देहरादून, शांति फाउंडेशन सोसाइटी देहरादून व वीर गोर्खा कल्याण समीति देहरादून द्वारा आगामी 24 नवम्बर को प्रातः 6.30 बजे खलंगा द्वार नालापानी देहरादून में ‘द खलंगा ब्रेवरी वॉक ’ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें स्कूली विद्यार्थियों के अलावा काफी संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। यह जानकारी भूपेन्द्र अधिकारी, शांति फाउंडेशन सोसाइटी के अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि गोरखा सैनिकों ने जंग के मैदान में हमेशा शौर्य गाथा लिखी है, जिसकी सबसे बड़ी मिसाल देहरादून के खलंगा युद्ध को माना जाता है। 1814 में देहरादून के नालापानी के समीप खलंगा पहाड़ी पर महज 600 गोरखा सैनिकों ने हजारों की तादाद वाली अंग्रेज फौज जोकि उस समय के अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे, को नाकों चने चबवा दिए थे। खलंगा स्थित किले को बचाने के लिए लड़ रहे गोरखा सैनिकों ने एक हजार से ज्यादा अंग्रेज अफसरों और सैनिकों को मार डाला था। गोरखा सैनिकों के पास हथियारों के नाम पर सिर्फ खुंखरियां ही थी, जबकि अंग्रेज फौज बंदूकों और तोप से लैस थी। अंग्रेज फौज के कमांडर भी इस लड़ाई में मारा गया। इस युद्ध में गोरखा सैनिकों की बहादुरी को अंग्रेजों ने भी पूरा सम्मान दिया। उन्होंने 1815 में गोरखा रेजिमेंट की स्थापना की। भारत के साथ ही इंग्लैंड में भी गोरखा रेजिमेंट का होना गोरखा सैनिकों के महत्व को बताता है। इसके साथ ही अंग्रेजों ने देहरादून की सहस्त्रधारा रोड पर खलंगा शहीदों की याद में एक स्मारक बनवाया था। पत्रकार वार्ता में वीर गोर्खा कल्याण समीति (रजि.) के अध्यक्ष श्रवण सिंह प्रधान, उपाध्यक्ष सूर्य विक्रम शाही, शांति फाउंडेशन सोसाइटी (रजि.) के अध्यक्ष भूपेन्द्र अधिकारी, पूर्वा सिंह, विशाल थापा, कमल थापा, उर्मिला तमांग, टेकु थापा, सुनिल खत्री, देविन शाही व श्रीमती देवकला दिवान आदि उपस्थित रहे।