–बेहतर सामंजस्य व संवाद से नई पीढ़ी के साथ जेनरेशन गैप को कम किया जा सकतादेहरादून, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं व छात्र-छात्राओं की नीति-निर्माण में रचनात्मक भागीदारी चाहती है। उन्होंने कहा कि अपने युवाओं व उनकी क्षमता पर विश्वास करना होगा। हमारे युवा ही देश का भविष्य व ताकत है। उन्होंने कहा कि बेहतर सामंजस्य व संवाद द्वारा नई पीढ़ी के साथ जेनरेशन गैप को कम किया जा सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों में अच्छे भौतिक संसाधनों, वल्र्डक्लास क्लासरूम, लैब, लाइब्रेरी की कमी को अच्छे शिक्षक पूरा कर सकते है परन्तु अच्छे शिक्षकों की कमी को बेहतर से बेहतर सुविधाएं पूरी नही कर सकती। मुख्यमंत्री ने राज्य के युवाओं को प्रयासों में निरन्तरता व निरन्तर सुधार की कार्यशैली अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि परिर्वतन व समय के साथ परिवर्तन को अपनाना बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने छात्र-छात्राओं से समाजिक जिम्मेदारी व राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की भावना के साथ शिक्षा ग्रहण करने का आहवाहन किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को देहरादून में डीआईटी यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि छात्र-छात्राओं को सम्बोधित किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं की नीति-निर्माण में सक्रिय सहभागिता के लिए तत्पर है। हाल ही में ऐतिहासिक इन्वेस्टर्स समिट में राज्य के 150 छात्र-छात्राओं को प्रतिभाग करने का अवसर दिया गया, ताकि युवाओं को महत्वपूर्ण मंचों पर अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिले तथा युवाओं की भावनाओं व विचारों को समझा जा सके। राज्य सरकार द्वारा बजट निर्माण के दौरान छात्र-छात्राओं से चर्चा की गई व उनके सुझाव मांगे गए। इसके साथ ही महिलाओं, किसानों, सैनिकों सहित समाज के सभी वर्गो से भी सुझाव मांगे गए। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मैनेजमेन्ट गुरू के रूप में बजरंग बली हनुमान एक आदर्श चरित्र है। हनुमान जी को किसी भी कार्य में असफलता नही मिली। उन्होंने प्रत्येक कार्य परमार्थ व कल्याण के लिए किया न कि निजी स्वार्थ के लिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राएं भी अपनी शिक्षा का प्रयोग समाज हित व राष्ट्र निर्माण में करे, ऐसी कामना है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने मुख्यमंत्री द्वारा दीक्षांत समारोह के लिए स्वदेशी परिधान तैयार करने के सुझाव व चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया तथा आज राज्य के आईआईटी रूड़की सहित सभी विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा दीक्षांत समारोह में स्वदेशी परिधान को पहना जा रहा है। इसके साथ ही देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा भी इसे अपनाया गया है। मुख्यमंत्री ने विज्ञान, तकनीकी व इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं को पाइन नीडल्स पर शोध व उत्पादक कार्यो में उसके प्रयोग की दिशा में कार्य करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि विज्ञान व तकनीकी के छात्र रिस्पना पुनर्जीवीकरण व पानी की कमी को दूर करने जैसी समस्याओं की समाधान हेतु तकनीकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है, इस पर विचार करे। राज्य में मलेथा स्थित वीर माधो सिंह भण्डारी द्वारा निर्मित लगभग 400 साल पुरानी ऐतिहासिक टनल का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे आज के तकनीकी विशेषज्ञो व इंजीनियरों को इसका अध्ययन करना चाहिए, यह एक इंजीनियरिंग का अद्वितीय उदाहरण है। यह टनल किस प्रकार 400 वर्ष बाद भी सिंचाई में सहायता कर रही है, यह अध्ययन का विषय है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, तकनीकी व इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं मात्र भवनों के निर्माता नहीं है बल्कि राष्ट्र निर्माता है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा में गुणवता सुधार हेतु निरन्तर प्रयासरत है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी विश्वविद्यालयों के 40 विद्यार्थियों को विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संवाद व अध्ययन भ्रमण का अवसर देने का निर्णय लिया गया है। सरकारी काॅलेजों में सौ प्रतिशत फैकल्टी सुनिश्चित की जा रही है। जल्द ही अम्बै्रला एक्ट के तहत उच्च शिक्षा की गुणवता में और अधिक सुधार होगा। डीआईटी यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में 11 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की डिग्री, 136 छात्र-छात्राओं को 2016-18 वर्ष के लिए परास्नातक, 68 छात्र-छात्राओं को वर्ष 2013-2017 के लिए परास्नातक, 1309 छात्र-छात्राओं को 2014-18 वर्ष के लिए स्नातक की उपाधि प्रदान की गई। इसके साथ ही 16 मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत, चैयरमेन डीआईटी यूनिवर्सिटी अनुज अग्रवाल, चांसलर एन0 रविशंकर, वाइस चांसलर डा0 कुलदीप के रैना, छात्र-छात्राएं व अभिभावक उपस्थित थे।