पदोन्नति की आस को फलीभूत करने के लिए सुझाव के साथ किया अन्तिम अनुरोध ।

देहरादून – आडिट निदेशालय द्वारा दिसम्बर 21′ में रिटायर होने वाले एक सहायक लेखा-परीक्षा अधिकारी की पदोन्नति की आस पर पूरी तरह से तुषारापात करते हुए दो टूक शब्दों में कहा है कि वर्तमान में लेखा परीक्षा अधिकारी के पदोन्नति के पद रिक्त नहीं होने के कारण उनकी पदोन्नति नहीं की जा सकती है । बता दें कि लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति हेतु समयसीमा निर्धारित कर सूचित कराये जाने हेतु अप्रैल से अनुरोध करते आये उक्त अधिकारी द्वारा जब 16 जुलाई से आमरण अनशन करने की घोषणा की तब निदेशालय द्वारा उन्हें यह जवाब भेजा गया । लेकिन इसके बावजूद इस अधिकारी ने पदोन्नति की आस नहीं छोड़ी है और निदेशक को पत्र भेजकर पदोन्नति की आस को फलीभूत करने हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव के साथ अन्तिम अनुरोध किया है ।

मुख्यमंत्री कार्यालय से 04 अक्टूबर को जारी आदेश द्वारा सभी विभागों में लम्बित पदोन्नति के मामलों का ब्यौरा कारण सहित 8 अक्टूबर तक तलब किये जाने की कार्यवाही से उत्साहित सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी रमेश चंद्र पाण्डे ने निदेशालय द्वारा दी गई जानकारी का खण्डन करते हुए कहा है कि वर्तमान में चयन वर्ष 2021-22 हेतु लेखा परीक्षा अधिकारी के 04 पद रिक्त हैं । पाण्डे जी के अनुसार सेवानियमावली में आधे पद सीधी भर्ती से तथा आधे पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है । इसके विपरीत पदोन्नति के पद रिक्त नहीं होने के सम्बन्ध में जो जानकारी उन्हें दी गई है उसके आधार से वे अनभिज्ञ हैं । सेवा नियमावली के अतिरिक्त यदि व्यवस्था में कहीं कोई ऐसा आधार हो तो उससे उन्हें अवगत कराया जाय ।

दरअसल विभाग में पिछले पांच साल के भीतर पदोन्नति के पद रिक्त होते हुए भी जिस प्रकार दर्जनों कार्मिक वगैर पदोन्नति के रिटायर हुए उसे देखते हुए श्री पाण्डे ने 6 अप्रैल को निदेशालय को पत्र भेजकर लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति हेतु समयसीमा निर्धारित कर सूचित कराने का आग्रह किया । 11मई को अनुस्मारक दिए जाने के बाद भी कोई उत्तर हासिल नहीं होने पर 1 जुलाई को भेजें दूसरे अनुस्मारक में श्री पाण्डे ने कहा कि प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर वे 16 जुलाई से आमरण अनशन करेंगे । इसी बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से 12 जुलाई को जारी एक आदेश द्वारा सभी विभागों में पदोन्नति के लिए 15 अगस्त तक की समय-सीमा तय कर दिये जाने से आश्वस्त होकर श्री पाण्डे ने 14 जुलाई को निदेशक को पत्र भेजकर प्रस्तावित अनशन को स्थगित करने की सूचना दे दी । निदेशालय द्वारा 19 जुलाई कोइसके जवाब में उक्त जानकारी देते हुए आमरण अनशन की घोषणा को आचरण नियमावली व कोविड/महामारी एक्ट के विरुद्ध बताया गया । जिसके जवाब में उनके द्वारा कहा गया है कि उनके पत्र का समय से जवाब मिल गया होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती ।

निदेशालय द्वारा दिये गये प्रत्युत्तर में श्री पाण्डे की नियुक्ति से लेकर वर्तमान तक का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि विभाग में उन्हेंं चार पदोन्नतियां मिल चुकी हैं । इसके जवाब में श्री पाण्डे ने कहा है कि बर्तमान संवर्ग में वे 4800/-ग्रेड वेतन पर हैं जबकि पूर्व संवर्ग में उनसे कनिष्ठतम कार्मिक विगत 3-4 साल पूर्व से 5400/- ग्रेड वेतन पर हैं । उन्हें हुई इस वित्तीय हानि का उल्लेख निदेशालय द्वारा प्रस्तुत विवरण में नहीं किया गया है जो विचारणीय है ।निदेशालय द्वारा यह भी बताया गया कि वर्ष 2019-20 की रिक्तियों के सापेक्ष पदोन्नति हेतु पात्र नहीं होने के कारण उनका नाम पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं किया गया ।

इसके जवाब में पाण्डे ने कहा है कि अप्रैल 16 में स्वीकृत ढांचे में लेखा परीक्षा अधिकारी के 50 पद स्वीकृत थे लेकिन अक्टूबर 18 मे अप्रत्याशित रूप से इस ढांचे को पलटते हुए लेखा परीक्षा अधिकारी के मात्र 24 पद कर दिये । इससे पदोन्नति के अवसर में हुई कटौती को देखते हुए निदेशालय द्वारा तत्समय कार्यरत समस्त सहायक लेखा परीक्षा अधिकारियों को लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर एक बार पदोन्नति दिये जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया और 3 जून 19 को सचिव वित्त की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई । 12 जुलाई को जारी इस बैठक के कार्यवृत के बिन्दु 3 का अक्षरशः पालन नहीं होने के कारण जिस नियम के आधार पर पात्रता सूची बनाई गई उससे पदोन्नति के मूल आधार ज्येष्ठता सूची को ही दरकिनार कर दिया गया । जिसके कारण जनवरी 21मे लेखा परीक्षा अधिकारी के कुल स्वीकृत 28 पदों में से रिक्त 15 पदों के सापेक्ष 14 पदों पर हुई पदोन्नति में 03 कार्मिक वरिष्ठ होते हुए भी पदोन्नति से वंचित हो गए । कहा कि उक्त तीन कार्मिकों के साथ ही वे भी 3 जुलाई 19से पदोन्नति के लिए पात्र हैं ।

अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि इस विसंगति के समाधान हेतु एकमात्र विकल्प यही है कि निदेशालय द्वारा चयन वर्ष 2021-22 की रिक्तियों के सापेक्ष वन टाइम पदोन्नति के लाभ से वंचित उक्त 4 कार्मिको को पदोन्नति दिये जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाय ।विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया के अनुसार उच्च से निम्न क्रम में पदोन्नति नहीं होने के श्री पाण्डे के आरोप के जवाब में निदेशालय द्वारा बताया गया है कि संयुक्त निदेशक के एक पद पर पदोन्नति का प्रस्ताव 13अगस्त 19को शासन को प्रेषित किया गया है और राजपत्रित अधिकारियों की अनन्तिम ज्येष्ठता सूची का प्रस्ताव भी 25 फरवरी 20 को शासन को भेजा गया है ।इस पर पाण्डे ने कहा है कि ऐसे लम्बित प्रकरणों के कारण पदोन्नति से वंचित एक सेवानिवृत्त हो रहे कार्मिक द्वारा प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर आमरण अनशन की घोषणा को तो निदेशालय द्वारा आचरण नियमावली के विरुद्ध बताया गया है लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या इतनी दीर्घ अवधि से बेवजह प्रकरणों के लम्बित रहने से उत्पन्न होने वाले आन्दोलन जैसी अप्रिय स्थिति के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित नहीं होना चाहिए ?

पाण्डे जो उत्तराखंड लेखा परीक्षा सेवा संघ के अध्यक्ष भी हैं, ने निदेशक आडिट को सम्बोधित उक्त पत्र की प्रति समस्त कार्मिक सेवा संघ के पदाधिकारियों को करते हुए इस संवेदनशील प्रकरण पर उनके पक्ष को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का अनुरोध किया है ।श्री पाण्डे के अनुसार अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के पद पर तैनात आनन्द वर्धन साहब पदोन्नति के लम्बित मामलों के प्रति बेहद संवेदनशील है और उनके द्वारा बतौर प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन 30 जुलाई 2017 को ऐसे प्रकरणों के निस्तारण हेतु सबको अपना पक्ष रखने का अवसर देने के लिए एक प्रयोग के रूप में ओपन हाउस का आयोजन किया गया था जिसके परिणाम सुखद रहे ।