बहुगुणाजी कु बोल्नु थौ कि ,बड़ा दाम न बंणाये जाऊंन ,चाहे टेहरी बाँध परियोजना हो या नर्मदा डैम ? सरकार बोल्दी थै कि, डाम से बिजली अर सिंचाई की समस्या हल होलि, बाँध विकास का प्रतीक छन, भाखड़ा नंगल डैम से कनु होई पंजाब कु विकास ?
बहुगुणाजी, यूँ तर्कु सणि सुणिक हंसदा अर फिर अपणी चिर –परिचित मुस्कान अर मधुर वाणी म बोल्दा, “ देखा प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ ठीक नी ,हम जु अपणी उपजाऊ धरती तैं डुबोंण लग्याँ, वैसे कई जीव –जंतुओं अर वनस्पतियों की जाति –प्रजाति लुप्त ह्व़ेजालि ?
बीच –बीच म ईशाबेग भाई छौंक लगौदु ,अजी यो सरकार ऐसे ही बकवास करे है , पहाड़ में कहाँकु बणेगी नहर ,पंजाब तो मैदानी ईलाका है ,सब साले चोर हैं मुर्गी के ? फिर थोड़ा भैर ऐक जोर –जोर से कैंची की सिगरेट का कश खैंचण लग जांदु .
फिर बहुगुणाजी बोल्दा ,देखा मेरी ये संबंध म कई वैज्ञनिकों से बात होंदी रंदी . हिमालय कच्चू पहाड़ छ, यख भूकंप कु खतरा अधिक छ. मैंन सिंचाई मंत्री सणि भी ये संबंध म ज्ञापन दिनि थौ. मैंन प्रधानमंत्रीजी सणि भी ये बारा म चिट्ठी लिखीं छ .
सब लोग ऊंकी मधुरवाणी सुणीक बहुत खुश था होणा . ऊंकी बगल म एक अंग्रेज भी थौ बैठयूँ ,यि भाई माईकल सैमसंग छन, लंदन टाईम्स का संवाददाता. नमस्टे, वै अंग्रेज न लोगु तैं बोलि “ टुम लोग कोशिश करटे, डैम जरूर रुक सकटी, यू शुड फाईट फॉर युअर राईट्स ” ओके ?
ईसा भाई न मुकेश तैं बोलि, “ देख बे लाला ,कितने बड़े –बड़े लोग आते हैं बहुगुणाजी के पास ? अरे सरकार के बाप की हिम्मत नी है सैलून की, जो डैम बणादे ”. ला लाला ,एक सिगरेट पिला, रो मत . मुकेश न बोलि , अरे भाई वो सब तो ठीक है , पर लोगों के आने से थोड़े रुक जायेगा डाम का काम, टनलें तो पूरी हो गई दोनों ? “ एक दिन यनु होण कि, रात में दुई –चार ट्रक पुलिस –पी.ए.सी औंण, ऊं न सबकु सामान धरण ट्रकु पर अर रातों रात शहर खाल्ली करे देंण ,तब बीटा सब देखते रह जाएंगे, दो –दो डंडे लगे नहीं कि, शहर खाल्ली ”? अरे भाई पहले पुनर्वास की तो सोचो कुछ ?
अबे बेटा लाला, तू साले ऐसे ही पागल का पागल रहा. अबे हम कह रहे हैं कि ,डाम मत बणाओ और तू साले पुनर्वास की बात कर रहा है ? अरे वो तो ढीक है ईसा भाई पर सारी सुरंगें तो बंण गई, अब एक दिवाल ही तो बणानी है उन्होंने और क्या बाकी क्या करना है ? चल अड्डे चल, सिगरेट पिलाता हूँ तुझे, थोड़ी –थोड़ी चाय भी पीते हैं ,चल . वैसे तो आज बुधवार है पर मेरा एक रेडियो का ग्राहक भी आणा है दुकान में .
ये लो ईसा भाई हमारी सिगरेट पियो, ऐसी भी क्या बात है गुरु , वैसे लाला की बात में दम तो है, भाईजी ? अबे एक वो लाला क्रैक और दूसरा साले तू ? अबे पिछले महीने बी.बी.सी वालों की टीम भी आई थी . और बेटा अमीचंद सिगरेट कैसी है, ठीक तो है ? लो गुरु कैसी बात करदी आपने ? खैर, वो बी.बी.सी वालों ने क्या बोला, डाम नि बणेगा बळ ?
तू भी यार अमीचंद, डाम तो भारत सरकार बणारी, बी.बी.सी क्या बोलेगा ? नहीं ,हमको लगा क्या पता लन्दन में बोला होगा कुछ किसी नेता ने, नेता तो जाते रहे वहां हमारे, करदी होगी किसी ने ये घोषणा ? अबे तू वाकई अजांण या जाणी –बुझिक मै बेवकूफ बणोंणु, बीटा अमीचंद ? लो जी भाईजी, आप तो नाराज हो गए, अच्छा तो फिर हम चलते हैं ,राम –राम ईसा भाई .
देखा, मेरी आपसे विनती च कि,आप लोग ये टीरी बाँध कु तन –मन –धन से विरोध करा, बहुगुणाजी न बोलि. बड़ा बाँध पर्यावरण की खातिर भी नुक्सानदेह छन. हम धरती गलि अत्यधिक छेड़छाड़ जु कर्रन छन लग्याँ, वु मानव सभ्यता का वास्ता भी ठीक नी ,यु बाँध खुदा न खास्ता जु कखी टुटगी त रिषिकेस ,हरिद्वार कि त बात छोड़ा, समस्त पूर्वी –उत्तरप्रदेश का वास्ता भी धोखादायक छ, यख तक कि , गंगासागर तक येकी तबाही कु असर होलु ?
कोयना डाम का बारा म त आपन सुणी होलु ? जब बिटिंन वू दाम बणी , वख़ रोज भूकंप औणा ? गुजरात म मोरबी बाँध टुटि त लगभग एक लाख लोग मरि होला ? मै फिर बोल्दौं कि, बड़ा बाँध एक एटम –बम कि तरों छन, हिरोशिमा अर नागासाकी त आप तैं मालुम ही होला, यु बाँध वाँ से भी जादा खतरनाक छ .
पर साब, बिजली भी टी जरुरी , रमोला वकील न बीच म टोकी ? अरे भाई बिजली त बगेर पाणी रोक्क्याँ भी त बणाई जै सकदी, अरे मै त बोल्दु बिजली खाला –खालों पर भी बणाई जै ये सकदी.अरे साब, हमन त सुणि घराट से भी बिजली बणे सकदा बळ, मणिरामजी न बोलि ?
अभी कुछ दिनु पैली,मै एक कांफ्रेंस म भाग लेंण की खातिर फ़्रांस गै थौ, वख भी मैंन यु मसला उठाई थौ,कई पर्यावरणविदों से भी मेरी ये मसला पर चर्च ह्व़े थै, कई वैज्ञानिक भी हमारा साथ छन ,पर यी जु बड़ी –बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी छन, अर हमारी सरकार त ऊँ का ईशारा पर ही चल्दी ?
यु जू सरकार कु दावा छ कि , ये बाँध की उमर सौ साल छ पर यु चालीस बरस म ही भर जालु, गाद से . बरसात म त आप लोग भी देख्दा ,कतना मटमैलु –क़ज़ालु पाणी बगिक औंदु ,छुडू माटु ? अर वै माटा से जु मैदानी भूभाग तैं जु उपजाऊ मिट्टी मिल्दी थै, वैसे भी वु लोग वंचित ह्वे जाला ? अरे बिजली का खातिर त रन –रिवर प्रोजेक्ट भी बणाये जै सकदान ? सौर उर्जा कु इस्तेमाल करादौ ,पवन ऊर्जा भी छ ?
मैंन निर्णय लिनि कि ,अपणी आत्मा की सुचिता की खातिर 15 का उपवास पर बैठूं लोग बड़ा ध्यान से ऊंकी बात सुणना था . वाख कई बुद्धिजीवी, पत्रकार ,वकील लोग भी मौजूद था .अच्कालु बहुगुणाजी पुल का थुव्वा का थोड़ा बिड्वाल ,एक टीन सेट पर था रण लग्यां, वही बहुगुणाजी की कुटिया थै. सुबेर –स्याम वख बीसों लोग औंदी –जांदी रंदा था. लोगू तैं जतनी जादा श्रद्दा बहुगुणाजी पर थै, वैसे जादा डर डाम बंण जांण कु थौ ?
( बाकी अगले अंक में )