देहरादून,मीडिया रेस्क्यू टीम एवं जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड की एक संयुक्त बैठक देहरादून में आयोजित की गई। बैठक में पीसीआई सदस्य प्रभात कुमार दास बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। इस दौरान पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं को सुनने और समझने के साथ ही दास ने कहा कि अपने अधिकारों के लिए पत्रकारों को जागरूक और एकजुट होने की जरूरत है। बैठक में सर्वप्रथम रेस्क्यू टीम के संयोजक मनमोहन लखेड़ा एवं बैठक के अध्यक्ष राकेश डोभाल ने दास का स्वागत किया। वहीं जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड के अध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह एवं महामंत्री रमाशंकर प्रवीण मेहता ने उनका शॉल उड़ाकर अभिनंदन किया। इसके पश्चात् आईजेयू के नेशनल काउंसलर गिरीश पंत ने पीके दास से टीम के सदस्यों का परिचय कराया।
परेड ग्राउंड स्थित उज्जवल रेस्टोरेंट में आयोजित इस बैठक में पत्रकारों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाया और प्रदेश के सूचना विभाग के भेदभाव पूर्ण नीतियों की आलोचना की। पत्रकारों का कहना था कि पिछले 18 वर्षों से प्रदेश में पत्रकार मान्यता समिति का गठन नहीं हुआ है। लिहाजा अफसरशाही की कृपा से पत्रकारों को मान्यता प्रदान की जा रही है। वही डीएवीपी और आरएनआई के मनमाने रवैया तथा छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों के उत्पीड़न और उनकी उपेक्षा की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया। बैठक में सुधीर गोयल ने सूचना विभाग की नीतियों पर सवाल करते हुए उसकी शिकायत दर्ज कराई। चेतन सिंह खड़का ने डीएवीपी द्वारा समाचार पत्रों के उत्पीड़न का मामला उठाया साथ ही आरएआई की असहयोगात्मक रवैये की आलोचना की। अविनाश गुप्ता और अशोक खन्ना द्वारा पत्रकारों की मान्यता के मापदंडों पर प्रश्न उठाया गया। उन्होंने गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी सरकार द्वारा चिकित्सा सुविधा प्रदान किए जाने की मांग की। सुभाष त्यागी ने दास को अपनी समस्या और सूचना विभाग द्वारा उनकी उपेक्षा से अवगत कराया। पीसीआई सदस्य प्रभात कुमार दास ने कहा कि देहरादून के पत्रकार इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं क्योंकि पहली बार ऐसा हो रहा है कि विभिन्न पत्रकार यूनियनों के सदस्य एक साथ बैठे हैं, उनका मीडिया रेस्क्यू टीम के माध्यम से आपस में संवाद हो रहा है, यह एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि कुछ मठाधीश लोग हैं जो मठ छोड़ना नहीं चाहते जिस वजह से दिक्कतें पेश आती हैं।
प्रभात कुमार दास ने कहा कि वक्त आ गया है कि पत्रकारों द्वारा अधिकारों की लड़ाई को मिलकर लड़ा जाए। उन्होंने बताया कि जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड का जुलाई महीने में शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था। उसमें की गई शिकायत को पीसीआई ने राष्ट्रीय स्तर की समस्या के तौर पर माना है। हर एक जगह पत्रकारों के साथ यह समस्या है। हम आपस में बंटे हुए हैं और इस प्रवृत्ति को बदला नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि पीसीआई ने सभी राज्यों से उनकी विज्ञापन नीति, मान्यता नीति एवं पत्रकारों को उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का विवरण मांगा था। इसका उत्तराखंड सहित 24 राज्यों ने विवरण उपलब्ध कराया है। वही जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड द्वारा प्रेषित की गई शिकायत के आधार पर पीसीआई ने उत्तराखंड सरकार से जवाब तलब किया है। उन्होंने कहा कि अगले 10 से 12 दिन तक जवाब आ जाएगा तब आगे की कार्रवाई की जाएगी। दास ने बताया कि आज का पीसीआई पहले वाला बिना दांत नाखून वाला शेर नहीं है। पीसीआई चाहता है कि पत्रकारिता में स्वाधीनता रहे लेकिन जिम्मेदारी के साथ रहे। उन्होंने कहा कि सभी यूनियनों को पीसीआई अध्यक्ष जस्टिस बीएन प्रसाद को चिट्ठी लिखकर अपनी समस्याओं से अवगत कराना चाहिये। वहां निश्चित तौर पर उनको समस्याओं का समाधान मिलेगा।
उन्होंने कहा कि डीएवीपी और आरएनआई दोनों पीसीआई के अधीन आते हैं इसलिए इन दोनों संस्थानों के खिलाफ कोई भी शिकायत हो तो निःसंकोच पीसीआई से उसकी शिकायत करें। उन्होंने कहा कि पीसीआई, आरएनआई एवं डीएवीपी को निर्देशित कर सकता है उनको टाइम बाउण्ड़ समस्या का हल करने को कह सकता है। उन्होंने कहा कि पीसीआई पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने को कटिबद्व है। दास ने बताया कि 2017 के बाद पीसीआई ने 25,000 से कम सरकुलेशन वाले छोटे एवं मझोले समाचार पत्र के लेवी शुल्क एवं उसके एरियर को माफ किया है। लेकिन यदि किसी समाचार पत्र को जो लेवी शुल्क के दायरे से बाहर है और लेवी शुल्क के लिए नोटिस आए तो वह पीसीआई तक आरएनआई के माध्यम से सरकुलेशन के दस्तावेज पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि डीएवीपी द्वारा अपने विज्ञापन बजट में से 15 फीसद छोटे समाचार पत्रों को विज्ञापन देता है। दास ने कहा कि पत्रकार कल्याण कोष में प्रदेश सरकार चाहे जिसको रखें लेकिन पीसीआई द्वारा चार संस्थानों को मान्यता दी गई है उनके प्रतिनिधियों को भी इस कमेटी में जगह देनी होगी। उन्होंने बताया कि पीसीआई हर वर्ष उत्कृष्ट कार्यो के लिए पत्रकारों को अवार्ड देता है लेकिन इसके लिए देश भर से महज 150 से 170 प्रविष्ठियां ही आती है जो निराशाजनक है। उन्होंने अपील की कि अगली बार कम से कम उत्तराखंड से ही इतनी प्रविष्टियां आनी चाहिए। बैठक में मीडिया रेस्क्यू टीम के संयोजक मनमोहन लखेड़ा, जर्नलिस्ट यूनीयन आफ उत्तराखण्ड़ के प्रदेश अध्यक्ष अरूण प्रताप सिंह ने पीसीआई सदस्य पीके दास एवं उपस्थित सदस्यों का आभार जताया। वहीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए राकेश डोभाल ने सबका धन्यवाद अदा किया। बैठक में गोपाल सिंघल, चैतराम भट्ट, प्रवीण कुमार जैन, कंवर सिंह सिद्वू, द्विजेन्द्र बहुगुणा, जाहिद अली, समीना, ज्योति भट्ट ध्यानी, ललिता बलूनी, संजीव पंत, आरडी पालीवाल, सत्य प्रसाद उनियाल, संजीव शर्मा, अधीर मुखर्जी, मो0 खालिद, अभिनव नायक, सुभाष त्यागी, सूर्य प्रकाश शर्मा, अनूप रतूड़ी, अमित सिंह नेगी, विनोद सिंह पुण्डीर, मूलचंद शीर्षवाल, विरेश रोहिल्ला, केएस बिष्ट आदि मौजूद रहे।