सनातनी परम्परा में किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व सबसे पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है , अगर उनकी कोई मूर्ति या चित्र उपलब्ध न हो तो गाय के गोबर को त्रिशंकु का रूप देकर उसके ऊपर दूब लगा दी जाती है और उसे ही गणेश का रूप मान लिया जाता है फिर सारे कर्मकांड करने के उपरांत उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है यही उसकी परिणिति है। ऐसा ही कुछ कांग्रेस भवन में आयोजित प्रैस वार्ता के दौरान महसूस हुआ।
देहरादून, 12 मार्च : मात्र 8 माह पूर्व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सँभालने वाले प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार की जिम्मेदारी स्वीकार की है। उन्होंने कहा है कि होली के बाद हार की समीक्षा की जाएगी।
राजनीति से जुड़ा हर व्यक्ति जनता है कि उनके पास सिवाय अध्यक्ष पद के और कोई भी पॉवर नहीं थी। काँग्रेस के सिम्बल पर लड़े 70 लोगों में शायद ही कोई विधायक हो जो यह कह सके कि उनको टिकट दिलवाने में गणेश गोदियाल का कोई हाथ है, न तो वह कोई ओजस्वी वक्ता थे, ना ही चुनावी चेहरा और अगर काँग्रेस सत्ता में आ भी जाती तो उन्हें शायद ही मुख़्यमंत्री पद प्राप्त होता। बस पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को पार्टी में लेने के अलावा उनका कोई ख़ास योगदान भी नजर नहीं आया। अब ये उनकी सज्जनता ही है जो बिना किसी “दोष’ के ख़ुद को “कुसूरवार” ठहरा रहें है। खैर यह उनका व्यक्तिगत मामला है वो जाने।
गौरतलब है कि विगत 10 मार्च को आए परिणामों में कांग्रेस को राज्य में 19 सीट मिली हैं। जबकि गणेश गोदियाल खुद भी पौड़ी की श्रीनगर सीट से नजदीकी मुकाबले में चुनाव हारे हैं। शनिवार को उन्होंने देहरादून स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत की। जिसमें उन्होंने कहा कि अगर हाईकमान कहेगा तो वह सहर्ष पद छोड़ने को भी तैयार हैं। वहीं सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद और जनता के बीच रहने के भरोसे के बावजूद जब हार नसीब होती है तो वेदना कुछ गहरी हो जाती है। श्रीनगर सीट पर बहुत कम मतों से पराजित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल जब प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से रूबरू हुए तो यही वेदना आंखों से आंसू के रूप में छलक पड़ी। उधर, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने प्रत्याशियों से मुलाकात कर चुनाव परिणामों पर चर्चा की। हार के कारणों की पार्टी जल्द समीक्षा करेगी। कांग्रेस को सिर्फ 19 सीट मिली हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल स्वयं श्रीनगर सीट 587 मतों से हार गए।
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