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अभी तक हमने मानव सभ्यता का विकास के क्रम में भाषा का विकास और संज्ञानात्मक क्रान्ति (Cognitive revolution) जो कि आपस में जुड़े हुए हैं, को समझने का प्रयास किया।।
यह जानना दिलचस्प है कि जिस दौर में हम भाषा का आविष्कार और संज्ञानात्मक क्रान्ति की बात कर रहे हैं, उस दौर में पृथ्वी पर मानव की बहुत सारी प्रजातियां (कम से कम आधी दर्जन) निवास करती थी, जिनमे कि हमारी आज वाली प्रजाति जिसे जीव वैज्ञानिक होमो सेपियंस सेपियंस नाम से पुकारते हैं, भी शामिल है. ध्यान रहे कि चाहे वह चीन के छोटी आँखों वाले मानव हों अथवा भारत के दरमियानी ऊंचाई वाले गेहुंवन रंग के मनुष्य हों, अफ्रिका के काले नीग्रों हों या योरोप के गोर चित्ते मानव, सभी एक ही प्रजाति (Species)के मनुष्य हैं. प्रजाति अलग का मतलब जैसे घोड़ा एक प्रजाति है और गधा अलग प्रजाति। जब अलग अलग प्रजाति की बात कर रहे हियँ तो समझो हम घोड़ा और गधा की बात कर रहे हैं।
यह एक रहस्य है कि मानव की अन्य प्रजातियां कैसे बिलुप्त हुई. क्या इसमें हमारी प्रजाति का योगदान है?? जैसा कि कई जीव जंतुओं और बनस्पतियों की प्रजातियों की बिलुप्ति में हमारी प्रजाति का हाथ रहा है. क्या इन जातियों में आपस में संसर्ग भी हुआ होगा?? क्या हम में एक से अधिक मानव प्रजातियों जैसे होमो सेपियंस सेपियंस और होमो निएँडरथलेसिस के जीन मौजूद हैं?
वैज्ञानिकों का मानना ऐसा ही कुछ है. आज के मानवों में अत्यंत अलप मात्रा में ही सही पर निएंडरथल मानव डीएनए भी मौजूद है.
कल्पना करिये कि हमारे किसी पुरखे पितामह ने निएँडरथलों की बस्ती में जाकर एक ख़ूबसूरत निएँडरथली से प्रेम किया हो और उसे भगा कर लाये हों। शादी की हो और फिर उससे बच्चे पैदा किये हों..
यहां तो खाप पंचायतें तो बिरादरी से बाहर वाले द्वारा उनकी बिरादरी के किसी लड़के अथवा लड़की के साथ की गयी शादी को अक्षम्य अपराध मानते हैं. तो फिर सेपियंस और निएंडरथल मानव् के बीच हुई शादी बड़े बैमनस्य का कारण बना हो बहुत कुछ संभव है. वैमनस्य का कारण भोजन के क्षेत्रों पर अधिपत्य भी हो सकता है. चूंकि उस दौर में सभी प्रजातियों में संज्ञानात्मक गुण (cognitive capacity ) मौजूद थे..तो फिर ये प्रजाति विनाशक युद्ध कितने भयानक रहे होंगे।साजिशों से भरे हुए…
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जारी