प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर , इनकम टैक्स रहे गिरीश नारायण पाण्डेय ने सरकार के बीस लाख रुपये के “पैकेज” की समीक्षा करते हुए कहा कि आज जो सरकार जनता को दिए गए उधार को पैकेज कह रही है , इनकम टैक्स के रीफ़ंड को पैकेज कह रही है; वह भी इस त्रासदी के समय में, उसकी असंवेदनशीलता और जुमलेबाजी की कोई सीमा नहीं है।

सरकार द्वारा ग़लत तरीक़े से लॉकडाउन लागू करने की वजह से अभी तक करोड़ों लोग भूखे – प्यासे तपती धूप में सड़कों पर और कभी कभी तो इधर से उधर से भटक रहे हैं जबकि पौने दो महीने होने को आए।सरकार की तरफ़ से अभी तक जो भी इंतज़ाम किए गए हैं वे केवल ऊँट के मुँह में ज़ीरा ही साबित हुए हैं।

पुलिस कई जगहों पर उनसे ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे वे अपराधी हों। हैरान हो जाता हूँ देख सुनकर कि हमारी यह बिकी, अंधी, असंवेदनशील मीडिया उनकी इस पीड़ा और त्रासदी भरी यात्रा को बहुधा अवैध यात्रा घोषित करके सम्बोधित कर रही है।

जैसे संविधान और मौलिक अधिकार ही ख़त्म हो गए हैं! व्यक्ति का अपने ही घर जाने का अधिकार ख़त्म हो गया हो !! और जब सरकार ने ट्रेनें और बस बंद कर दिए तो पैदल और ट्रकों में जाने के अलावा रास्ता क्या है? और अगर मजबूरी में इस तरह जानवरों से भी बदतर हालत में बेहाल होकर यात्रा कर रहे हैं तो अवैध यात्रा कर रहे हैं ?अपराधी हैं?

आज़ ये सिद्ध हो गया है कि असंवेदनशील व्यवस्थाएँ अपनी परिभाषायें गढ़ती हैं।

बार बार अपने ही शरीर को चिकोटी काटकर चेक करना पड़ रहा है कि हम सपना देख रहे हैं या वास्तविक जीवन में ऐसा अविश्वसनीय हो रहा है ।आँसू तक सूख जाते हैं ,जवाब देने लगते हैं । जो भी विधायक या सांसद चुने गए हैं वह अपने क्षेत्र की सेवा के लिए ।मेरा सुझाव और प्रस्ताव है कि सभी सांसदों और विधायकों (सभी सेवकों) को ये ज़िम्मेदारी दी जाए कि वे अपने अपने क्षेत्र के प्रवासी मज़दूरों की देखभाल करें ;चाहें वह वहाँ रह रहे हों,चाहे यात्रा में हों,चाहे वहाँ पहुँचने वाले हों। इन सांसदों और विधायकों (सभी सेवकों)को इस कार्य के लिए पूरी तरह उत्तरदायी बनाया जाए और इसके लिए ज़रूरी फंड सरकार अपने पैकेज में से उपलब्ध कराए।

उन्होंने कहा कि यदि आप मेरे इस प्रस्ताव से सहमत हैं तो इसे अपने सारे मित्रों तक ,परिचितों तक ,सोशल मीडिया द्वारा ,बातचीत के द्वारा जहाँ तक संभव हो इस तरह फैलाइए कि पूरे देश के हर कोने से 130 करोड़ लोगों से यह आवाज़ उठे कि हमारे विधायक और सांसद ( सभी संवैधानिक सेवक) को इसके लिए ज़िम्मेदार बनाया जाए , क्योंकि हमने उन्हें अपनी सेवा के लिए चुना है और इस त्रासदी के अब समय से बड़ा सेवा का अवसर कब आएगा।

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