सम्पूर्ण केदारनाथ यात्रा वर्ष 2020
उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों पर विराजमान महाकाल के धाम केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तय होती है. इस दिन श्रीकेदारनाथ जी के गद्दी स्थल श्री ओम्कारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में श्री केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग जी, स्थानीय दस्तूरदार एवं पुजारी/वेदपाठी गणों की उपस्थिति में पंचांग गणना के अनुसार मंदिर के कपाट खोले जाने का मुहूर्त तय किया जाता है.रुद्रप्रयाग जिले में करीब 3353 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज के मौके पर बंद कर दिए जाते हैं
* विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम के कपाट 29अप्रैल प्रात: 6 बजकर 10मिनट पर खुलेंगे !
* पंचकेदार शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा आयोजित धार्मिक समारोह में कपाट खुलने की तिथि तय हुई, मंदिर समिति अध्यक्ष ने की कपाट खुलने की तिथि की घोषणा।
* शनिवार 25 अप्रैल को पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान भैरवनाथ जी की पूजा होगी रविवार 26 अप्रैल को श्री केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली धाम प्रस्थान करेगी तथा फाटा में रात्रि विश्राम रहेगा। 27 अप्रैल को गौरीकुंड रात्रि विश्राम एवं 28 अप्रैल शाम को भगवान की पंच मुखी डोली श्री केदारनाथ धाम पहुंचेगी। बुधवार 29 अप्रैल को मेष लग्न में प्रात: 6 बजकर 10 मिनट पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, केदारनाथ विधायक मनोज रावत, मंदिर समिति उपाध्यक्ष अशोक खत्री, सदस्य सहित तथा मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी आचार्यगण एवं अधिकारी कर्मचारी, श्रद्धालुगण रहे मौजूद।
उखीमठ: 21 फरवरी। इस यात्रा वर्ष विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट बुधवार 29 अप्रैल को मेष लग्न में प्रात: 6 बजकर 10मिनट पर खुलेंगे।
कपाट खुलने की तिथि आज शिवरात्रि के अवसर पर पंचांग गणना एवं विधि-विधान से तय की गयी। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुजनों ने श्री ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन किये
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से उखीमठ स्थित पंचकेदार शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में प्रात: नौ बजे से धार्मिक समारोह आयोजित हुआ।जिसमें मंदिर समिति पदाधिकारियों धर्माचार्यों की उपस्थिति में पंचाग गणना कर विधि-विधान से कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की गयी।
इस अवसर पर श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली के धाम प्रस्थान का मुहुर्त भी तय हो गया। शनिवार 25 अप्रैल को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भैरव पूजा तथा 26अप्रैल श्री केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली के केदारनाथ धाम प्रस्थान करेगी एवं विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी रात्रि विश्राम करेगी। 26अप्रैल को फाटा,27 अप्रैल रात्रि विश्राम गोरीकुंड होगा। 28अप्रैल डोली श्री केदारनाथ धाम पहुंच जायेगी। 29 अप्रैल को प्रात: 6 बजकर 10 मिनट पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुल जायेंगे।
कपाट खुलने की तिथि घोषित होने से पहले भगवान श्री ओंकारेश्वर मंदिर में नित्य प्रति अभिषेक एवं विशेष पूजा अर्चना के पश्चात कपाट खुलने की तिथि निर्धारण हेतु समारोह शुरू हुआ। समारोह में मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल सहित समिति पदाधिकारियों, धर्माचार्यों, हक हकूकधारियों, पंचगाई, वैदिक ब्राह्मण खोली के आचार्यगण एवं श्रद्धालुगण शामिल रहें। इस दौरान हवन-यज्ञ सहित भजन-कीर्तन,स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भंडारा आयोजित किया गया। दानीदाताओं द्वारा भंडारा एवं प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, केदारनाथ विधायक मनोज रावत,उपाध्यक्ष अशोक खत्री,पूर्व विधायक आशा नौटियाल, नगर पंचायत अध्यक्ष विजय राणा, मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल तिथि घोषित होने के समारोह में शामिल रहे तथा आयोजित धार्मिक समारोह को भी संबोधित किया।
इस वर्ष श्री केदारनाथ धाम हेतु पुजारी शिवशंकर लिंग को नियुक्त किया गया। एमटी किरण गंगाधर श्री मद्महेश्वर जी हेतु एवं बागेश लिंग ओंकारेश्वर मंदिर हेतु पुजारी नियुक्त हुए। जबकि पुजारी शशिधर लिंग विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में नियुक्त रहेंगे। पुजारी शिवलिंग चपटा अतिरिक्त रूप से सेवा देंगे।
उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष 30 अप्रैल को खुल रहे है जबकि श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट परंपरागत रुप से अक्षय तृतीया को खुलते है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को है। अक्षय तृतीया से चारधाम यात्रा की शुरुआत भी हो जाती है।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
कहते हैं केदारनाथ धाम की यात्रा से इंसान के सारे दुख दूर हो जाते हैं. भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग को सर्वोच्च माना जाता है. इस धाम की यात्रा करना हर तीर्थयात्री का सपना होता है. तीन तरफ विशालकाय पहाड़ों से घिरा केदारनाथ धाम बेहद मनमोहक है. हिंदू धर्म की आस्था के अनुसार केदारनाथ धाम को ऊर्जा का बड़ा केंद्र माना जाता है. इस मंदिर का जब 6 महीनों बाद कपाट खुलता है तब भी इस मंदिर का दिया जलता रहता है. भगवान शिव का यह मंदिर 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है.
कई कथाएं हैं प्रचलित
केदारनाथ धाम को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. कहतें हैं इसी जगह पर पांडवों ने भी शिव के एक मंदिर का निर्माण करवाया था. लेकिन वक्त के साथ वह नष्ट हो हो गया था. जिसके बाद कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने दसवीं ईसवी में करवाया था. यह मंदिर जो 400 वर्ष तक बर्फ में दबा था. यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने भी कराया था. फिलहाल हम उन्ही बातों को बता रहें हैं जिनकी चर्चा सदियों से होती आ रही है
पुराण की कथा के अनुसार हिमालय पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि घनघोर तपस्या किया था. उनकी इस तपस्या से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए और वरदान के रूप में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में पृथ्वी पर बस गए. यह भी कहा जाता है कि यहां पशुपतिनाथ का पिछला हिस्सा विराजित है. जब महाभारत का भीषण युद्ध समाप्त हुआ तो उसके बाद पांडवों पर परिवार के लोगों की हत्या का दोष लग गया. इससे मुक्ति पाने के लिए पांडव जब शिव के पास पहुंचे तो उन्होंने बैल का रूप धर लिया. लेकिन भीम ने बैल के पैर पकड़ने की कोशिश की और फिर वो गायब हो गए. यही कारण है कि आज भी पशुपतिनाथ मंदिर में बैल के अगले और केदरनाथ में पिछले हिस्से की पूजा की जाती है.
दर्शन का समय
• केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 6:00 बजे खुलता है.
• दोपहर तीन से पांच बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.
• पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है.
• पांच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है.
• रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.
• शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढंक जाती है. यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छह माह के बाद कपाट खुलता है.
• ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं. इसी प्रतिमा की पूजा यहां भी रावल जी करते हैं.
• केदारनाथ में जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है.
केदारनाथ धाम के अलावा चमोली जिले में 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त वसंत पंचमी को तय किया दिया गया है जिसके अनुसार 30 अप्रैल को सुबह 4:30 बजे विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सभी श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे।
साभार – उखीमठ से भगवती शैव
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