उत्तरांचल प्रैस क्लब पहुँचने पर
प्रैस क्लब उत्तरांचल,देहारादून मे अपने साथियों के साथ तब्बसुम अली का स्वागत करते प्रेम बौखंडी

देहरादून: 22 अक्टूबर, 2019: 82 दिन 44 हज़ार किलोमीटर की यात्रा, एकल महिला की चुनौतियाँ व समाधान के प्रति जनजागरण यानि “Singal Women Right” के लिए पटना से मोटर साइकिल भारत भर की यात्रा पर निकली अकेली महिला साथी तब्बसुम अली  का अभिनन्दन,  देहरादून के साथियों संग उत्तरांचल प्रेस क्लब, देहरादून, उत्तराखंड में किया गया ।  तब्बसुम के जज्बे को सलाम करते हुए आपको बताना चाहूँगा कि जिंदगी के थपेड़ों से तबस्सुम तब्बसुम कैसे बनी होंगी ये उनके एक पुरुष के साथ 7 साल शादी के बाद तलाक फिर एक और पुरुष के साथ 10 साल लिविंग रिलेशन में रहने के बावजूद महिलाओं को इंसान न समझने की दर्दनाक पीड़ा से समझा जा सकता है, पृत्त सत्ता में महिलाओं को आज भी एक वस्तु समझे जाने के कारण हिम्मत व हालात से लड़कर अपनी एक अलग पहचान बनाने का जज्बा जूनून रखने वाली तबस्सुम आज बिना किसी दलबल, बिना किसी सरकारी सहारे के भारत भ्रमण पर एक योद्धा के माफ़िक बुलेट पर निकली हैं, ये उन सभी महिलाओं के लिए अँधेरे में दिया जलाने के समान है जो अपने अधिकारों के प्रति डटकर सामना करने के बजाये जुर्म व शोषण के प्रति आवाज उठाने के बजाये घुट घुट कर अन्धकार में गुमराह जीवन जीने को मजबूर हैं।

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बाइक सर्विस सेंटर मे छोड़ते हुए तब्बसुम अली

मेरा स्पष्ट मानना है महिलाओं/बेटियों को अपने अधिकारों के लिए डटकर समाजिक कुरीतियों को दरकिनार कर पैतृक संपत्ति पर कानून से प्राप्त अधिकारों का संज्ञान रखते हुए बेटों की तरह सम्पति पर पूरे अधिकार के साथ अपना हक माँगने के लिए आवाज बुलंद करनी होगी तभी बेटियां/महिलाएं आत्मनिर्भर व सम्मानजनक जीवन जी सकती हैं, साथ ही बेटियों/महिलाओं को पुरुष समाज द्वारा कल्पित गीता/रामायण/कुरान/बाइबिल की जगह संविधान की पुस्तक पढ़कर व वैज्ञानिक सोच के साथ अपने अधिकारों का ज्ञान रखने की आवश्यकता है व हर हाल में अपने पाँव में खड़ा होकर आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है ताकि महिलाएं बेटियां किसी भी प्रकार के शोषण जुर्म से डटकर सामना कर सकें!

बाइक छोड़ कर वापस आते अपने जनसंवाद के साथी अंबुज के साथ

तब्बसुम ने बताया वो अपनी यात्रा में पढ़ने वाले थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं जिसमें उन्हें अन्य सभी थानों में जहाँ सम्मान सहित हौशला अफ़जाई मिली वहीँ बिजनौर में वहाँ के थानाध्यक्ष द्वारा उनके साथ अभद्रता के साथ वार्ता की गई जिससे वो छुब्ध थीं, हम बिजनौर थानाध्यक्ष की कड़े शब्दों में आलोचना करते हैं !तब्बसुम देहरादून में एक दिन रूककर अपनी मोटर साइकिल की सर्विस के बाद आगे शिमला के लिए निकलेंगी । आशा है आगे भी तब्बसुम के जज्बे को उनके हर पड़ाव में समाज व सरकार से सम्मान, सहयोग व हौसला देने का काम किया जायेगा ।

आज देहरादून में शामिल प्रमुख साथियों में:- श्री जोत सिंह बिष्ट, राजेन्द्र भंडारी, अम्बुज शर्मा, भार्गव चन्दोला, त्रिलोचन भट्ट, रेणु ठाकुर, दीपा कौशलम, रशमी पैन्यूली, स्वागता कैंथोला, प्रेम लता गुसाईं, डॉ जितेंद्र भारती, सतीश धौलाखंडी, कमलेश रमन, अमरदीप सिंह, यूनाइटेड सिख फैडरेशन के पदाधिकारी, रविन्द्र नेगी, मनोज ध्यानी, रविन्द्र सिंह, तनुज कुकरेती, प्रेम बहुखंड़ी, गजेंद्र बहुगुणा आदि साथी मौजूद रहे।