मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे। मंगलवार शाम 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। रात 10 बजकर 45 मिनट में छोटी खजरानी मस्जिद में नमाजे जनाजा के बाद उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
साहित्य जगत को कोराेनाकाल की एक ऐसी त्रासदी देखने को मिली, जिन राहत साहब को सुनने भीड़ उमड़ती थी उनकी अंतिम यात्रा में 30 लोग ही मौजूद रह पाए। उनमें भी आधे पीपीई किट पहनकर कब्रिस्तान के भीतर पहुंचे। राहत साहब को रात में सुपुर्दे खाक करने की जैसे ही एमआईजी पुलिस को जानकारी मिली। रात 8 बजे से मस्जिद और आसपास बैरिकेडिंग कर दी गई। कुछ देर बाद एमपीईबी की गाड़ी ने कब्रिस्तान के आसपास लाइटिंग की। सीएसपी ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। थाना प्रभारी भी टीम के साथ मौके पर मौजूद रहे। पुलिस जवानों के साथ ही भीतर जाने वाले सभी लोगों को पीपीई किट पहनाया गया। राहत साहब के चाहने वाले 100 से ज्यादा लोग मस्जिद के आसपास मौजूद रहे। माैके पर पहुंचे एडीएम पवन जैन ने चेतावनी देते हुए भीड़ से कहा कि अनुमति वाले ही भीतर जाएंगे। यदि किसी ने कानून का उल्लंघन किया तो धारा 144 में कार्रवाई की जाएगी। रात 10 बजकर 26 मिनट पर एम्बुलेंस से बॉडी कब्रिस्तान पहुंची। मस्जिद के बाहर करीब 30 लोगों ने काजी रेहान फारुकी की मौजूदगी में जनाजे की नमाज अदा की। इसके बाद जनाजे के साथ 30 लोग कब्रिस्तान के भीतर पहुंचे। जहां राहत साहब को सुपुर्दे खाक किया गया।
डॉ. राहत इंदौरी ने उर्दू शायरी की अपनी विशिष्ट शैली से लोगों के दिलों पर राज किया। उनका निधन उर्दू साहित्य और शायरी की अपूरणीय क्षति है। डॉ. इंदौरी देश-दुनिया में आयोजित होने वाले मुशायरों एवं कवि सम्मेलनों में श्रोताओं के पसंदीदा शायर थे। साहित्य जगत में डॉ. इंदौरी की कमी हमेशा महसूस की जाएगी,उनके निधन पर जनसंवाद गहरा दुःख प्रकट करते हुए ईश्वर से डॉ. राहत इंदौरी की आत्मा की शांति और उनके परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
रविवार रात खांसी, बुखार और घबराहट होने पर वे निजी अस्पताल जांच के पहुंचे थे। यहां जांच में निमोनिया पाया गया। इसके बाद उनके सैंपल लिए गए और उन्हें अरबिंदो कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। देर रात में रिपाेर्ट आई और वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। मंगलवार सुबह खुद उन्होंने ही ट्वीट कर अपने संक्रमित होने की जानकारी दी। इसके बाद उन्हें आईसीयू में रखा गया, जहां दोपहर में उन्हें पहल अटैक आया और करीब दो घंटे बाद 5 बजे उन्हें दूसरा अटैक आया और फिर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
क्यों कहा जाता था उन्हें आवाम का शायर जानने के लिए पड़ें ..