देहरादून, 26 नवम्बर : सरकार ने प्रशासनिक चूक और अनियमितताएं पाते हुए वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी (हेड ऑफ फॉरेस्ट) को हटाकर विनोद कुमार सिंघल को यह जिम्मेदारी सौंपी है। सिंघल उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड का कामकाज देख रहे थे। जबकि अब यह जिम्मेदारी राजीव भरतरी को सौंपी गई है।
ये पहला मौका है जब राज्य में किसी फारेस्ट चीफ को इस तरह से हटाया गया हो। पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल को उनकी जगह नया हैड आफ फारेस्ट फोर्स (हाफ) बनाया गया है। सनद रहे कि नए साल (1 जनवरी) में उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया की कमान पीसीसीएफ राजीव भरतरी को सौंपी गई थी।
किसे क्या मिला : – इसके अलावा पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ अनूप मलिक, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग और डीएफओ कालागढ़ किशन चंद को भी उनके पदों से हटा दिया है। सुहाग की जगह डा. पराध मधुकर धकाते को राज्य के मुख्य वन संरक्षक पारिस्थितिकीय पर्यटन, प्रचार-प्रसार, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वन विकास निगम में प्रतिनियुक्ति पर तैनात निशांत वर्मा को मुख्य वन संरक्षक वन संरक्षण, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन के पद पर तैनाती दी गई है। विभाग प्रमुख कार्यालय से संबद्ध रहे अशोक कुमार गुप्ता को वन संरक्षक शिवालिक बनाया गया है। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक धर्मेश कुमार सिंह का तबादला वन संरक्षक एवं अपर निदेशक उत्तराखंड वानिकी प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी किया गया है। वन संरक्षक अखिलेश तिवारी को निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व व नंदादेवी बायोस्फीयर का जिम्मा सौंपा गया है। वन संरक्षक दीपचंद्र आर्य का तबादला पश्चिमी वृत्त में किया गया है।
क्या था मामला : – कार्बेट नेशनल पार्क के कौलागढ़ डिवीजन में पाखरो टाइगर सफारी के लिए वहां तमाम तरह के निर्माण और पेड़ों का कटान किया गया। जिसे नियम विरुद्ध बताते हुए कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने एनटीसीए में शिकायत की थी। जिसके बाद एनटीसीए की टीम ने निरीक्षण कर इस मामले में प्रशासनिक नियंत्रण में भारी चूक और कामों में अनियमितता की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी। जिसमें सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए भी कहा गया था। इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सीटीआर प्रकरण की प्राथमिक जांच में जिनके विरुद्ध भी बातें सामने आईं, उन्हें पद से हटाया गया है। प्रकरण की जांच चल रही है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।