देहरादून, बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं इक्फाई विश्वविद्यालय देहरादून द्वारा संयुक्त रूप से 35वी ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता 20, 21 व 22 अप्रैल को तीन दिवसीय रखी गयी है। इस प्रतियोगिता में संविधान कानून, मुस्लिम कानून, अपराधिक कानून, सरोगेसी कानून आदि मुद्दों पर रोशनी डाली जायेगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सहयोग से उत्तराखंड में पहली बार सबसे बड़ी मूट कोर्ट प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के लॉ कॉलेज और विश्वविद्यालय भाग ले रहे है। इस मूट कोर्ट प्रतियोगिता को आयोजित करने का मकसद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों को वास्तविक जीवन में अदालत का अनुभव देने के साथ ही संविधान कानून, मुस्लिम कानून, अपराधिक कानून, सरोगेसी कानून के बारे में शिक्षित करना है। मूट प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को ज्ञान का आदान-प्रदान करना व उनके बौद्धिक विकास की वृद्धि करना है।
35वी, ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी मूट कोर्ट प्रतियोगिता का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और कानूनी शिक्षा समिति, बीसीआई के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.पी. मिश्रा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस ए0पी0 मिश्रा पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि’’ कानून मनुष्य के लिए जाना जाने वाला सबसे साहसिक और आकर्षक व्यवसाय है। इच्छाएं और गुस्सा मानव स्वभाव की दो बड़ी खामियां हैं जो एक अच्छा वकील या न्यायाधीश बनने की संभावनाओं को बाधित करती हैं। इसलिए न्याय देने के लिए स्वयं की पूर्णता महत्वपूर्ण है। सत्य न्याय की नींव है इसलिए नैतिकता के लिए कभी भी मुकदमा जीतने या निर्णय देने के लिए समझौता नहीं किया जाना चाहिए। वकीलों को कभी भी फर्जी सबूत पेश नहीं करने चाहिए और न ही अपने ग्राहकों को केस जीतने के लिए ऐसा करने की सलाह देनी चाहिए। इसलिए यदि धन इस पेशे को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरक शक्ति है तो इसे जारी न रखना बेहतर है। हर कानून के छात्र और प्रत्येक वकील को सामाजिक विज्ञान का ज्ञान होना चाहिए। ”विशिष्ट अतिथि के रूप में मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि “जब मैं कॉलेज में था, तब मूट कोर्ट शुरू हो गए थे, क्योंकि यह महसूस किया गया था कि छात्र केवल अपनी पढ़ाई के लिए पाठ्य पुस्तकों पर निर्भर थे और उन्हें कोर्ट रूम का कोई व्यावहारिक अनुभव नहीं था। भले ही इस मूट कोर्ट प्रतियोगिता के कुछ प्रतिभागियों को जीत नहीं मिली, हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। हम सिर्फ अपनी चुनौतियों से जीतते हैं या सीखते हैं। इसलिए हमें हमेशा अच्छे वकील बनने के लिए चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए ”। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा उपस्थित रहे। प्रतियोगिता में विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस के0डी0 शाही एवं न्यायमूर्ति राजेश टंडन और कई अन्य अतिथि मौजूद रहे। 35वी, ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी मूट कोर्ट प्रतियोगिता में प्रोफेसर (डॉ0) पवन के0 अग्रवाल कुलपति इक्फाई विश्वविद्यालय, डॉ0 युगल किशोर प्रभारी इक्फाई लॉ स्कूल, संकाय समन्वयक सुनील कुमार, सौरभ सिद्धार्थ, अवनीश भट्ट, छात्र समन्वयक साक्षी मिश्रा, छात्र सह-कॉर्डिनेटर प्रिया मिश्रा, अकार श्रीवास्तव, मनस्वी गुप्ता, प्रशस्ती, राजपाल आदि उपस्थित रहे। वेलेडिक्ट्री सत्र में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति मृदुला मिश्रा, पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश और सीएनएलयू पटना की कुलपति रही।