उत्तराखंड राज्य में 13 फरवरी को एक मंथन का कार्यक्रम होने जा रहा है । जिंसके बारे में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि इस मंथन से प्राप्त होने वाला अमृत राज्य के विकास की दिशा व दशा निर्धारित करने में निश्चित रूप से मददगार होगा।

अब आपको बताते चलें कि पौराणिक कथा में समुद्रमंथन में सबसे पहले जो द्रव्य निकला वो विष था जिससे देवता भी जलने लगे थे । तो क्या 13 फरवरी को होने जा रहे इस मंथन से भी विष निकलने की भी सम्भावनाएं हैं ? यदि ऐसा होता है तो क्या भाजपा में भोलेनाथ बनकर इस विष को पीकर नीलकंठ बनने के लिए कोई जनसेवक है ? दूसरी चीज जो इस मंथन से निकली थी, वो थी कामधेनु गाय । और गाय के बारे में भाजपा कितनी सजग है ? ये आपको अपने गली मोहल्लों में घूमते हुए पता चल ही जाएगा । उस समय के मंथन से निकली गाय को तो ऋषियों ने रख लिया था , पर आज रामदेव जैसे भी ऋषि हैं ,जिनकी फेक्ट्री में इतना घी बन रहा है , जितनी पूरी दुनिया मे दुधारू गायों की संख्या नही है । तीसरी चीज उस मंथन से घोड़ा निकला था । घोड़े से कॉंग्रेस कार्यकाल के दौरान के शक्तिमान घोड़े की याद आती है ,जिसे उस समय प्रदर्शन कर रहे राजनीतिक लोगो की वजह से अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी । अन्त में चौधवाँ रत्न अमृत निकला था । जिसके लिए भी भगवान विष्णु को मोहनी का रूप धरकर ,देवताओं को अमृत पिलाना पड़ा था । अब 13 फरवरी को होने जा रहे इस मंथन कार्यक्रम में भी देखने वाली बात ये होगी कि इससे निकलने वाला अमृत राज्य के लिए कितना कारगर सिद्ध होता है ? इस मंथन की कमान सूबे के मुखिया अपने हाथों में लिए हुए हैं जिससे निकलने वाले अमृत का इस्तेमाल वो राज्य के विकास की दिशा व दशा निर्धारित करने में करेंगे । वहीं बीजेपी सरकार के उत्तराखंड में तीन साल पूरे होने जा रहे हैं । ऐसे में सूबे के मुख्यमंत्री अब इलेक्शन मोड़ में आने का मूड सेट कर रहे हैं । इसी विषय को लेकर अब वो इस समुद्र मंथन को भी करने जा रहे हैं । दरअसल समुद्रमन्थन की भी आवश्यकता तब पड़ी थी जब देवताओ की शक्तियों का ह्रास हो गया था । ऐसे में भाजपा के कई विधायक गाहे बगाहे अनऑफिशियली बताते रहते हैं कि उनके पास शक्तियों का अभाव है जिस वजह से वो खुलकर काम नही कर पा रहे हैं । वहीं सूबे के मुखिया ने पचास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी भी खुद ही ले रखी है । वो भी सारे निर्माण कार्यो से लेकर स्वास्थ्य व आबकारी विभाग तक । यही कारण है कि दिल्ली चुनाव के प्रचार अभियान में 2 फरवरी से 5 फरवरी तक कार्यक्रम फिक्स होने के बाबजूद , 03 फरवरी को ही उन्हें वापस लौटना पड़ा क्योंकि फाइलों के डंप मुख्यमंत्री के सचिवालय कार्यालय में लगे थे । वहीं वर्तमान में हरकसिंह रावत के पास मात्र 07 , मदन कौशिक के पास मात्र 06 , सुबोध उनियाल 06 यशपाल आर्य के पास 08 , महाराज के पास 09 , अरविंद पांडेय 06 , रेखा आर्य 06, धनसिंह रावत के पास 04 विभाग हैं । तो अब हो सकता है कि 13 फरवरी को होने जा रहे इस मंथन कार्यक्रम से निकलने वाला अमृत रिक्त पड़े मंत्री पदों को भरकर पूरा किया जा सके । क्योंकि तीन मंत्री पद अभी रिक्त चल रहे हैं । जिनमे अभी ,मुन्ना सिंह चौहान, विशन सिंह चुफाल, पुष्कर धामी , महेंद्र भट्ट , केदार रावत , गणेश जोशी, के नामो की चर्चा जोरों पर है ।

नवल ख़ाली