देहरादून। ऋषिगंगा त्रासदी के बाद जब रेणी गांव के लोग जंगलों, छानियों में आसरा बनाये हुए तो वहां एसडीआरएफ के जवानों के पहुंचने पर उन लोगों में जीवन की नई उम्मीद नजर आने लगी। एसडीआरएफ के जवानों ने जहां गांव के घरों में घुसे मलबे को साफ किया वहीं आपदा से प्रभावित गांव के लोगोें को राशन भी उपलब्ध करवाया। जवानों के इस काम को देखते हुए वहां बुजुर्ग उन्हें आशीर्वाद देते नहीं थक रहे हैं।
इस आपदा के तत्काल बाद से राज्य एवं देश की अनेक एजेंसियां रेस्कयू कार्य में जुटी हुई है। जहां एक ओर लापता लोगों के लिए सर्चिंग कार्य जारी है। वहीं दूसरी ओर टनल से मजदूरों को सुरक्षित निकालने का कार्य भी युद्ध स्तर किया जा रहा है। रेस्कयू कार्यों के साथ ही एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस की सहायता एवं सर्चिंग हेतु लगातार रेणी गांव में बनी हुई है। जहां रेस्क्यू कार्यों के साथ ही ग्रामीणों के सामान को मलबे से सुरक्षित निकाला जा रहा है।

लाशों का मिलना जारी
रविवार को चमोली जिले स्थित ऋषिगंगा में आई बाढ़ के बाद तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब दो सौ से ज्यादा कर्मी अभी भी लापता हैं। जबकि, सुरंग के अंदर अभी भी करीब 30-35 श्रमिक फंसे हुए हैं।
रेस्क्यू के लिए जुटे जवानों ने मंगलवार दोपहर तक 31 शवों को बाहर निकाल लिया है। जबकि, टनल के अंदर से गाद व मलबा निकालने का काम अभी भी जारी है।टनल के अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए राहत व बचाव का कार्य युद्ध स्तर से जारी है।ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर थीं, लेकिन अब पानी का बहाव कम होने से राहत मिली है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही में उत्तराखंड समेत नौ राज्यों के मजदूर और कर्मचारी लापता हैं। ये सभी निर्माणाधीन ऋषिगंगा और एनटीपीसी प्रोजेक्ट में काम करते हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने लगभग 202 व्यक्तियों के लापता होने की संभावना जताई है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार धौली गंगा और ऋषि गंगा में आए अचानक जल प्रलय से दोनों हाइड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
इनमें ही विभिन्न राज्यों के मजदूर और कर्मचारी कार्यरत हैं। लापता लोगों में उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, मप्र, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, आसाम व ओडिशा के मजदूर व कर्मचारी शामिल हैं।

जोशीमठ के रेणी गांव के वे घर जहां त्रासदी के बाद मलबा फंसा हुआ था वहां पहुंच कर एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस के जवानों के द्वारा मलबा हटा कर सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। खाघान्न को सुरक्षित किया। इसके साथ ग्रामीणों से उनकी समस्या भी जानने की कोशिश की गयी। एसडीआरएफ जवानों के इस मानवीय कार्य की ग्रामीणों द्वारा सराहना की जा रही है। विदित हो कि एसडीआरएफ की टीमें आपदा के पश्चात से ही प्रभावितों के सामान को सुरक्षित स्थान तक भेजने एवम खाघान्न उपलब्ध करा रही है।

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