गोल्डन कार्ड के नाम पर खानापूर्ति करके लाखों कर्मचारी- शिक्षक- पेंशनरों के जेबों पर डकैती डाली जा रही है। प्रदेश सरकार सोचे और समझे यह लूट खसोट कब तक चलेगी। कर्मचारी शिक्षक इस उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी- शिक्षक संगठन, उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट द्वरा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अवगत कराया गया कि दिनांक 4 मई 21 को वह और उनकी पत्नी द्वारा सीएमआई अस्पताल में कोविड-19 टेस्ट कराया गया जहां पर दोनों कोविड पॉजिटिव पाए गए। अनुरोध किया गया कि उनके पास गोल्डन कार्ड है लेकिन सीएमआई द्वारा कोई सुविधा देने से बिल्कुल मना कर दिया गया। डॉक्टर द्वारा उनका सीटी स्कैन करवाया गया। ₹6000 दे कर उनके द्वारा सीटी स्कैन करवाया गया। पुनः अनुरोध किया गया गोल्डन कार्ड है, उनके द्वारा मना कर दिया गया। फिर लैब टेस्टिंग करवाया गया जहां उन्हें ₹5000 देना पड़ा। उन्होंने कहा गोल्डन कार्ड है,अस्पताल द्वारा मना कर दिया गया। गोल्डन कार्ड नहीं चलता है। श्री बिष्ट लगातार अपना इलाज करवाते रहे और अपनी जेब से पेमेंट भी करता रहे। क्या न करता, जिसका मरता। लेकिन श्री बिष्ट को अफसोस है कि वह स्वयं लाखों कर्मचारियों का उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री हैं।अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच, जनपद देहरादून के मुख्य संयोजक। फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के जनपद अध्यक्ष, देहरादून।
इतना ही नहीं इस प्रदेश का राज्य आंदोलनकारी होने के नाते यदि सरकार द्वारा इस ढंग से कर्मचारियों के खून पसीने व मेहनत के पैसों पर डकैती डाली जा रही है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री बिष्ट ने कहा कि यदि मेरे साथ ऐसे हालात है, तो आम कर्मचारी, शिक्षक व पेंशनर किस हालात में प्रदेश में अपना उपचार करा रहा होगा। यह सोचनीय विषय है। क्या सरकार का काम केवल लूट खसोट करना है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह गोल्डन कार्ड के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हो रहा है। उन्होंने कहा कि आईटी पार्क में स्थित प्राधिकरण के नाम पर जो लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, उस श्री डीके कोटिया की दुकान को भी बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के सभी संगठनों के पदाधिकारियों से इस संबंध में ठोस निर्णय लेने का अनुरोध किया। श्री बिष्ट द्वारा कहा गया है कि सभी विभाग के कर्मचारी, शिक्षक व पेंशनरों को गोल्डन कार्ड अपने विभागाध्यक्ष या कार्यालय अध्यक्ष के यहां जमा कर देने चाहिए।जब तक इसमें संशोधन नहीं होता है, तब तक कोई भी कटौती न की जाए। श्री बिष्ट ने सरकार को यह भी आगाह कराया कि हमारे कर्मचारी चाहे वह पुलिस का हो, चाहे वह स्वास्थ्य विभाग का हो, लैब टेक्नीशियन हो, नर्स बहने हों, फार्मासिस्ट हो, चाहे वाहन चालक, या कर्मचारी- शिक्षक साथी हैं वह वर्तमान में महामारी को देखते हुए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के खड़े हैं। ऐसे समय में सरकार यदि ऐसा कुचक्र कर रही है। और कर्मचारी एवं पेंशनरों की जेबों में डाका डाल कर कटौती कर रही है तो इससे बड़ा अन्याय कुछ नहीं होगा। सरकार को भी 2022 में जवाब देना होगा।
पंचम सिंह बिष्ट
प्रदेश महामंत्री
उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी शिक्षक – संगठन
उत्तराखंड।