अमरूद (#Guava) ऐसा फल है जो देश के ज्यादातर हिस्सों में पाया जाता है। देश में उगाए जाने वाले फलों में क्षेत्रफल और उत्पादन के लिहाज से अमरूद का चौथा स्थान है। उत्तराखंड से ले कर कन्याकुमारी तक इस की बागबानी की जाती है। गुणों की भरमार वाले इस फल की तुलना सेब से की जाती है। अमरूद की बागबानी न केवल आसानी से हो जाती है, बल्कि इस के जरीए अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। अमरूद का उत्पादन देश में सब से ज्यादा उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में होता है। अमरूद की बागबानी सभी तरह की जमीन पर की जा सकती है। वैसे गरम और सूखी जलवायु वाले इलाकों में गहरी बलुई दोमट मिट्टी इस के लिए ज्यादा अच्छी मानी जाती है।
मौसम बदलने के साथ अक्सर लोगों को खांसी की समस्या हो जाती है। अमरूद की पत्तियां अपने औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य में काफी लाभकारी होती हैं। आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल डायबिटीज, दस्त, दांत के दर्द, बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने और सर्दी खांसी के घरेलू इलाज में करते हैं। अमरूद की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट की भरमार होती है। स्वाद में मीठे-हल्के हरे रंग के अमरूद के भीतर सेहत का भंडार समाहित है, इसलिए इसे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन सी, पेक्टिन, विटामिन-सी और विटामिन बी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
बेहद आसानी से मिलने वाले अमरूद का सेवन वैसे तो किसी भी मौसम में किया जा सकता है, लेकिन सर्दियों में इसका सेवन अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है। इस फल की तासीर ठंडी होती है, जिसके चलते इसे पेट से जुड़ी कई बीमारियों का कारगर समाधान माना जाता है। इसके अलावा इसके नियमित सेवन से कई बीमारियां भी कोसों दूर ही रहती हैं। किसानों की आय दोगुना करने के मद्देनजर औद्यानिकी को आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने के लिए सरकार गंभीरता से कदम उठा रही है। इस क्रम में उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।