है मगर जिन लोगो ने काल विज्ञान पुस्तक में इसका अनुभव किया है उनके अनुसार शंग्रीला घाटी धरती पर वह स्वर्ग है जहा पर उम्र थम जाती है। दूसरे आयाम के साथ ही ये सिद्धाश्रम है जहा पर उच्च श्रेणी के सभी संत आज भी तपस्या रत है।”
शंग्रीला घाटी के बारे में हम बात करते है तो हमारे मन में ये सवाल होता है कि आखिर धरती पर दूसरे आयाम जैसा कुछ कैसे है जो सामान्य दृस्टि से ओझल है। संग्रीला घाटी का रहस्य हमारे धरती पर ही स्थित है भारत और तिब्बत के मध्य एक गुप्त स्थान है जहाँ पर आज भी सभी दिव्य जड़ी बूटिया विद्यमान है।
प्राचीन काल में जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब श्री हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लायी गई थी वो भी शंग्रीला घाटी का ही एक भाग था इस हिसाब से अनुमान लगा सकते है की ये हिमालय का ही एक भाग है जो वर्तमान में तिब्बत और भारत की सीमा पर है। सबसे बड़ी बात चीन भी शायद इस बात से अनभिज्ञ नहीं है इसीलिए वो इस पर कब्ज़ा ज़माने के लिए आजकल भारत पर दबाव बना रहा है।

वैज्ञानिकी रहस्य ……..


जिस प्रकार वायु मंडल में बहुत से स्थान हैं जहाँ वायु शून्यता रहती है, उसी प्रकार इस धरती पर अनेक ऐसे स्थान है जो भू-हीनता के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। भू-हीनता और वायु शून्यता वाले स्थान चौथे आयाम से प्रभावित होते हैं। ऐसे स्थान देश और काल से परे होते हैं। यदि उनमें कोई वस्तु या व्यक्ति अनजाने में चला जाय तो इस तीन आयाम वाले स्थूल जगत में उसका अस्तित्व लुप्त हो जाता है। वह वस्तु इस दुनिया से गायब हो जाती है।
ऐसी ही तिब्बत और अरुणांचल की सीमा स्थित शंग्रीला घाटी है। लेकिन भू हीनता और चौथे आयाम से प्रभावित होने के कारण वह घाटी अभी तक रहस्यमयी बनी हुई है। वह इन चर्म चक्षुओं से दिखाई नहीं देती है। ऐसा माना जाता है कि इस घाटी का सम्बन्ध अंतरिक्ष के किसी लोक से है।
इस विषय से सम्बंधित एक प्राचीन पुस्तक है- काल विज्ञान। तिब्बती भाषा में लिखी यह पुस्तक तवांग मठ के पुस्तकालय में विद्यमान है। काल विज्ञान के अनुसार इस तीन आयाम वाली दुनियां की हर चीज़ देश,काल और निमित्त से बंधी हुई है। लेकिन संग्रीला घाटी में काल नगण्य है। वहां प्राण,मन और विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है। शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

शंग्रीला घाटी का रहस्य-उम्र जैसे थम जाती है……..
काल की नगण्यता के फलस्वरूप वहां आयु अति धीमी गति से बढ़ती है। यदि किसी व्यक्ति ने उसमे 25 वर्ष की उम्र में प्रवेश किया है तो उसका शरीर लंबे समय तक युवा बना रहेगा।
स्वर्गीय वातावरण में डूबी हुई यह घाटी एक कालंजयी की इच्छा सृष्टि है। जो लोग इस घाटी से परिचित हैं उनका कहना है कि प्रसिद्द योगी श्यामा चरण लाहिड़ी के गुरु अवतारी बाबा जिन्होंने आदि शंकराचार्य को भी दीक्षा दी थी, शंग्रीला घाटी के किसी सिद्ध आश्रम में अभी भी निवास कर रहे हैं। जब कभी आकाश मार्ग से चल कर अपने शिष्यों को दर्शन भी देते हैं।

शंग्रीला घाटी में है तीन मठों का अस्तित्व……
यहाँ के तीन साधना केंद्र प्रसिद्द हैं।
पहला है-“ज्ञानगंज मठ”,
दूसरा है-“सिद्ध विज्ञान आश्रम” और
तीसरा है- ”योग सिद्धाश्रम”।

यहाँ पर दीर्घजीवी, कालंजयी योगी अपने आत्म शरीर से निवास करते हैं । सूक्ष्म शरीर से विचरण करते हैं और कभी कदा स्थूल शरीर भी धारण कर लेते हैं। स्वामी विशुद्धानन्द परमहंस जो सूर्य विज्ञान में पारंगत थे ज्ञानगंज मठ से जुड़े हुए थे।
इस शंग्रीला घाटी में रहने वाले योगी आचार्य गण संसार के योग्य शिष्यों को खोज खोज कर इस घाटी में लाते हैं और उन्हें दीक्षा देकर पारंगत बना कर फिर इसी संसार में ज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए भेज देते हैं।
इन तीनों आश्रमों के आलावा वहाँ तंत्र के भी अनेक केंद्र हैं जहाँ उच्च कोटि के कापालिक और शाक्त साधक निवास करते हैं। इसी प्रकार बौद्ध लामाओं के भी वहां मठ हैं। उनमें रहने वाले साधक स्थूल जगत के निवासियों से अपने को गुप्त रखे हुए हैं।