मसूरी, 17 सितम्बर : पहाड़ों की रानी के नाम से विख्यात पर्यटन नगरी मसूरी की तकरीबन डेढ़ शताब्दी पुरानी ऐतिहासिक धरोहर ‘द रिंक’ रविवार तड़के हुए भीषण अग्निकांड में जलकर खाक हो गई। एक समय एशिया के सबसे बड़े वुडन फ्लोर वाले स्केटिंग रिंक के एक हिस्से में अब इसी नाम से होटल भी संचालित हो रहा था। आग होटल से ही आरंभ हुई और पूरे रिंक को उसने पलक झपकते ही अपनी चपेट में ले लिया। आग की चपेट में आकर रिंक के नीचे सड़क पर खड़ी दो कारें भी जलकर कबाड़ हो गई।
अग्निकांड में किसी तरह की जनहानि नहीं
मसूरी में सघन आबादी वाले नगर के प्रमुख और प्रसिद्ध बाजार कुलड़ी में सेंट मेरीज हॉस्पिटल के निकट द रिंक स्थित है। रिंक के पिछले हिस्से में बने इसी नाम के होटल में तड़के साढ़े तीन और चार बजे के बीच आग लगी। आग कैसे लगी, इसकी पड़ताल की जा रही है। मगर, प्रथमदृष्टया इसकी वजह शॉर्टसर्किट को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि तड़के धुंआ उठता देख आसपास के अन्य घरों और प्रतिष्ठानों के लोगों ने शोर मचाया। रिंक में उस समय आठ लोगों का स्टाफ मौजूद था, जो किसी तरह जान बचाकर बाहर भागा। चूंकि, पूरे रिंक में ब्रिटिश काल में लकड़ियों का बहुतायत से इस्तेमाल हुआ है, इसलिए आग ने कुछ ही देर के भीतर प्रचंड रूप ले लिया।
फायर सर्विस के इंतजामों की लापरवाही भी उजागर
आग के आसपास के अन्य मकानों और दुकानों-होटलों को चपेट में लेने की आशंका को देखते हुए लोगों ने फायर सर्विस को सूचना देने के साथ ही खुद भी इस पर काबू पाने के प्रयास शुरू कर दिए। जिसके हाथ जो लगा, वह उसी से आग पर पानी डालने का प्रयास करने में जुट गया। बताया गया कि सूचना पर पहुंची फायर सर्विस की गाड़ी पहले रास्ते में खड़ी कारों की वजह से मौके तक विलंब से पहुंच पाई। उस पर भी पानी की व्यवस्था नहीं हुई। पानी की व्यवस्था में भी काफी समय लग गया। जब तक फायर सर्विस ने ऑपरेशन शुरू किया, तब तक पूरा रिंक जलकर खंडहर में तब्दील हो गया।
ब्रिटिशकाल में 1890 में हुआ था निर्माण, भारत का सबसे बड़ा स्केटिंग रिंक
रिंक मसूरी की उन ऐतिहासिक धरोहरों में से एक रहा है, जिनकी वजह से इस शहर को खास पहचान मिली है। द रिंक का निर्माण अंग्रेजों ने 1890 में द रिंक का निर्माण कराया था। एक समय इसकी ख्याति एशिया के सबसे बड़े स्केटिंग रिंक के तौर पर थी। अब इसे भारत का सबसे बड़ा स्केटिंग रिंक माना जाता है। मसूरी को द रिंक और यहां होने वाली प्रतियोगिताओं ने खास पहचान दिलाई। इसमें बिलियर्ड रूम भी है, जहां गीत सेठी व माइकल फरेरा जैसी नामचीन हस्तियों की भी आवाजाही रही है।एक वक्त में यहां एशिया का सबसे बड़ा वुडन फ्लोर स्केटिंग रिंक हुआ करता। भारत के इस ऐतिहासिक स्केटिंग रिंक पर स्केटिंग की बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताएं होती थी। इसके अलावा एक और बड़ी यादगार यह भी है कि यहां कुश्ती भी लड़ी जाती रही हैं। इन्हीं में से एक 1970 के दशक की वह मशहूर फाइट भी है, जिसमें दारा सिंह ने किंग कोंग को हराकर रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब प्राप्त किया था। इस होटल को देखने के लिए मसूरी और देहरादून के अलावा दूर-दूर से लोग आते थे। रिंक हॉल में एक समय अंग्रेजी के प्रसिद्ध नाटकों का मंचन भी होता रहा है।