देहरादून, कर्मचारी-श्रमिकों की विभिन्न मांगों को लेकर राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) 22 फरवरी को सचिवालय का घिराव करेगी। कांग्रेस भवन में इंटक की प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय किया गया।
बैठक में पारित पांच विभिन्न प्रस्तावों में तहत प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट को टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट देने की मांग की गई है। साथ ही इंटक ने ईएसआई में दवा खरीद की एसआईटी जांच की मांग भी की है।
करीब तीन घंटे तक चली बैठक में इंटक नेताओं ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर तीखे प्रहार किए। कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार कर्मचारी और श्रमिकों के हितों पर लगातार हमले कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार को माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं है।अदालत अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने, समान कार्य समान वेतन देने का आदेश देती है। लेकिन सरकार उन आदेशों का पालन नहीं करती। कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। जब मजबूर हेाकर कर्मचारी आंदोलन करते हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है। प्रमुख महामंत्री एपी अमोली, अशोक चौधरी ने कहा कि इस वक्त कर्मचारी और श्रमिक वर्ग इंटक की ओर उम्मीदों से देख रहा है। इंटक कर्मचारियों के हितों की लड़ाई जारी रखेगी। बैठक में पांच प्रस्ताव व प्रमुख मांगे पारित किये गए। राजनीतिक प्रस्ताव में टिहरी लोकसभा सीट से इंटक अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट को को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाये जाने की मांग की गई। .संगठनात्मक प्रस्ताव जिला कार्यकारिणी की बैठकों में इंटक के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। चुनाव कार्यक्रम प्रस्ताव अक्टूबर से पहले पहले प्रदेश कार्यकारिणी का चुनाव कराया जाएगा। इसके लिए समय पर शुल्क जमा कराना होगा।
क्या हुआ राज्य आंदोलनकारियों के मुख्य मंत्री आवास कूच का जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
आर्थिक प्रस्ताव में प्रदेश, जिला, महानगर, नगर और संबद्ध संगठनों के पदाधिकारी, सदस्य को सालाना एक हजार अथवा मासिक 100 रुपये शुल्क देना होगा। युवा और महिला इंटक का विस्तार इंटक की मजबूती के लिए युवा और महिला शाखा का जल्द से जल्द विस्तार किया जाए। प्रमुख मांगों में अस्थायी कर्मचारियों को समान कार्य समान वेतन, हर कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये हो, संविदा, आउटसोर्स, तदर्थ कर्मियों का नियमितीकरण पुरानी लाभकारी पेंशन योजना को दोबारा लागू किया जाए। आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता के मांगों को त्वरित निस्तारण आर्थिक रूप से कमजोर निगमों के लिए विशेष आर्थिक पैकेजआंदोलित कर्मचारियों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोकसरकारी संस्थान-निगमों के निजीकरण पर प्रतिबंधअसंगठित क्षेत के श्रमिकों के हितों की रक्षा को ठोस सुरक्षा योजनागन्ना किसानों का बकाया भुगतान आदि शामिल है।
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