बुद्ध होना आसान है ..
एक रात चुपके से
घर द्वार स्त्री बच्चे को
छोड़ कर
सत्य की खोज में
निकल जाना
आसान है,,

क्योंकि
कोई उंगली
उठती नहीं आप पर
न ही ज्यादा सवाल
पूछे जाते हैं
कोई लांछन नहीं लगाता
शब्दों के बाणों से
तन मन छलनी नहीं किया जाता

लेकिन
कभी सोचा है
उनकी जगह एक स्त्री होती तो
वो गर चुपके से निकल जाती
एक रात
घर द्वार पति नवजात शिशु
को छोड़ कर
सत्य की खोज में

क्या कोई विश्वास करता
उसकी इस बात पर

यातनाएँ तोहमतें लगायी जाती
उसके स्त्रीत्व को
लाँछित किया जाता

पूरे का पूरा समाज
खड़ा हो जाता
उसके विरुद्ध

और
ये होती उसकी सत्य की खोज

बुद्ध होना आसान है

पर स्त्री होना कठिन !!..

अज्ञात