पहले तो हम यह समझें कि जेनेरिक दवाई और ब्रांडेड दवाई में क्या फर्क है ?
अगर यह फर्क, हमें समझ में आ गया तो आपको अपने प्रश्न का उत्तर आपको खुद ही मिल जाएगा ।
ब्रांडेड दवाई और जेनेरिक दवाई में साल्ट एक ही होता है । उसी सॉल्ट की दवाई जेनेरिक दवाई में मिलती है ।
ब्रांडेड दवाई का मूल्य क्यों ज्यादा है ?
इसका कारण यह है कि ब्रांडेड दवाई के सॉल्ट का अविष्कार किसी कंपनी द्वारा किया जाता है। जो उसके मूल्य में उसमें अविष्कार का खर्च , उसकी मार्केटिंग का खर्च , डॉक्टरों में दवाई का प्रचार करने का खर्च और उसके अलावा उस दवाई को बनाने के लिए जो उन्होंने पूंजी लगाई उसका ब्याज जुड़ा होता है। इसके अलावा अत्यधिक लाभ भी जोड़ा जाता है दवाई के दाम में । सब मिलाकर दवाई का दाम काफी ज्यादा होता है। जिस दवाई का आविष्कार जिस कंपनी ने किया होता है उसे उस दवाई का पेटेंट मिल जाता है। लेकिन 10 साल के बाद उसका दवाई का पेटेंट यानी अकेले दवाई बनाने का अधिकार खत्म हो जाता है।
यानि उस उस दवाई का जो पेटेंट है, वह खत्म हो जाता है तो 10 साल बाद उस दवाई को कोई भी बनाकर उसको बेच सकता है। अब 10 साल के बाद जब उस दवाई का पेटेंट खत्म हो जाता है , तो छोटी छोटी कंपनियां उसका एक मॉलिक्यूल थोड़ा सा बदल के जेनेरिक के रूप में पेश कर देती हैं, जिसका मूल्य एक २०% तक होता है ।यानी ब्रांडेड दवाई का मूल्य जेनेरिक दवा के मूल्य से 4 या 5 गुना और 10 गुना तक महंगी होती है
गवर्नमेंट सप्लाई और और हॉस्पिटल में जेनरिक दवाई बनाने वाली कंपनियां दवाई की सप्लाई टेंडर प्रक्रिया के तहत करती है। टेंडर प्रप्रक्रिके तहत सबसे कम दाम वाली कोट करने वाली कंपनी को दवाई सप्लाई का ऑर्डर मिलता है। अत: ऐसी विक्रय करके दवाई कंपनियां मार्केटिंग का खर्चा नहीं उठा पाती , क्योंकि उनके लाभ की मात्रा दवाई के दाम में काफी कम होती है ।
ऐसी अवस्था में जैनरिक दवाई केमिस्ट और दवाई की दुकानों में नहीं सप्लाई कर रही होती है , क्योंकि जेनरिक दवाइयों की कंपनियां डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग का खर्चा नहीं उठा पाती है और अगर वह खर्चा उठाती है, शायद जेनेरिक दवाई का रेट भी बढ़ जाएगा।
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के अंतर्गत खोले हुए जन औषधि दवाई खानों में जेनेरिक दवाइयों की सप्लाई भारत सरकार की स्वास्थ मंत्रालय के एक विभाग द्वारा की जाती है जो जेनेरिक दवाइयां टेंडर प्रक्रिया से क्रय करके जन-औषधि दवाखानों को सप्लाई करते हैं , जिस कारण वहां पर यह जेनेरिक दवाइयां सस्ते में मिल जाती है।