अब इस आंदोलन में सबसे आगे रहेंगे यहां के भूम्याल देवता के निशान व झंडे
लोगों ने कहा कि सरकारों ने जनता के साथ किया कुठाराघात
अब जनता अपने स्वभिमान को बचने के लिए फिर से उतरेगी सड़कों पर
टिहरी, 11 फरवरी : 24 दिसंबर को देहरादून से शुरू हुआ ‘मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ का शंखनाद 28 जनवरी को हल्द्वानी होता हुआ आज यानी 11 फरवरी को क्रांति की भूमि टिहरी में गूंज उठा, जहां कई सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने सड़कों पर उतर एक सुर में मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग उठाई।
रविवार को मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग को लेकर आयोजित रैली में जमकर भीड़ उमड़ी। सुबह 10 बजे से संघर्ष समिति के सदस्यों ने लोगों को सुमन पार्क में एकत्रित किया जहाँ उत्तरकाशी,चम्बा,चिन्याली,प्रताप नगर, घनसाली, श्रीनगर व आसपास के क्षेत्रों से पहुँच कर सैकड़ों लोगों ने अपनी अस्मिता,संसाधन व संस्कृति को बचाने के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित करी। प्रदेश संयोजक मोहित डिमरी, सह संयोजक लुशून टोडरिया, देवेंद्र नौडियाल,प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी, टिहरी के जिला संयोजक डॉ. राकेश भूषण गोदियाल, के नेतृत्व में रैली सुमन पार्क से बौराड़ी के साईं चौक पहुंच कर आम सभा में परिवर्तित हो गई।
रैली में पहुंचे लोगों का कहना था कि पृथक राज्य आंदोलन हमने अपने जल, जंगल, जमीनों पर मूल निवासियों के अधिकारों के लिए लड़ा गया था मगर दुर्भाग्य है कि राज्य बनने के 23 साल बाद यहाँ का मूल निवासी अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रह गया। उन्होंने कहा कि देहरादून, हल्द्वानी, भिकियासैंण, बागेश्वर में हुए विशाल प्रदर्शन से साबित हो चुका है कि उत्तराखंड का मूल निवासी अपने अधिकारों को लेकर अब सजग हो चुका है।
प्रदेश संयोजक डिमरी ने कहा कि वर्तमान सरकार मूल निवासी की बाध्यता खत्म कर बाहरी लोग को यहां आसानी से स्थाई निवासी बना दे रहे हैं। जिसके बाद वह लोग यहां के हक-हकूकों पर डाका डाल रहे हैं। अब यह आंदोलन जनांदोलन का रूप ले चुका है। समय रहते सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सरकार यहाँ यूसीसी को लेकर विधेयक बन सकता है, तो मूल निवास को लेकर क्यों नहीं। सह संयोजक टोडरिया ने कहा कि आंदोलन को सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन समर्थन दे रहे हैं। वहीं विधायक विक्रम नेगी ने कहा कि सरकार को जन भावनाओं का आदर इन मांगों को जल्द मानना चाहिए।
आंदोलन के प्रारम्भ से एक बात को लेकर कोर कमेटी बड़ी दुविधा में थी कि रैली में आने वाले झंडे और बैनर का क्या करें जिसका हल वरिष्ठ पत्रकार महिपाल नेगी दे दिया। अब आगे इस आंदोलन को गति देने के लिए पहाड़ के लोक देवताओं को आगे रखा जाएगा और देवताओं के पीछे जनता लामबंद होगी। उन्होंने जानकारी देते हुऐ बताया इस सदियों से इस देवभूमि की जमीन लोक देवताओं की रही है और यहां के लोग उनके खातेदार हैं। भूम्याल देवता सीमाओं पर शत्रुओं से हमारी रक्षा करता है, इसी तरह लोक देवता हर तरफ से स्थानीय लोगों की रक्षा करता है अतः वही इस जमीन का मालिक होता है। इसलिए इस आंदोलन में सबसे आगे यहां के लोग देवताओं के निशान व झंडा रहेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार विक्रम बिष्ट, महीपाल सिंह नेगी, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट, राष्ट्रीय रीजनल पार्टी के शिव प्रसाद सेमवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष सुमना रमोला, सूरज राणा ने कहा कि टिहरी क्रांतिकारियों की धरती है। श्रीदेव सुमन, नागेन्द्र सकलानी, मोलू भरदारी, इंद्रमणि बड़ोनी जैसे क्रांतिवीरों ने इस धरती पर क्रांति की अलख जगाई थी, अब दोबारा यहाँ की जनता मूल निवासियों के अधिकारों को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंकेगी, जिसकी गूंज उत्तराखंड के कोने-कोने तक पहुंचेगी। यहाँ के मूल निवासियों के अधिकारों पर हो रहे कुठाराघात को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब उत्तराखंड की जनता अपने अधिकारों को लेकर लामबंद हो रही है। यहाँ की जनता अब उत्तराखंड राज्य आंदोलन की भांति अपनी उक्त दोनों मांगों को लेकर स्वः स्फूर्त आंदोलन की मूड में है। ऐसे में समय रहते सरकार को इस देव भूमि को माफियाओं से बचाने के लिए सशक्त भू कानून लागू करना ही होगा। उन्होंने सभी लोगों से आह्वान किया कि स्वाभिमान की इस लड़ाई में दलगत राजनीति से उपर उठकर अपने हक के लिए आगे आएं।
इस मौके पर यूकेडी केंद्रीय अध्यक्ष पूरण सिंह कठैत, जयप्रकाश पांडेय, साब सिंह सजवाण, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मोहन सिंह रावत, शक्ति जोशी, विक्रम कठैत, पर्वत कुमाईं, उर्मिला महर, ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला, प्रवीन भंडारी, उत्तम तोमर, गंगा भगत नेगी, नरेंद्र चंद रमोला, सीपी डबराल, देवंती डबराल, कर्मचारी नेता चंद्रेश्वर थपलियाल, चंद्रवीर नेगी, एसके ढौंडियाल, मनमोहन पडियार, कमल नयन रतूड़ी, राजीव नेगी, नवीन सेमवाल, हरिओम भट्ट, सुभागा फर्स्वाण, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के नवनीत गुसाईं, विपुल नौटियाल, जगमोहन रावत, गणेश डंगवाल, आशुतोष नेगी, चिंतन सकलानी, सुरेश कुमार, प्रभा रतूड़ी, बालेश बवानिया, प्रभात डंडरियाल, सुशील वीरमानी, लोक बहादूर थापा आदि मौजूद रहे।