देहरादून, 20 दिसंबर, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण के संदर्भ में आंदोलनकारी साथी क्रांति कुकरेती द्वारा आत्मदाह की घोषणा की गई थी, जिसके फलस्वरूप कल देर रात शासन/ प्रशासन कि पहल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारी क्रान्ति कुकरेती से अपने आवास पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया। वार्ता में उनके साथ अंबुज शर्मा व कोटद्वार से प्रवीण पुरोहित मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। क्रांति ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि माननीय उच्च न्यायालय के 07 मार्च 2018 के आदेश में राज्य आंदोलनकारियों की सेवाओं को विनियमित करने वाले समस्त शासनादेश निरस्त कर दिये हैं किन्तु सरकार द्वारा उन लोगों को बचने कि कोई भी पहल आज तक नहीं कि गई। यदि सरकार राज्य आंदोलनकारी श्रेणी के कार्मिकों की सेवाओं को बचाना चाहती है तो उन्हें तुरंत नवीन सेवा नियमावली को अधिसूचित करना होगा जिसका प्रारूप भी उन्होंने मुख्यमंत्री महोदय को प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री द्वारा उनकी बातों व बनाये गए ड्राफ्ट से पूर्णता आश्वस्त नजर आए और उन्होंने तुरंत अधिकारियों को उक्त ड्राफ्ट को 24 तारीख की कैबिनेट में प्रस्तुत करने के आदेश निर्गत किये। उम्मीद है कि विगत 8 वर्षों से लंबित 10% आरक्षण की बहाली पूर्ण हो पाएगी जिसका लाभ समस्त आंदोलनकारियों को मिलेगा इसी संदर्भ में स्वयं सीo ओo सिटी ने शहीद स्मारक पर आकर सभी साथियों को अवगत कराया की वार्ता उनके सम्मुख हुई थी तथा वार्ता का विवरण और आदेश की सूचना दी और अतः आप लोग कोई आत्मघाती कदम न उठायें। क्रांति कुकरेती शासन/ प्रशासन का धन्यवाद करते हुए कहा कि क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है अतः हम सब लोगों को 24 तारीख का इंतजार करना चाहिए अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो समस्त उत्तराखंड के आंदोलनकारी उनका धन्यवाद करेंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो 25 तारीख को वह सीएम आवास कूच कर अनशन/आत्मदाह कुछ भी कर सकते हैं।
विदित हो कि माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 7 मार्च 2018 के आदेश में राज्य आंदोलनकारियों की सेवाओं को विनियमित करने वाले समस्त शासनादेश निरस्त कर दिये थे। उसके बाद शासन/ प्रशासन मे भ्रम की स्थिति बन गई कुछ अधिकारीयों ने इसे भविष्य के लिए बंद करना माना मगर 5 दिसम्बर 2018 को अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा था कि इसका अनुपालन उसी दिन से होगा जब से ये लागू किया गया है यानि जितने भी आन्दोलनकारी इस कोटे से नौकरी पर लगे थे सब को बाहर होना होगा। उक्त आदेश के खिलाफ़ उत्तराखंड आन्दोलनकारी मंच भी माननीय उच्चतम न्यायलय भी गया था मगर तकनीकी कारणों से उनके द्वारा दी गई अर्जी कबूल नहीं हो पाई और आज तक वह रजिस्ट्रर ऑफिस में ही पड़ी रह गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार कल रात माननीय मुख्यमंत्री को दिया गया ड्राफ्ट आज शाम तक आनंद वर्धन जी के ऑफिस से होकर कार्मिक सचिव श्री ह्वांकी तक पहुँच चुका है ।
आज के प्रदर्शन मे खटीमा से धर्मेंद्र बिष्ट, भीमताल से हेम पाठक, हल्द्वानी से मनोज जोशी, कोटाबाग से उमेश चंद्र, नौ-गाँव से रनवीर सिंह, थराली से जगदीश पंत देहरादून से सुरेश नेगी, अमित जैन ललित जोशी, गणेश शाह, वीरेंद्र सिंह रावत, विकास रावत,सूर्यकांत बामराडा,विमल जुयाल, मनोज कुमार,नवनीत गुसाईं, सुलोचना भट्ट,प्रभात डंडरियाल,जगमोहन रावत ,सुरेश कुमार,सुनील बडोनी विपुल नौटियाल ,योगेश जोशी ऋषिकेश से वेद प्रकाश शर्मा, विक्रम भंडारी, गंभीर मेवाड़, बलवीर नेगी,भगवती सेमवाल,पुरोला से हरीकृष्ण आदि लोग मौजूद थे।