टिहरी। इन दिनों टिहरी झील के आसपास सभी होमस्टे व कैम्प कॉटेज तथा सरकारी-अर्द्ध सरकारी गेस्ट हॉउस पूरी तरह से पर्यटकों से गुलजार हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से जहां होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों के चेहरे खिले हुए हैं, वहीं इससे जुड़े रोजगार से लोगों की आमदनी में बढोतरी हुई है।
आजकल टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी पुल पर पर्यटकों की आवाजाही से क्षेत्र में रौनक बनी हुई है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से होटल, रेस्टोरेंट सहित अन्य रोजगार से जुड़े लोगों के चेहरे पर खुशी का भाव है। लेक व्यू होमस्टे के मालिक कुलदीप पंवार बताते हैं कि, जब से उन्होंने टिहरी झील के पास होमस्टे व कैंप का काम शुरू किया है, हमेशा पर्यटको से बढ़ोतरी हो रही है। और इन दिनों सारे होम स्टे फुल चल रहे है। साथ ही पर्यटकों को लुभाने के लिए गढ़वाल का गढ़ भोजन, ट्रैकिंग के दौरान जंगल में पर्यटकों से ही भोजन बनाना, गांव में गाय का दूध निकलवाना, खेती करवाना सहित गढ़वाली व्यंजन बनवाना आदि पर्यटकों को काफी भा रहा है। पर्यटक दशहरे की 2 या 3 दिन की छुट्टी लेकर गांव में डटे हुए हैं। गढ़वाल की वेशभूषा में गांव वालों ने ढोल नगाड़ों के साथ बैठकों का स्वागत किया। ग्राम तिवाड़ गांव में पर्यटको को रात्रि ढोल नगाड़े से स्वागत किया जा रहा है।

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दिल्ली, गुड़गांव, हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, चंडीगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, कोलकाता से आए पर्यटक टिहरी झील को देखकर अति उत्साहित हैं। साथ में ग्रामीणों की ओर से किए जा रहे स्वागत-सत्कार से भी पर्यटकों में खुशी है। गुड़गांव निवासी एमके तिवारी बताते है उनका जन्म दिल्ली में हुआ है, और वह पहली बार उत्तराखंड घूमने आए हैं। इस दौरान उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति को भी जानने का नजदीक से मौका मिला। बताते हैं कि अपने 32 सदस्यों के दल के साथ तिवाडगांव में रहना अलग अनुभूति है, जिसे वह कभी भुला नहीं सकते। आने वाले समय में वह लोगों को फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर ,यूट्यूब आदि माध्यमों से टिहरी झील वाले होमस्टे कैंप को भी प्रमोट करने का कार्य करेंगे। स्थानीय निवासी कुलदीप पंवार का कहना है कि यदि सरकार तिवाड़गांव को पर्यटन गांव घोषित करे, तो यहां पर पर्यटन की और भी अपार संभावनाएं हैं। जैसे गांव में के रास्तों को दुरुस्त करना, पानी की सुविधा को बढ़ाना, झील तक जाने के मार्ग को बढ़ाना, गांव के आसपास भी बोटिंग प्रारंभ करवाना, एग्रीकल्चर के हिसाब से खेती करवाना, गांव में सुंदरलाल बहुगुणा के नाम पर म्यूजियम बनाना, बिजली की उचित व्यवस्था करना इत्यादि कारणों से पर्यटको को 32 होमस्टे और भी लुभा सकते हैं।