Saheb Raham! We are travelers, no adventure tourist
-जाखधार में हवाई सेवा के कारण गाय, भैंसों ने दूध देना किया बंद 
-कंपनी को मिल रहा पर्याप्त पानी, ग्रामीण जनता प्यासी 
-श्रद्धालुओं की जान के साथ कंपनी कर रही खिलवाड़ 
      रुद्रप्रयाग, केदारघाटी में हेली कंपनियां ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई हैं। मानकों के तहत हेली सेवाएं उड़ाने नहीं भर रही हैं, जिस कारण लोगों को भारी मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है। यही नहीं कुछ कंपनियां नियमों को ही ताक पर रखकर श्रद्धालुओं की जिंदगी से खिलवाड़ करने में लगी है। हेलीपैड पर सुरक्षा के कोई इंतजाम न होने के बाद भी धड़ल्ले से उड़ाने भरी जा रही है। शासन-प्रशासन के आलाधिकारी सबकुछ देखने के बाद भी मूकदर्शक बना हुआ है।
केदारघाटी में हवाई सेवाओं का संचालन शुरू हो गया है। विगत आठ दिनों से हेली सेवाएं उड़ाने भर रही हैं। फाटा, शेरसी, गुप्तकाशी और जाखधार हेलीपैड से हेवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन ये सेवाएं नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से शिकायत कर कार्यवाही करने की मांग की है। देवशाल जाखधार निवासी रोशन प्रसाद देवशाली ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में कहा कि जाखधार हेलीपैड से हेली सेवा नियमित उड़ाने भर रहा है, मगर मानकों के पालन न करते हुए हेलीकाॅप्टर की उड़ान काफी नीचे से भरी जा रही है, जो किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकती है। उन्होंने कहा कि हेलीपैड के आस-पास घनी आबादी का क्षेत्र है और हेलीकाॅप्टर के पाॅयलेट गांव के समीप निर्मित भवनों के ऊपर से हेलीकाॅप्टर का उड़ा रहे हैं, जिस कारण उत्पन्न ध्वनि तरंगों से पुराने भवनों को भी खतरा पैदा हो गया है। अत्यधिक नजदीक उड़ान भरने से गांव में काश्तकारों की दिनचर्या और मवेशियों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। गाय, भैंसों ने दूध देना भी बंद कर दिया है। साथ ही मवेशी बहरे भी होने लग है, जो सबसे बड़ी समस्या बन गई है। कहा कि ग्रामीणों का एकमात्र रोजगार का जरिया मवेशी है। इनको ही खतरा बन जाय, तो ग्रामीण रोजगार के लिए किसका दरवाजा खटखटायेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी का हेलीपैड ग्राम देवशाल के काश्तकारों की नाप भूमि पर निर्मित होने के कारण कंपनी की दैनिक गतिविधियां इसी भूमि से संचालित होती हैं। ग्राम पंचायत देवशाल की पेयजल योजना का ज्यादातर लाभ कंपनी को ही मिल रहा है, जबकि कंपनी द्वारा ग्राम सभा के बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के पेयजल का दैनिक उपयोग किया जा रहा है और ग्रामीण जनता को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने जिलाधिकारी से मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हेली सेवा कंपनी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है। वहीं दूरी ओर मस्ता-गुप्तकाशी में हेली सेवा कंपनी श्रद्धालुओं की जान के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। आॅल वेदर सड़क कटिंग से हेलीपैड का अधिकांश भाग कटने के बाद भी हेली सेवाएं संचालित हो रही है। बिना सुरक्षा के ही हेली सेवाएं संचालित होने से श्रद्धालुओं को हर समय डर बना रहता है। शासन-प्रशासन के आलाधिकारी सबकुछ देखने के बाद भी नजरअंदाज किये हुए हैं। सूत्रों से पता चला है कि मस्ता में संचालित होने वाली हेली सेवा कंपनी को जिस हेलीपैड से संचालन की अनुमति मिली है वो कंपनी उस हेलीपैड से हवाई सेवा का संचालन नहीं कर रही है, जबकि दूसरे हेलीपैड से हवाई सेवाओं का संचालन किया जा रहा है, जो सरासर यात्रियों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि जाखधार में संचालित हेली सेवा कंपनी को नियमों का पालन करने के लिए कहा जायेगा, साथ ही ग्रामीणों की समस्या का भी निस्तारण होगा। उन्होंने कहा कि मस्ता में संचालित हवाई सेवा कंपनी को सुरक्षा के लिहाज से हेलीपैड पर पुश्ता निर्माण को कहा जायेगा।
डीजीसीए की आंख में झोंकी धूल
रुद्रप्रयाग,  केदारघाटी में कई वर्षों से हवाई सेवाएं संचालित हो रही है, लेकिन हर साल ये हेली सेवाएं नियमों को ताक पर रखकर अपनी मनमर्जी से संचालित होती आई हैं। प्रशासन का कोई भी डर इन कंपनियों में नहीं रहता है। शासन स्तर पर सांठगांठ होने से कंपनियां जिला स्तर के अधिकारियों की सुनने को तैयार नहीं हैं।  मस्ता गुप्तकाशी से संचालित एक हेली सेवा कंपनी नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही है। श्रद्धालुओं की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिला स्तरीय अधिकारी सबकुछ देखने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। यहां तक हेली सेवा कंपनी को सुरक्षा के लिहाज से पुश्ता निर्माण को भी नहीं कहा जा रहा है। आॅल वेदर कार्य के चलते मस्ता-गुप्तकाशी में दो हेलीपैडों का कुछ हिस्सा कटिंग में चला गया। यहां पर सेवाएं दे रही कंपनी ने डीजीसीए से दोनों ही हेलीपैडों की अनुमति मांगी, लेकिन कंपनी को एक ही हेलीपैड की अनुमति मिल पाई। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों डीजीसीए की टीम हेलीपैड के निरीक्षण के साथ अन्य दस्तावेजों की जांच में आई थी। उस दौरान मस्ता से संचालित हो रही हवाई कंपनी ने दूसरे हेलीपैड को दिखाकर डीजीसीए की आंख में धूल झोंक दिया। मस्ता में दो हेलीपैड होने के कारण डीजीसीए की टीम भी बेवकूफ बनकर चल दी, लेकिन बाद में हवाई सेवा कंपनी ने दूसरी जगह से हवाई सेवा शुरू कर दी। ऐसे में श्रद्धालुओं की जान पर कब आफत बरस जाय, कहा नहीं जा सकता। कंपनी की ओर से सुरक्षा के लिहाज से कोई भी ऐतिहात नहीं बरती जा रही है। आने वाले दिनों में अगर कोई बड़ी घटना घटती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार रहेगा, यह तय किया जाना जरूरी है