बाबा केदार की डोली की अगुवाई कर रहा आर्मी बैंड
-भोले के जयकारों से शीतकालीन मंदिर हुआ गुंजायमान
रुद्रप्रयाग, ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग विश्व विख्यात केदारनाथ भगवान की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम के लिये रवाना हो गई है। डोली रवानगी के अवसर पर शीतकालीन गददीस्थल में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। आर्मी बैंड की मधुर धुनों पर श्रद्धालु बाबा केदार की भक्ति में जमकर झूमते रहे। बाबा को धाम रवाना करते समय श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ ग्रीष्मकाल के छह माह तक अपने भक्तों को आशीष देने के लिये केदारनाथ रवाना हो गये हैं। सोमवार प्रात: बाबा केदार के शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से बाबा केदार को विधि-विधान और हजारों भक्तों की जयकारों के साथ धाम के रवाना किया गया। बाबा केदार की चांदी की भोग मूर्ति और डोली को भव्य तरीके से फूल-मालाओं से सजाया गया। बाबा केदार की डोली ने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा की ओर केदारनाथ के लिये रवाना हो गई। डोली के हिमालय रवाना होने पर विभिन्न विद्यालयों के नौनिहालों, स्थानीय एवं देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने डोली की अगुवाही की।
बाबा की डोली को केदारनाथ रवाना करने से पूर्व भक्त आर्मी बैंड के मधुर धुनों पर जमकर झूमे। ऐसा लग रहा था कि साक्षात बाबा केदार शीतकालीन गददीस्थल में उतर आये हों। बाबा केदार की पैदल यात्रा के साथ हजार श्रद्धालु भी साथ चल रहे हैं। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के विद्यापीठ आगमन पर आयुवेर्दिक फार्मेसी व संस्कृत महाविद्यालय के नौनिहालों तथा विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी आगमन पर स्थानीय श्रद्धालुओं ने डोली का भव्य स्वागत किया। सोमवार को बाबा केदार की डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये फाटा पहुंची। मंगलवार को बाबा केदार की डोली दूसरे रात्रि प्रवास के लिये गौरीकुंड पहुंचेगी और आठ मई को डोली केदारनाथ धाम पहुंचकर गर्भ गृह में विराजमान हो जायेगी। जिसके बाद नौ मई को सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर बाबा केदार के द्वार खोल दिये जाएंगे। जिसके बाद भक्त छह माह तक केदारनाथ में बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।