न्याय के प्रतीक ग्वैलज्यू के बचन का पालन करते हुए बड़ाएँ कदम तभी सब अच्छा होगा ।

उत्तराखंड में विगत 10 मार्च से 05 जुलाई के अल्प अंतराल में लगातार जो अप्रत्याशित बदलाव हुआ उसकी समीक्षा में बदलाव के कारणों की सच्चाई के साथ ही मंशा पर भी सवाल लग चुके हैं लेकिन अब राज्य के विकास को झकझोर देने वाली ऐसी कोई भी उथल पुथल आगे न हो, इस पर गंभीर मंथन जरूरी है । बदलाव के इस पूरे परिदृश्य को भले ही सामान्य बताया जा रहा है लेकिन ग्वैल देवता के न्याय पर आस्था व भरोसा रखने वालों का साफ मानना है कि यह उथल पुथल ग्वैल ज्यू के बचन का पालन करने के बजाय मज़ाक करने से हुई है । उनका कहना है कि जिस दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंदिर में आकर विकास के लिए जवाबदेही की घोषणा करने के लिए तैयार होंगे उसी दिन खुशी की जागर लगेगी और युवा मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत भी किया जाएगा ।


गौरतलब है कि राज्य में कोरोना की पहली लहर की आहट तब हुई जब सरकार द्वारा पदोन्नति में लगाई गई रोक के खिलाफ राज्य के कार्मिक 2 मार्च 2020 से बेमियादी हड़ताल पर थे । कार्मिकों के हड़ताल में जाने के कुछ ही दिनों बाद जब एकाएक कोरोना का संक्रमण बड़ने लगा तो हजारों की तादाद में हड़ताली कार्मिक सैनिटाइजर और मास्क के साथ सभा करते नजर आए । ऐसे में जब सरकार हड़ताल की ओर पीठ फेरे नजर आ रही थी और कोरोना के बड़ते संक्रमण के चलते हड़ताली कार्मिकों के सामने आगे कुंआ पीछे खाई वाली स्थिति थी तब कार्मिकों की ओर से 11 मार्च 2020 को चितई(अल्मोड़ा ) स्थित न्याय के प्रतीक ग्वैलज्यू के मंदिर में जागर लगाई गई । ग्वैलज्यू के बचनानुसार रोक हटी और मंदिर में खुशी की जागर लगी ।
19 मार्च 20 को लगी खुशी की इस जागर में ग्वैलज्यू के न्याय का जयकारा करते हुए 19 सितंबर 2018 को मंदिर में विकास के लिए जवाबदेही हेतु लगाई गई फरियाद पर भी विचार करने का अनुरोध किया गया जिस पर ग्वेल ज्यू के डंगरिया नेआगाह करते हुए बचन दिया कि शीघ्र जवाबदेही तय नहीं हुई तो उथल पुथल हो जाएगी। डंगरिया द्वारा फरियादी पत्र को लेकर मंदिर की सात परिक्रमा करने के बाद यह पत्र वहाँ टांग दिया गया।


विकास में बाधक हड़तालों में पूर्ण विराम लगने और बेवजह प्रमोशन नहीं होने से निराश कार्मिकों को समय से प्रमोशन मिलने की विनती के साथ लगाई गई फरियाद पर ग्वैल ज्यू के बचनों को उपस्थितजनों ने गंभीरता से लिया और जागर के समापन के तुरंत बाद इस पर मंत्रणा हुई । तय हुआ कि उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच की ओर से सरकार को ग्वैल ज्यू द्वारा दिये गए बचन से अवगत कराने के साथ ही जनजागरण भी किया जाय ।जागर के तीन दिन बाद लाकडाउन हो गया । .. वेबिनार के जरिये जनजागरण जारी रहा और 30 अगस्त 20 को गंगोत्री के जल कलश के साथ मंदिर से एकता यात्रा निकली जिसका शुभारम्भ नितिन भदौरिया, जिलाधिकारी द्वारा किया गया । सभी जनपदों के विकास भवनों तथा सचिवालय के मुख्य द्वार पर खुली सभा करते हुए एकता यात्रा 2 अक्टूबर 20 को रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल पहुंची जहाँ शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा एकता यात्रा का समापन किया गया । मुख्यमंत्री के निर्देश पर एकता मंच की शासन स्तर पर आला अधिकारियों के साथ बैठकभी हुई जिसमें हड़ताल के कारणों की समीक्षा तो हुई लेकिन जवाब देही के सवाल पर हर स्तर से चुप्पी साध ली गई ।


…. आखिरकार एक साल के भीतर ही 10 मार्च 21 को मुख्यमंत्री बदल गए । सत्ता पक्ष में हुए इस बदलाव का कारण किसी के समझ में आने से पूर्व 03 जुलाई 21 को फिर से मुख्य मंत्री बदल गए । सत्ता पक्ष में हुई उथल पुथल के बाद 05 जुलाई 21 को मुख्य सचिव के पद से श्री ओम प्रकाश के हट जाने से अब ब्यूरोक्रेसी में उथल पुथल की पहली शुरुआत हुई है ।