उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उत्तराखण्ड बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के माध्यम से उत्तराखंड अधीनस्थ सिविल न्यायालयों के अंतर्गत समूह घ (ग्रुप डी) के 401 पदों पर सीधी भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी की गई । जिसमें परीक्षा शुल्क रु0 600 देखकर बेरोजगार लाल पीले हो गए।
जबकि भारत के किसी भी अन्य राज्य या केंद्र सरकार की किसी समूह घ की परीक्षा में इतना शुल्क आज तक नही लिया गया है। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा समूह ग की परीक्षाएं कराई जाती है जिसमें शुल्क रु0 300 तथा आरक्षित श्रेणियों के लिए रु0150 निर्धारित किया गया है तथा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा शुल्क रु0 150 तथा आरक्षित अभ्यर्थियों हेतु रु0 60 निर्धारित किया गया है और तो और केंद्र सरकार की परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग,स्टाफ सिलेक्शन कमिशन द्वारा 100 रुपये तथा आरक्षित वर्ग के लिए निशुल्क तथा रेलवे की परीक्षाओं में भी परीक्षा शुल्क रु0 250 निर्धारित किया गया है परंतु राज्य सरकार द्वारा समूह घ हेतु इतना अधिक शुल्क निर्धारित करना बहुत ही दुखद है। एक और मुख्यमंत्री रोजगार वर्ष बनाने की बात करते हैं पारदर्शिता और अन्य मानकों की बात करते हैं।और दूसरी ओर बेरोजगारों का इस प्रकार आर्थिक रूप से शोषण किया जा रहा है जो कि बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है।
वर्तमान समय में उत्तराखंड राज्य में 12 लाख से अधिक बेरोजगार पंजीकृत है अगर 3 से 4 लाख अभ्यर्थी भी आवेदन करते हैं तो सरकार के राजस्व में 15 से 20 करोड़ की वृद्धि होगी जोकि बेरोजगारों के माता-पिता की मेहनत की कमाई है।
विरोध करने वालों में बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार, उपाध्यक्ष विरेश चौधरी, प्रदीप कुमार, मेहर राणा,कमल काँत,सचिन थपलियाल, सत्यम राँटा,सुशील केन्तुरा, रवि नेगी ,अर्जुन शर्मा आदि दर्जनों लोग शामिल थे।