“भरकर नभ के खाली कोने,
मैला तन पृथ्वी का धोने,
उठ सागर के खारेपन को,
सुमुधर कर जीवन में लायें,
पावस के बादल घिर आऐं ”
देहरादून, 18 जुलाई 2019को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व हिमालय के यशस्वी साहित्यकार मनोहर लाल उनियाल श्रीमन के जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन नगर निगम के प्रेक्षागृह मे जन संवाद समिति, लोकगंगा प्रकाशन, धाद, हिमालिका फाउंडेशन के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम का का शुभारंभ बतौर मुख्यातिथि मेयर सुनील गामा,वरिष्ठ साहित्यकार पदमश्री लीलाधर जगूड़ी, गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी..व वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार कवि,”प्रदीप” द्वारा श्रीमन जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर के किया गया। स्वागत समिति के द्वारा गणमान्य अभ्यागतों का स्वागत पुष्प पादपों के द्वारा किया गया।
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल , “प्रदीप”ने अपने संबोधन में कहा कि टिहरी जनपद के उनियाल गाँव मे जन्मे श्रीमन ने मात्र 22 साल की अवस्था में” हम पथिक हैं आग वाले”के नाम से जो क्रांति गीत टिहरी के कारागार में लिखा था वह आजादी के दिवानों का प्रयाण गीत बन गया था। उनका कहना था कि ” श्रीमन” ने राजशाही के जुल्मों को नजदीक से देखा, इसलिए उनकी कविताओं में राजशाही के प्रति विद्रोह साफ झलकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि-
,”श्रीमन” की जन्म शताब्दी के अवसर पर हम एक कवि के जुझारू रूप को याद कर रहे हैं।कुछ वर्ष पहले महाकवि सुमित्रानंदन पंत की शताब्दी मनाई गई थी। लेकिन देहरादून में. उसकी आहट नहीं सुनाई दी थी।किसी कवि की शताब्दी मनाते समय हमें उनके अवदान पर विस्तृत चर्चा करनी चाहिए। श्रीमन ने राजशाही और सामाजिक विद्र्पों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी रचनाओं से काव्य संसार को नया आयाम दिया ।
“भरकर नभ के खाली कोने… मैला तन पृथ्वी का धोने
उठ सागर के खारेपन को.. सुमुधर कर जीवन में लाएं
पावस के बादल घिर आंए”
कार्यक्रम में गढरत्न नरेंद्रसिंह नेगी ने अपने मधुर कंठ से श्रीमन की उक्त कविता का पाठ कर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रोता गणों को बरसते हुए मेघों का आभास करा दिया।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार गुरदीप खुराना ने “श्रीमन”को श्रद्धाँजली अर्पित करते हुए–” दीप बुझ लिपट गया तम….. मखमल सा रेशमी नरम” नामक कविता का पाठ किया।
“सुखेंगी नदियाँ.. तो रोयेंगी सदियां, ऐसा न हो कि प्यासा रह जाए पानी”
–जनकवि डा०अतुल शर्मा
“अशक देकर मेरे होंठों को खुशी ले लिजिए/अपना गम दिजिये मेरी खुशी ले लिजिए
–जिया नहटौरी
“जब मुझे सच्चाईयों का मर्म समझाते हैं लोग/क्या बताऊँ किस कदर झूठे नजर आते हैं लोग”
-अमर खरबंदा
“कैक्टस के पौधे सी कांटों भरी ,टेढी मेढी सी बदसूरत जिंदगी,/ सपनों के पंछी बैठे तो कैसे ”
-कृष्णा खुराना
“एक काम मर-मर कर जीना/और दूसरा जी-,जी कर मरना”
–डा०असीम शुक्ल
“आज फिर इस बाग में असमय हुई बरसात/बोलो क्या करें हम”
–डा०राम विनय सिंह
कार्यक्रम के आरम्भ में श्रीमन के जीवन पर आधारित एक वृतचित्र का भी प्रदर्शन किया गया। दीप प्रज्वलित करते हुए श्रीमन की ज्येष्ठ पुत्री लोकगायिका पूनम नैथानी एवम इंगिता द्वारा श्रीमन के ही द्वारा रचित–दो सरस झंकार दो…. नामक सरस्वती वंदना का गायन किया गया।कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन अवनीश उनियाल द्वारा एवं द्वितीय सत्र का संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार डा० राम विनय सिंह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में मनोहर लाल उनियाल श्रीमन की कनिष्ठ पुत्री कल्पना बहुगुणा ने सभी अभ्यागतों को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि — “श्रीमन जन्म शताब्दी कार्यक्रम में आप सबकी उपस्थिति ने श्रीमन को जीवंतता प्रदान की है। मंचासीन कवियों ने अपनी सुंदर रचनाओ से वातावरण काव्यमयी कर दिया। आप सभी की रचनात्मक उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद एवम आभार प्रकट करती हूं। दूरदर्शन के सुभाष थालेड़ी जी एवम टीम का भी विशेष धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को दूरदर्शन मैं स्थान दिया।
सहयोगी रहे जनसंवाद समिति, धाद, लोकगंगा प्रकाशन, हिमालिका मीडिया फाउंडेशन, नवोदित स्वर सभी का धन्यवाद। सभी के सहयोग से ये कार्यक्रम सफल हुआ है।
कार्यक्रम में सर्वश्री बच्ची राम कौंसवाल, ज्ञानेन्द्र कुमार, गोविंद प्रसाद बहुगुणा, कमला पंत, सावित्री काला, हुकुमचंद उनियाल, चंद्र दत्त सुयाल, नीलम प्रभा वर्मा, सविता जोशी,प्रदीप कुकरेती, अम्बुज शर्मा ,त्रिलोचन भट्ट,क्रांति कुकरेती,राकेश नौटियाल, लककांता घिल्डियाल, शांति जिज्ञासु, विजय जुयाल, तन्मय ममगाईं, बीना कंडारी, प्रेमलता सजवाण, डॉ विद्या सिंह, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी, सुजाता पाटनी, नीलम बिष्ट, पुष्पलता ममगाईं, प्रेम साहिल, अरुण असफल, नीलिमा धुलिया, किरण काला, प्रीत कौर, सुरेंद्र पुंडीर, बीना बेंजवाल, नदीम बरनी , रंजीता शर्मा, डॉली डबराल , सुनील त्रिवेदी, कुमुद, कपिला, जितेन ठाकुर आदि 150 के लगभग रही।
साभार- मंजू काला