होली के अवसर पर स्पेक्स संस्था द्वारा प्राकृतिक साधनों से होली के रंगों को बनाने की पहल की गई है। यह विज्ञान के प्रयोग से शुद्ध पारिस्थिकी एवं उत्तम जीवनगुणवत्ता को बनाये रखने के लिए एक अभियान है, जिसमें रंगो के विज्ञान एवं प्राकृतिक रंग बनाने की तकनीकी का हस्तारंण करना भी है। संस्था का उद्देश्य-विज्ञान को आमजन की दिनचर्या में सम्मिलित करना है जिससे वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जीवन की गुणवत्ता को सुधारे। इसके साथ ही होली के रंगों से होने वाले घातक नुकसानों के प्रति सावधानी बरती जा सके।

देहरादून , 24 फरवरी: स्पेक्स द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अर्न्तगत विज्ञान सप्ताह का आयोजन दिनांक 22.02.2022 से 28.02.2022 तक किया जा रहा है, जिसमें आगामी त्यौहार होली हेतु प्राकृतिक रंग बनाने की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हरिपुरकला एवं शेरगढ की ग्रामीण महिलाओं हेतु किया गया। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को ऐसे मौकों पर पर्यावरण , स्वास्थ्य विज्ञान एवं तकनीकी के माध्यम से जीवन की गुणवत्ताको बनाए रखने पर जोर दिया गया।

भारत भिन्नताओं में एकता वाला देश है। यहां हर त्यौहार बडी धूम-धाम से बनाया जाता है इनमें से एक होली भी है जो बसंन्त के माह में बडे हर्षोउल्लास से मनाई जाती है, पर धीरे-धीरे इसके स्वरूप में परिवर्तन होने लगा और जहां होली की यादें खुशनुमा होनी थी वहीं कई लोगो के लिए यह बुरी याद बन जाती है उसका मुख्य कारण होली के रंगो में खतरनाक रसायनो की मिलावट का होना है जो हमारी त्वचा, बालों आंखो और पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव डालते और नुकसान पहुँचाते हैं।

होली के रंग प्राकृतिक रंगों के संग, होली के रंग बसंत ऋृतु के विभिन्न रंगों को प्रदर्शित करते हैं, होली एक जश्न है जिसमें किसान रबी की फसल की कटाई के बाद अच्छी फसल होने का जश्न सामूहिक तौर पर मनाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि हमारे द्वारा होली में प्रयोग किये जा रहे रंग भी प्रकृति की तरह स्वच्छ व हानि रहित हांे ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। स्पेक्स द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला में बाजार में उपलब्ध रंगो में हो रही मिलावट के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ शुद्ध प्राकृतिक रंग बनाने की प्रक्रिया के विषय में जागरूक करना इस कार्यशाला में प्रकृति से प्राप्त फल-फुल और सब्जियों से सूखे एवं गीले रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

स्पैक्स संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा के नेतृत्व में इस कार्यशाला को सफलता पूर्वक सम्पन्न किया गया। इस अवसर पर स्पेक्स क्षेत्रीय समन्वयक श्री नीरज उनियाल, चन्द्रा, सौम्या ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। हरिपुरकलां से श्रीमती तुलसी देवी, रीता देवी, सीमा रयाल, रेखा रयाल, भावना पाण्डेय, जमुना देवी, कविता बिष्ट, रेखा नेगी एवं शेरगढ से श्रीमती सुधा रानी, रेनु, मंजु, मंनजीत कौर, उषा देवी, जसप्रीत, रेणु, माला, शीतल, रानी खंडूरी , पिंकी, मीनू,अमरजीत कौर आदि ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। आयोजित कार्यशालाओं का उददेश्य आम जनमानस के मध्य त्यौहारों के दिनों में बाजार में हो रही ठगी व बिक रहे जानलेवा रसायनिक रंगों व खाद्य उत्पादों के प्रति जागरूकता को प्रसारित करना है। संस्था द्वारा अवगत कराया गया कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर रंग घातक रासायनिक तत्वों से मिलकर बनें होते हैं।

होली के रंगों में मिलावट किये जाने वाले रसायन एवं उनके प्रभाव इस प्रकार है-


मैंचेलाइट ग्रीन, कॉपर सल्फेट, एल्युमिनियम ब्रोमाइड, मरक्यूरिक सल्फाइड, रोहडामीन-बी, क्रोमियम आयोडाइड, मेटनिल येलो इन रंगो के प्रयोग से हमें- त्वचा रोग, ऑखों में जलन, अंधापन, कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं।

इस प्रकार बनाये होली के प्राकृतिक सूखे रंग

हरा रंग बनाने की विधि ( सामग्री : हरा धनिया रंग की मात्रा के अनुसार, आरारोट का आटा)
धनिये के पत्तों को बारीक काटकर ग्राइन्ड कर लें। अब निकले रस को छन्नी से छान कर एक कटोरे में निकाल लें। इस रस में 2 बडे चम्मच आरारोट का आटा डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को छाँव में अच्छी तरह सूखाकर प्रयोग करें नोटः धनिये की मात्रा एवं आरारोट की मात्रा रंग की मात्रा पर आधारित होगी। हमनें एक गड्डी धनिये के पत्तों के रस में 2 कटोरा आरारोट का आटा मिलाया।

पीला रंग बनाने की विधि ( सामग्री : हल्दी,आरारोट का आटा)
1चम्मच हल्दी लें एवं उसमें पानी की इतनी मात्रा मिलाएं जिससे यह एक मोटा पेस्ट बने। अब इस पेस्ट में आवश्यतानुसार आरारोट का आटा मिलाएं और अच्छे से मिक्स कर लें। मिक्स करने के पश्चात् इसे छाँव में भली-भाँती सूखाकर प्रयोग करें।
नोटः बाजारों में उपलब्ध हल्दी में मेटानिल येलो जैसे रासायन होते है। अतः हमें ध्यान देना होगा कि प्रयोग कि जाने वाली हल्दी की गुणवत्ता अच्छी हो।

हल्कागुलाबी रंग बनाने की विधि ( सामग्री :1 चुकन्दंर, आरारोट का आटा)
एक चुकन्दर लें उसे ग्रेटर की सहायता से कस लें या बारीक काटकर ग्राइन्ड कर लें। अब इसे छानकर रस निकालकर आरारोट के आटे में मिला लें। अच्छी तरह से मिक्स करने के पश्चात् छाँव में सूखाकर प्रयोग करें।

गुलाबी रंग बनाने की विधि ( सामग्री :गुलाब की पंखुडियां, आरारोट का आटा)
गुलाब की पंखुडियों को धूप में सूखाए जब वे क्रिस्पी हो जाये तो उनका पाउडर बना लें और प्रयोग कर लें। यदि आवश्यक हो तो मात्रा बढानें के लिए आरारोट का आटा भी मिला सकते है।

सूखे रंग बनाने की अन्य विधियाँ-

सूखे नील को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर नीला रंग बनाया जा सकता है।
रोली को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लाल रंग बनाया जा सकता है।
हल्दी को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर पीला रंग बनाया जा सकता है।
मेंहदी पाउडर को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर हरा रंग बनाया जा सकता है।
हरा रंग बनाने के लिए मेंहदी या गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर हरा रंग बना सकते हैं।
पुदीना, पालक, धनिया पीसकर हरा रंग बना सकते है।

प्राकृतिक या जैविक गीले रंगो को बनाने के सरल व घरेलू तरीकें


हरा रंग बनाने के लिए मेंहदी या गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर पानी में मिला देने से गीला हरा रंग बनाया जा सकता है।
पुदीना, पालक, धनिया पीसकर हरा रंग बना सकते है।

लाल चंदन को पानी में घोलकर लाल रंग बनाया जा सकता है
चुकंदर को काटकर पानी में भीगाने से मर्जेन्टा (रानी) रंग बनाया जा सकता है।
कचनार के फूल को पानी में उबालने से गुलाबी रंग बनता है
टेसु या प्लास के फूल पानी में उबालने से नारंगी रंग बनता है।
कत्था चाय कॉफी पानी में मिलाने से भूरा रंग बनता है।
गुलाब की पंखूडियों को पानी में भीगाने से गुलाबी रंग बनता है।

चुकंदर से रंग बनाने की विधि-

चुकन्दर लें उसे ग्रेटर की सहायता से कस लें या ग्राइन्ड कर लें। मिश्रण को छन्नी से छान लें और रस अलग कर लें। यदि आप इस मिश्रण से पानी की मात्रा में परिवर्तन कर अलग-अलग शेडस निकाल सकते हैं।
नोटः ग्राइन्ड करते समय ध्यान दें कि ग्रान्डर साफ हो उसमें मिर्च या अन्य कोई तत्व न हो।

कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखकर होली मनाये।

इस होली क्या न करें-

इंजन ऑयल या मॉबी ऑयल से बचें। गहरे पक्के रंगों के प्रयोग से बचें। पानी की होली खेलने से बचें व पानी व्यर्थ न बहायें। कीचड गोबर के इस्तेमाल से बचें ऐसा न करने पर हम बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। पानी से भरे गुब्बारे के प्रयोग से बचें। रासायनिक रंगो का प्रयोग न करें। शराब व नशीलें पदार्थों के सेवन से बचें।

बरती जाने वाली सावधानियां-

शरीर व बालों पर तेल व क्रीम का प्रयोग करना हितकर रहेगा। शरीर को पूर्णतः ढककर होली खेलना हितकर रहेगा। आंखों में धूप के चश्में का उपयोग हितकर रहेगा। रंग छुडाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग हितकर रहेगा। गहरे रंगों को छुडाने के लिए दही और बेसन के लेप का प्रयोग हितकर रहेगा। चेहरे व हाथों पर वेसलीन जैली का प्रयोग रंग लगाने से पहले हितकर रहेगा। सिर को टोपी या रूमाल ढककर रखना हितकर रहेगा। आंखो पर रंग पडने पर आंखो को न मसलना बल्कि सादे पानी से आंखो को धोना हितकर रहेगा। दांतों को रंग से बचाने के लिए डेन्टल कैप का प्रयोग करना हितकर रहेगा। जब चेहरे पर रंग फेंका जाये तो आंखो और मुंह को बन्द रखें। वसा युक्त भोजन अधिक मात्रा में खाने से बचें। बाजार के बने मावे की मिठाईयों को खाने से परहेज करें। बार-बार अपने चेहरें को धोने से बचें ताकि चेहरे को नुकसान होने से बयाचा जा सके।