देहरादून, पब्लिक स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त संपूर्ण शुल्क जबरन वसूली पर रोक लगाने की मांग को लेकर अभिभावकों ने जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। अभिभावकों द्वारा प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि शिक्षा सचिव के अस्पष्ट और विसंगत आदेश की आड़ में कक्षा 10 व कक्षा 12 के अतिरिक्त कक्षाओं से भी अधिकांश स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त वार्षिक शुल्क, साइंस फीस, कंप्यूटर फीस आदि जबरन वसूली जा रही है। सभी स्कूलों में सभी कक्षाओं में शिक्षण कोर्स पूर्ण हो चुके हैं और सत्र में डेढ़ माह का समय शेष है। इन घरेलू कक्षाओं की ऑनलाइन कक्षाएं यथावत रखी जाएं और कक्षा 6,7,8,9 और 11 के बच्चों को केवल परीक्षा के लिए स्कूल में बुलाने की व्यवस्था की जाए।
अभिभावकों का कहना था कि सरकार द्वारा बच्चों के संदर्भ में निर्णय लेते समय अभिभावकों से विचार-विमर्श कर ही कोई निर्णय लिया जाए। शिक्षा सचिव के द्वारा प्रदत्त व्यवस्था शुल्क न दे पाने वाले अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन को दिए जाने वाले प्रतिवेदन पर स्कूल प्रबंधन के साथ किसी प्रशासनिक अधिकारी को नोडल अधिकारी बना कर ऐसे प्रतिवेदनों पर विचार कर कार्यवाही के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाने को अधिकृत किया जाए। अभिभावकों का कहना था कि शिक्षा सचिव के आदश के बाद से स्कूलों द्वारा फीस न पाने वाले अभिभावकों के बच्चों को उनके शिक्षण से वंचित कर कक्षाओं से हटा दिया गया। बच्चों के शिक्षण कार्य को सुरक्षित करने के लिए स्कूलों की ऐसी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। स्कूलों के विरूद्ध अभिभावकों की शिकायतों पर जनपद के शिक्षा विभाग द्वारा निष्क्रिय हो मौन धारण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। आर्थिक मंदी झेल रहे अभिभावकों को कम से कम तीन माह शुल्क मुक्ति की व्यवस्था की जाए। राज्य में तत्काल रेगुलरटी ऐक्ट बना कर अभिभावकों को होने वाली समस्या से निजात दिलाया जाए। घरेलू परीक्षा के सभी छात्रों को इस वर्ष के सत्र के लिए कोविड 19 के दौरान बोर्ड परीक्षा के अनुसार अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जाए। ज्ञापन देने वालों में मोनू, सुरेश जोशी आदि दर्जनों अभिभावक शामिल रहे।
निजी स्कूलों को फीस वसूलने के खिलाफ मानव संसाधन विकास मंत्री व शिक्षा सचिव को दिया ज्ञापन